- साल 1970 में पहली के लिए 23 साल की उम्र में किया था टेस्ट डेब्यू
- दूसरी के लिए 45 साल की उम्र में मिला टेस्ट कैप पहनने का मौका
- मिस्र में हुआ था जन्म, पारिवार का ग्रीस से था ताल्लुक
नई दिल्ली: जॉन ट्रिकोस दुनिया के एक ऐसे क्रिकेट खिलाड़ी है जो जिस देश में पैदा हुए और उसके अलावा दो अन्य देशों के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने की विशिष्ठ उपलब्धि हासिल की। ऐसा दुनिया में और कोई खिलाड़ी नहीं कर सका। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो देशों का प्रतिनिधित्व करने की उपलब्धि दुनिया के चुनिंदा खिलाड़ियों को हासिल है लेकिन जॉन ट्रिकोस की कहानी इन सभी से थोड़ी अलग है। उन्होंने दो देशों के लिए 22 साल 222 दिन के अंतराल में टेस्ट क्रिकेट खेली।
जॉन ट्रिकोस का जन्म 17 मई 1947 को उनका जन्म मिस्र में हुआ था। उनके पिता वहां पारिवारिक व्यापार संभालते थे। उनका परिवार मूल रूप से ग्रीस का था। 1948 में उनका परिवार दक्षिण रोहिडीशिया( आज का जिंबाब्वे) चला गया। जॉन रोहिडीशिया में पले बढ़े और यहीं क्रिकेट खेलते थे। एक दौर था जब दक्षिण अफ्रीका के घरेलू क्रिकेट में रोहिडीशिया की टीम भी खेलती थी।
अली बाकर की सिफारिश पर मिली थी टीम में जगह
दक्षिण अफ्रीका के घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने के बाद साल 1970 में 23 साल की उम्र में अली बाकर के अनुरोध पर टीम में जगह मिली और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ डरबन में डेब्यू का मौका भी मिल गया। इस मैच की पहली पारी में उन्होंने एक और दूसरी पारी में 2 विकेट हासिल किए। इस मैच में उन्होंने चार कैच भी लपके थे। इस सीरीज के तीन मैच में उन्हें खेलने का मौका मिला था। लेकिन इसके बाद दक्षिण अफ्रीकी टीम पर रंगभेद की वजह से प्रतिबंध लग गया।
इसके बाद जॉन ट्रिकोस रोहिडीशिया के लिए खेलते रहे। साल 1980 में रोहिडीशिया का नाम जिंबाब्वे हो गया। इसके बाद वो जिंबाब्वे के लिए खेलने लगे। साल 1982, 1986 और 1990 में उन्होंने आईसीसी टूर्नामेंट्स में जिंबाब्वे का प्रतिनिधित्व किया। साल 1983 में वो इंग्लैंड में आयोजित वर्ल्डकप में भी जिबाब्वे की ओर से खेले थे। उसी दौरान उ्न्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नॉटिंघम में वनडे डेब्यू किया था।
45 साल की उम्र में जिंबाब्वे के लिए किया टेस्ट डेब्यू
जिंबाब्वे के लिए वनडे डेब्यू करने के बाद उन्हें अक्टूबर 1992 में 45 साल की उम्र भारत के खिलाफ हरारे में जिंबाब्वे के लिए टेस्ट डेब्यू का मौका मिला। इसी के साथ ही उनका नाम दो देशों के लिए टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ियों के स्पेशल क्लब में शामिल हो गया। इस मैच में उन्होंने 50 ओवर गेंदबाजी की और कुल पांच विकेट लिए।
जिंबाब्वे के लिए खेलते हुए सचिन को बनाया था पहला शिकार
जिंबाब्वे की ओर से खेलते हुए उन्होंने सचिन तेंदुलकर को अपना पहला टेस्ट शिकार बनाया। सचिन 3 गेंद में बगैर खाता खोले ट्रिकोस की गेंद पर फॉलो थ्रू में लपके गए। इसके बाद उन्होंने अजहरुद्दीन, मनोज प्रभाकर, कपिल देव और वेंकटपति राजू को अपना शिकार बनाया था। उन्होंने अपनी डेब्यू पारी में 86 रन देकर पारी में पांच विकेट झटके थे।
बड़े खिलाड़ियों के चटकाते थे विकेट
इसके एक साल बाद ट्रिकोसे को भारत के खिलाफ 1993 में दिल्ली के फिरोज शाह कोटला मैदान में टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। जिसमें उन्होंने दोहरा शतक जड़ने वाले विनोद कांबली(227) को आउट करने के अलावा कपिल देव और नवजोत सिंह सिद्धू जैसे धाकड़ बल्लेबाजों के विकेट हासिल किए थे। इस मैच में भी उन्होंने 50 ओवर गेंदबाजी की थी।
ट्रिकोसे ने अपने करियर में कुल 7 टेस्ट खेले। जिसमें से 3 दक्षिण अफ्रीका की ओर से और 4 जिंबाब्वे की तरफ से खेले। इस दौरान उन्होंने 42.72 की औसत से कुल 18 विकेट लिए। वहीं उन्होंने 27 वनडे मैच(सभी जिंबाब्वे) करियर में खेले और उनमें कुल 19 विकेट लिए। वनडे में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 3/35 रन था। ये प्रदर्शन उन्होंने भारत के खिलाफ 1992 में हैमिल्टन में किया था।
दो टेस्ट के बीच अधिकतम अंतराल का इनके नाम है रिकॉर्ड
जॉन ट्रिकोस के नाम सबसे लंबे अंतराल में दो टेस्ट खेलने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज है। दक्षिण अफ्रीका के लिए आखिरी और जिंबाब्वे के लिए खेले पहले टेस्ट मैच के बीच 22 साल और 222 दिन का अंतर था। ये अनोखा रिकॉर्ड उनके नाम कायम है।