- सुनहरा रहा है भारतीय क्रिकेट का इतिहास
- आज की तारीख (8 फरवरी) भारतीय क्रिकेट इतिहास की सबसे यादगार तारीख है
- जब भारतीय टीम को मिली थी उसकी पहली जीत
भारतीय क्रिकेट का इतिहास लाजवाब रहा है। दो वनडे विश्व कप, एक टी20 विश्व कप, चैंपियंस ट्रॉफी, सभी प्रारूपों में नंबर.1 बनने का गौरव हासिल करना। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन और शतक बनाने वाला खिलाड़ी (सचिन तेंदुलकर) भारत का है और ऐसे ही तमाम रिकॉर्ड्स और सुनहरे पल भारत के नाम दर्ज हैं..लेकिन शुरुआत आसान नहीं थी। भारत ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तब देश में अंग्रेजों का राज था लेकिन सालों की मेहनत और इंतजार के बाद आजाद भारत ने आखिरकार आज के दिन (8 फरवरी) अपनी पहली जीत दर्ज की थी।
भारतीय क्रिकेट टीम ने अपने क्रिकेट इतिहास का पहला मुकाबला जून 1932 में खेला था। भारतीय टीम ने उसके बाद कई साल इंतजार किया। देश को आजादी मिली। भारतीय टीम फिर से मजबूत बननी शुरू हुई और पहले मैच के 20 साल बाद भारत को पहली टेस्ट जीत मिली। वो जीत आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे खास पल है। आइए आपको भी बताते हैं कि उस मैच में क्या कुछ हुआ था।
भारत ने जीता था टॉस
उस टेस्ट मैच में इंग्लैंड की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया था और पहली पारी में भारतीय गेंदबाजों ने मेहमान इंग्लैंड की टीम को 266 रनों पर ऑलआउट कर दिया था। इंग्लैंड के बल्लेबाजी क्रम में जैक रॉबर्टसन ने सबसे ज्यादा 77 रन बनाए थे। वहीं, दूसरी तरफ भारतीय टीम की से गेंदबाज वीनू मांकड़ ने इतिहास रचा था। उन्होंने महज 55 रन लुटाते हुए 8 विकेट झटके थे।
भारतीय बल्लेबाजों ने दिया था करारा जवाब
इसके बाद जब पहली पारी में टीम इंडिया जवाब देने उतरी तो सब देखते रह गए। भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार बैटिंग करते हुए 9 विकेट पर 457 रनों पहाड़ खड़ा कर दिया। टीम इंडिया इस स्कोर के दम पर काफी बड़ी बढ़त हासिल करने में सफल रही थी और इसका श्रेय मिला पंकज रॉय और पॉली उमरीगर को जिन्होंने लाजवाब बल्लेबाजी की। जहां पंकज रॉय ने 111 रनों की पारी खेलकर धमाल मचाया वहीं, पॉली उमरीगर ने नाबाद 130 रनों की पारी खेलते हुए अंत तक बैटिंग की।
अगली पारी में भारत ने अंग्रेजों को ध्वस्त कर दिया
इंग्लैंड की टीम साफ मुश्किल में नजर आ रही थी। उन्होंने भी नहीं सोचा था कि भारतीय टीम ऐसा प्रदर्शन करके दिखाएगी। दूसरी पारी में इंग्लिश बल्लेबाज पिच पर उतरे तो भारतीय गेंदबाजों ने फिर उनकी धज्जियां उड़ा दीं। इस पारी में इंग्लैंड 75.5 ओवर में 183 रनों पर ऑल-आउट हो गई। भारतीय टीम को दोबारा बैटिंग ही नहीं करनी पड़ी और क्रिकेट के जनक इंग्लैंड को पारी और 8 रन से करारी शिकस्त मिली।
भारतीय टीम की तरफ से दूसरी पारी में वीनू मांकड़ और गेंदबाज गुलाम अहमद ने 4-4 विकेट लिए, वहीं दिवेचा और फडकर ने 1-1 विकेट लिया। वो भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे सुनहरा पन्ना साबित हुआ क्योंकि उस जीत के बाद भारतीय क्रिकेट ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उस पहली जीत के बाद सब कुछ बदलता चला गया।