- भारत और श्रीलंका के बीच राजकोट में खेला गया था यादगार मैच
- भारत और श्रीलंका के बल्लेबाजों का इस मैच में बोलबाला रहा था
- इस सांस थाम देने वाले मैच में भारतीय टीम ने मामूली अंतर से जीत दर्ज की थी
नई दिल्ली: भारत और श्रीलंका के बीच रविवार से बहुप्रतीक्षित वनडे सीरीज शुरू होने जा रही है। भारतीय टीम में कई नए खिलाड़ी शामिल हैं, जिन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का शानदार मौका मिल सकता है। भारत और श्रीलंका के बीच का क्रिकेट इतिहास शानदार रहा है। दोनों टीमों के बीच कई रोमांचक मुकाबले खेले गए हैं। मगर हम आज जिस मैच के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वह संभवत: दोनों टीमों के बीच सबसे रोमांचक मैच है। इस मुकाबले में रनों की बारिश हुई थी, जो फैंस लंबे समय तक नहीं भूल सकते हैं।
हम बात कर रहे हैं भारत और श्रीलंका के बीच 15 दिसंबर 2009 को राजकोट में खेले गए वनडे मैच की। श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया था। भारत की तरफ से दो धाकड़ ओपनर वीरेंद्र सहवाग और सचिन तेंदुलकर बल्लेबाजी करने उतरे। दोनों ने अपनी छवि के अनुरूप आक्रामक शुरूआत की और मैदान के हर कोने में शॉट जमाते हुए केवल 19.3 ओवर में 153 रन बनाए दिए। महान सचिन तेंदुलकर 63 गेंदों में 10 चौके और एक छक्के की मदद से 69 रन बनाकर फर्नांडो की गेंद पर बोल्ड होकर पवेलियन लौटे।
वीरू का शतक, धोनी का जोरदार हमला
तेज शुरूआत देख वीरेंद्र सहवाग के साथ बल्लेबाजी करने आए एमएस धोनी। सहवाग और धोनी ने श्रीलंकाई गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दी और दूसरे विकेट के लिए 156 रन की साझेदारी करके स्कोर 300 रन के पार पहुंचा दिया। इस मैच में डेब्यू करने वाले चकाना वेलेगेदरा को पहला विकेट वीरेंद्र सहवाग के रूप में मिला। वीरू ने यादगार पारी खेली और 102 गेंदों में 19 चौके और 6 छक्के की मदद से 146 रन बनाए। धोनी ने 53 गेंदों में 7 चौके और तीन छक्के की मदद से 72 रन बनाए। उन्हें फर्नांडो ने मैथ्यूज के हाथों कैच आउट कराया।
भारत ने निर्धारित 50 ओवर में 7 विकेट खोकर 414 रन का हिमालयीन स्कोर बनाया। भारतीय पारी के दौरान 12 छक्के और 43 चौके लगे। वीरू और तेंदुलकर ने मिलकर 27 चौके जमाए। श्रीलंका की तरफ से नुवान कुलसेकरा, चनाका वेलेगेदरा और दिलहारा फर्नांडो को दो-दो विकेट मिले। एंजेलो मैथ्यूज को एक सफलता मिली।
दिलशान-संगकारा ने रोमांच की हदें पार कराईं
भारतीय टीम ने जो स्कोर बनाया था, उसके बाद लग रहा था कि यह मुकाबला एकतरफा हो गया है। मगर श्रीलंका के इरादे कुछ और ही थे। लगातार दो विश्व कप (2007 और 2011) के फाइनल में पहुंचने वाली श्रीलंका ने जवाबी हमला बोला और राजकोट की पाटा विकेट का पूरा फायदा उठाया। उपुल थरंगा (67) और तिलकरत्ने दिलशान (160) ने 188 रन की साझेदारी श्रीलंका को बेहतरीन शुरूआत दिलाई।
रैना ने थरंगा को स्टंपिंग कराके भारत को पहली सफलता दिलाई। तब लगा कि टीम इंडिया अब अपनी पकड़ बना लेगी। मगर फिर क्रीज पर आए कुमार संगकारा। जैसा कि भारत ने किया, श्रीलंका बिलकुल उसी तरह खेल रहा था। दिलशान और संगकारा ने भारतीय गेंदबाजों के होश उड़ाए और हर कोने में गेंद को सीमा रेखा के पार भेजा। दोनों ने दूसरे विकेट के लिए 198 रन की साझेदारी करके स्कोर 300 रन के पार लगाया। प्रवीण कुमार ने संगकारा को जडेजा के हाथों कैच आउट कराकर इस साझेदारी को तोड़ा।
बाएं हाथ के बल्लेबाज ने केवल 43 गेंदों में 10 चौके और 5 छक्के की मदद से 90 रन बनाए। हरभजन सिंह ने श्रीलंका को जल्दी-जल्दी दो झटके दिए। उन्होंने सनथ जयसूर्या (5) और तिकलरत्ने दिलशान को अपना शिकार बनाया। दिलशान ने 124 गेंदों में 20 चौके और तीन छक्के की मदद से 160 रन बनाए। फिर थिलिना कदंबी (24) और एंजेलो मैथ्यूज (38) ने मुकाबला बेहद रोमांचक बनाया, लेकिन भारतीय टीम अंतिम ओवरों में दबाव झेलने में कामयाब हुई। श्रीलंका की टीम 50 ओवर में 8 विकेट खोकर 411 रन बना सकी।
चौको-छक्कों की बरसात
भारतीय टीम ने रनों का पहाड़ बनाने के बावजूद भी 3 रन के बेहद करीबी अंतर से मैच जीता। भारत की तरफ से हरभजन सिंह ने दो विकेट लिए। आशीष नेहरा और प्रवीण कुमार को एक-एक सफलता मिली। श्रीलंका की तरफ से 12 छक्के और 37 चौके लगे। इस सांस थाम देने वाले मुकाबले में कुल 80 चौके (320 रन) और 24 छक्के (144 रन) लगे। मैच में कुल 825 रन बने थे, जिसमें से 464 रन बाउंड्री से बने थे। वाकई इस मैच को भूल पाना बेहद मुश्किल है।