- जवागल श्रीनाथ ने प्राइवेट एकेडमी के रवैये पर निराशा जाहिर की
- श्रीनाथ ने कहा कि क्रिकेट बिकना नहीं चाहिए, लेकिन सिखाना पड़ता है
- श्रीनाथ ने रणजी ट्रॉफी के महत्व के बारे में भी बात की
नई दिल्ली: भारतीय टीम के पूर्व तेज गेंदबाज जवागल श्रीनाथ ने बताया कि प्राइवेट क्रिकेट एकेडमी का रवैया या उद्देश्य सही नहीं हैं। उन्होंने साथ ही कहा कि क्रिकेट बिकना नहीं चाहिए बल्कि यह सिखाना पड़ता है। श्रीनाथ ने रणजी ट्रॉफी के महत्व के बारे में भी बातचीत की और इसे टेस्ट क्रिकेट की सफलता का जरिया बताया। पूर्व तेज गेंदबाज का मानना है कि अगर खिलाड़ियों को खेल से बेहतर तरह कनेक्ट होना है तो टेस्ट क्रिकेट आगे की राह है।
यह पूछने पर कि खिलाड़ियों का क्रिकेट के प्रति नजरिया बदला है तो जवागल श्रीनाथ ने कहा कि मेरे जमाने से अब तक में काफी बदलाव आया है। श्रीनाथ ने कहा कि तब ध्यान टेस्ट क्रिकेट पर हुआ करता था। उनका मानना है कि लंबे प्रारूप का महत्व समझाने के लिए मार्गदर्शन की जरूरत है।
श्रीनाथ ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, 'रणजी ट्रॉफी टेस्ट क्रिकेट के लिए प्रारंभिक प्रयास है और इस स्तर पर बढ़ने के लिए खिलाड़ी को लंबे प्रारूप में खेलने को बेकरार रहना चाहिए। अगर आप खेल से बेहतर तरीके से कनेक्ट होना चाहते हैं तो लंबा प्रारूप ही आगे का जरिया है। हम भाग्यशाली थे क्योंकि हमारा लक्ष्य सिर्फ टेस्ट क्रिकेट था, वनडे भी नहीं। अब यह अलग है क्योंकि आईपीएल बहुत चुनौतीपूर्ण है।'
श्रीनाथ ने आगे कहा, 'लाल गेंद क्रिकेट के महत्व और गहराई को समझने के लिए मार्गदर्शन की जरूरत है। एक अच्छा दिमाग वाला लाल गेंद क्रिकेटर अपना ध्यान किसी भी प्रारूप में लगा सकता है। कुछ एकेडमी का रवैया या उद्देश्य सही नहीं है। हमें उन्हें लेकर सतर्क होना चाहिए। मुझे प्राइवेट एकेडमी से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन क्रिकेट बिकना नहीं चाहिए। यह सिखाना पड़ता है।' श्रीनाथ भारत के सबसे शानदार तेज गेंदबाजों में से एक थे, जिन्हें मैसूर एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता था।
श्रीनाथ ने 1991 में इंटरनेशनल डेब्यू किया और 67 टेस्ट व 229 वनडे मैच खेले। उन्होंने कुल 551 विकेट लिए हैं। वह 2003 विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। श्रीनाथ ने टेस्ट क्रिकेट में 1000 से ज्यादा रन और 100 से ज्यादा विकेट लेने का कमाल भी किया है।