- चोट के विश्व कप 2011 से बाहर हो गए थे तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार
- प्रवीण कुमार के स्थान पर एस श्रीसंत को मिली थी भारतीय टीम में जगह
- साल 2011 में विश्व कप जीतकर भारतीय टीम ने रच दिया था इतिहास
एक वक्त था, जब तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार को स्विंग गेंदबाजी का उस्ताद माना जाता था। नई गेंद से उनकी स्विंग बॉलिंग के आगे बड़-बड़े बल्लेबाज चकमा खा जाते थे। इसके अलावा, वह निचलेक्रम में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करने में भी माहिर थे। शानदार फॉर्म में चल रहे प्रवीण को उनकी जबरदस्त गेंदबाजी और बल्लेबाजी करने की काबिलियत के कारण साल 2011 में खेले गए आइसीसी वनडे विश्व कप के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया था। लेकिन टूर्नामेंट से कुछ दिन पहले कोहनी में चोट लगने के कारण प्रवीण को भारतीय टीम से बाहर कर दिया गया।
आज भी दर्द देता है वो लम्हा
प्रवीण कुमार ने इस बारे में एक इंटरव्यू में कहा था कि आइसीसी 2011 विश्व कप टीम से बाहर होने की तकलीफ आज भी उन्हें काफी दर्द देती है। उन्होंने कहा, 'मैं विश्व कप टीम में शामिल होकर काफी खुश था क्योंकि हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह विश्व कप में अपने देश का प्रतिनिधित्व करे। यह विश्व कप चूंकि भारत में ही हो रहा था, इसलिए मैं और ज्यादा रोमांचित था। मेरा परिवार और दोस्त भी खुश थे कि वह मुझे विश्व कप में खेलते हुए देखेंगे। लेकिन एक चोट ने मेरे सभी सपनों पर पानी फेर दिया।'
कोहनी की चोट से हुए थे बाहर
2011 विश्व कप से पहले भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गई थी। वहां वनडे सीरीज से पहले अभ्यास सत्र के दौरान प्रवीण की कोहनी में चोट लग गई। प्रवीण को इलाज के लिए बीसीसीआई ने इंग्लैंड भी भेजा। लेकिन उनकी चोट सही समय पर ठीक नहीं हो सकी। इस कारण बीसीसीआई को विश्व कप शुरू होने से पहले प्रवीण को टीम से बाहर करना पड़ा। उनके स्थान पर तेज गेंदबाज एस श्रीसंत को भारतीय टीम में जगह मिली थी।
फिर कभी नहीं मिला मौका
प्रवीण कुमार को 2011 विश्व कप टीम से बाहर होने के बाद फिर कभी क्रिकेट के इस महाकुंभ में खेलने का मौका नहीं मिला। हालांकि वह साल 2018 तक क्रिकेट खेलते रहे लेकिन विश्व कप खेलने का सपना उनका अधूरा ही रह गया। आखिर में उन्होंने अक्टूबर 2018 में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले लिया।