- सुनील गावस्कर ने दिल की बातें कहीं
- अमिताभ बच्चन और किशोर कुमार के साथ रखना सुखद अहसास
- देश से खेलने का अनुभव भी साझा किया
नई दिल्लीः सत्तर के दशक में जब बालीवुड शहंशाह अमिताभ बच्चन ‘जंजीर’ और ‘दीवार’ जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी से दर्शकों का मनोरजंन कर रहे थे तो वहीं किशोर कुमार अपने गानों से सभी के दिलों में अपनी जगह बना चुके थे तब भारतीय स्टार क्रिकेटर सुनील गावस्कर देश की युवा उम्मीदों को अपने कंधों पर लेकर सिखा रहे थे कि दमदार देशों को किस तरह चुनौती दी जानी चाहिए।
छह मार्च को गावस्कर भारतीय क्रिकेट के साथ 50 साल पूरा कर लेंगे और पांच दशक बाद बाद भी वह विभिन्न भूमिकाओं से इसके साथ जुड़े हुए हैं। गावस्कर ने वेस्टइंडीज में अपने टेस्ट पदार्पण की 50वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘बच्चन साहब अब भी भारत के महान ‘आइकन’ हैं और दिवंगत किशोर कुमार सदाबहार हैं, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता। इसलिये अगर आप मुझसे पूछोगे तो कि मुझे उनके साथ रखने के बारे में सोचना बहुत ही सुखद अहसास है।’’
यह पूछने पर कि जब वह पांच दशक पहले कैरेबियाई आक्रमण का सामना करने पोर्ट ऑफ स्पेन में मैदान पर उतरे तो वह कैसा महसूस कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘आखिर में अपने देश की कैप पहनकर बहुत खुश था। थोड़ा नर्वस भी था क्योंकि हम उस टीम के खिलाफ खेल रहे थे जिसकी अगुआई महानतम सर गैरी सोबर्स कर रहे थे।’’
पदार्पण श्रृंखला में 774 रन बनाकर वह समय की कसौटी पर खरे उतरे लेकिन जब वह पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें लगता है कि वह 400 रन बनाकर भी खुश होते। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह अहसास काफी अच्छा था। अगर मैं 350 से 400 रन भी बनाता तो मैं संतुष्ट होता।’’