- वॉशिंगटन सुंदर के पिता ने सुनाया बेटे की बहादुरी का किस्सा
- सिर्फ 9 साल की उम्र में सुंदर ने सिर में चोट लगने के बावजूद खेला था मैच
- सुंदर ने मैच विजयी पारी खेली, तभी सबको लगा कि यह कुछ बड़ा करेगा
नई दिल्ली: जब वॉशिंगटन सुंदर 10 साल के हुए तब उनका रोजाना रूटीन था चेन्नई के पुडुपेट में अपने पिता सुंदर की क्रिकेट एकेडमी में जाकर अभ्यास करना। स्कूल जाने से पहले वॉशिंगटन सुंदर एकेडमी में 3 घंटे अभ्यास करते थे। वॉशिंगटन सुंदर के वीकेंड्स भी वहीं गुजरते थे। वॉशिंगटन सुंदर के पिता चेन्नई में ग्रेड क्रिकेट से आगे नहीं बढ़ सके, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपने बेटे का सपना सच करने में मदद करेंगे। वॉशिंगटन सुंदर की बड़ी बहन शैलजा भी क्रिकेटर हैं, जो अंडर-19 स्तर पर तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व करती हैं। शैलजा अपने छोटे भाई को नैसर्गिक और क्रिकेट के प्रति रुचिकर बताती हैं।
क्रिकेट के लिए उत्साहित पिता और बड़ी बहन के होने के बाद किसी को यह पता लगाना मुश्किल नहीं था कि युवा वॉशिंगटन सुंदर अपना करियर कहां बनाएंगे। वह उम्र-समूह स्तर पर लगातार प्रगति कर रहे थे। 14 साल की उम्र में उन्होंने तमिलनाडु रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बनाई। फिर एम सेंथिलनाथन के मार्गदर्शन में एमआरएफ पेस फाउंडेशन में सुंदर का चयन हुआ। यहां वॉशिंगटन सुंदर ने बतौर बल्लेबाज अपनी शैली निखारी और तेज पिचों पर गुणी तेज गेंदबाजों का सामना किया।
ऐसी शुरूआत का फायदा वॉशिंगटन सुंदर को गाबा में हुआ जहां उन्होंने तीन विश्व स्तरीय तेज गेंदबाजों मिचेल स्टार्क, जोश हेजलवुड और पैट कमिंस का डटकर मुकाबला किया। वॉशिंगटन सुंदर की पारी टी20 की तरह की नहीं थी। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का बेखौफ होकर सामना किया और मौका मिलते ही रन बटोरे। सेंथिलनाथन ने बताया, 'ऐसा लगा नहीं कि वॉशिंगटन सुंदर अपना टेस्ट डेब्यू कर रहे हैं। वह काफी शांत और सहज नजर आए। वह कभी स्पिनर या तेज गेंदबाजों के खिलाफ बिखरे हुए नजर नहीं आए। 14 साल की उम्र से सख्त और उछालभरी पिचों पर खेलने से उसे मदद मिली।' क्रीज पर ठहरने के अलावा वॉशिंगटन सुंदर ने दर्शाया कि वह लड़ाई करने को तैयार हैं।
9 साल की उम्र में जीता दिल
सुंदर ने वॉशिंगटन के बचपन का एक किस्सा बताया, जिससे पता चलता है कि युवा बल्लेबाज बेखौफ होकर खेलना पसंद करता है। सुंदर ने कहा, 'वॉशिंगटन सुंदर तब 9 साल का था और चेन्नई में अंडर-14 इंटर स्कूल मैच से पहले अभ्यास के दौरान उसे सिर में चोट लगी थी। तब वॉशिंगटन सुंदर के माथे पर 5 टाके लगे थे। वह अगले दिन मैच खेलने गया और मैच विजयी 39 रन बनाए। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि वॉशिंगटन उनमें से नहीं, जो चुनौतियों का सामना करने में घबराए।'
शैलजा ने बताया, 'वॉशिंगटन ने अपने करियर में अधिकांश ज्यादा अनुभवी गेंदबाजों का सामना किया। वो जब 10 साल का था तभी अंडर-14 स्तर पर खेल रहा था। जब वो 16 का हुआ तब भारतीय अंडर-19 टीम में चुना गया।' पिता सुंदर ने बताया, 'वॉशिंगटन को आईपीएल या टी20 में देखने वालों को लगता है कि वो ऑफ स्पिनर है, जो थोड़ी बल्लेबाजी कर लेता है। मगर यह सच नहीं है। मेर हमेशा से मानना रहा कि उसमें बल्लेबाजी की प्रतिभा भी थी। मैं तो यह कहूंगा कि सुंदर 70 प्रतिशत तक बल्लेबाज हैं।' वॉशिंगटन सुंदर से क्रिकेट फैंस को दमदार प्रदर्शन की उम्मीद है और भविष्य में वो अपने फैंस को खुश रखना चाहेंगे।