- एमएस धोनी की खोज करने का श्रेय किरण मोरे को जाता है
- भारतीय टीम 2003 विश्व कप के बाद विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश में थी
- मोरे ने बताया कि धोनी को खिलाने के लिए गांगुली को मनाने में 10 दिन लगे थे
नई दिल्ली: विकेटकीपिंग की जब बात आती है तो पूर्व भारतीय कप्तान एमएस धोनी का कोई सानी नहीं है। धोनी ने अपने आप को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर बल्लेबाज के रूप में स्थापित किया। विकेट के पीछे उनके तेज रिफ्लेक्स और बल्ले से धुआंधार शॉट धोनी की पहचान बन गए। हालांकि, कम ही लोग यह बात जानते हैं कि किरण मोरे को एमएस धोनी की खोज का श्रेय जाता है, जिन्होंने भारतीय क्रिकेट जगत में विकेटकीपर बल्लेबाज का परिचय कराया।
किरण मोरे ने धोनी के चयन को याद करते हुए कहा कि 2003 विश्व कप के बाद भारतीय सेलेक्टर्स राहुल द्रविड़ के विकल्प की तलाश में थे। प्रबंधन को उम्मीद थी कि किसी ऐसे की तलाश करे तो अपनी पारी तेजी से बढ़ाना जानता हो और फिनिशर की भूमिका निभा सके।
कर्टली एंड करिश्मा शो में बातचीत करते हुए किरण मोरे ने कहा, 'हम तब विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश में थे। उस समय प्रारूप बदल रहा था और हमें दमदार शॉट लगाने वाले खिलाड़ी की तलाश थी, कोई ऐसा जो नंबर-6 या 7 पर आए और तेजी से 40-50 रन बनाए। राहुल द्रविड़ ने विकेटकीपर के रूप में 75 वनडे खेले, जिसमें 2003 विश्व कप शामिल था। इसलिए हम विकेटकीपर की तलाश कर रहे थे।'
बातचीत में आगे मोरे ने याद किया कि सौरव गांगुली को उन्हें राजी करने में 10 दिन लग गए थे कि दीप दासगुप्ता की जगह धोनी को विकेटकीपर के रूप में आजमाकर देखा जाए। मोरे ने खुलासा किया कि उन्होंने एक घरेलू प्रतियोगिता में धोनी को पहली बार खेलते हुए देखा था और वह फाइनल्स में उन्हें ईस्ट जोन के लिए विकेटकीपिंग करते हुए देखना चाहते थे।
मोरे ने सुनाई मजेदार कहानी
हालांकि, तब गांगुली को राजी करना मुश्किल था कि क्योंकि उन दिनों दीप दासगुप्ता ईस्ट जोन के विकेटकीपर थे। मोरे ने किसी तरह गांगुली को मनाया और धोनी ने निराश नहीं किया। किरण मोरे ने कहा, 'मेरे साथी ने उन्हें पहली बार खेलते देखा और फिर मैंने जाकर धोनी का खेला देखा। मैं विशेषकर उसका खेल देखने गया था क्योंकि टीम के 170 रन के स्कोर में 130 रन धोनी ने बनाए थे। उसने सभी गेंदबाजों की धुनाई की थी।'
मोरे ने कहा, 'हम चाहते थे कि फाइनल में धोनी विकेटकीपर बनकर खेले। तब हमारी सौरव गांगुली के साथ काफी बातचीत हुई और दीप दासगुप्ता तब भारत के लिए खेल रहे थे और कलकत्ता के थे। इसलिए गांगुली को मनाने में 10 दिन लग गए। उनके चयनकर्ताओं ने दीप दासगुप्ता को विकेटकीपिंग करने से मना किया और एमएस धोनी को जिम्मेदारी मिली।'