- जीत के बाद जब सब खिलाड़ी मैदान की ओर भागे तब कहां गए थे सहवाग
- ये खिलाड़ी बना था धोनी का बह्मास्त्र
- गेंदबाजी के तरकश में नए तीर के साथ मैदान पर उतरे थे जहीर खान
नई दिल्ली: आज से 9 साल पहले 2 अप्रैल 2011 को महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका को मात देकर दूसरी बार विश्व कप पर कब्जा कर लिया था। पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने महेला जयवर्धने की 103 रन की शतकीय पारी की बदौलत 6 विकेट पर 274 रन का स्कोर खड़ा किया था। लेकिन लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत बेहद खराब रही थी। लसिथ मलिंगा ने कहर परपाते हुए 6.1 ओवर में महज 31 रन पर सचिन और सहवाग जैसे खिलाड़ियों को पवेलियन वापस भेज दिया था। ऐसे में गौतम गंभीर(97) और महेंद्र सिंह धोनी(91*) ने मोर्चा संभालते हुए भारत को खिताबी जीत दिला दी थी। ये जीत बेहद ऐतिहासिक थी आइए जानते हैं इस मैच से जुड़ी पांच रोचक बातें।
सचिन ने किया था ये टोटका
सचिन तेंदुलकर क्रिकेट में अंधविश्वास को बहुत मानते हैं। ऐसे में जब लक्ष्य का पीछा करते हुए जब सहवाग और वो सस्ते में पवेलियन लौट आए और मैच में भारतीय टीम ने वापसी कर ली तो जब तक धोनी ने विजयी छक्का नहीं जड़ दिया तब तक सचिन और सहवाग अपनी जगह से नहीं हिले। भारतीय पारी के दौरान सचिन ने सहवाग को टॉयलेट तक नहीं जाने दिया। जब धोनी ने छक्का लगाकर टीम इंडिया को जीत दिलाई तब पूरी टीम मैदान की ओर भाग रही थी तो सहवाग ड्रेसिंग रूप में टॉयलेट की ओर।
इसलिए पहले बल्लेबाजी करने उतरे थे धोनी
धोनी इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि युवराज को मुरलीधरन का सामना करने में थोड़ा असहज महसूस होता है। मुरली की गेंद फाइनल में टर्न करने लगी थी ऐसे में धोनी ने आईपीएल से मिले फायदे को मैच में भुनाया। सीएसके के लिए खेलते हुए मुरलीधरन के खिलाफ धोनी ने नेट्स पर बहुत अभ्यास किया था। धोनी को मालूम था कि यदि मुरली को ज्यादा विकेट नहीं लेने दिए जाए तो भारतीय टीम खिताब अपने नाम कर सकती है और उन्होंने यही सोचकर कोच गैरी कर्स्टन से कह दिया था कि यदि अब कोई विकेट गिरता है तो वो बल्लेबाजी करने जाएंगे।
नए हथियार के साथ उतरे थे जहीर
जहीर खान ने 2011 विश्व कप के लिए अलग तरह से तैयारी की थी और वो पूरे टूर्नामेंट में टीम के लिए बेहद अहम साबित हुए थे। जहीर ने विश्व कप के लिए अपने तरकश में एक नया तीर नकल गेंद के रूप में शामिल किया था लेकिन उन्होंने विश्व कप से पहले इसका इस्तेमाल मैदान पर नहीं किया और विरोधियों को इसके बारे में भनक भी नहीं लगने दी जिससे कि वो उनके इस अचूक हथियार का काट ढूंढ सकें। विश्व कप में उन्होंने बड़े शातिर ढंग से इस गेंद का इस्तेमाल कर विरोधी बल्लेबाजों के लिए परेशानियां खड़ी कर दी थीं। जहीर विश्व कप में सबसे सफल तेज गेंदबाज रहे थे। उन्होंने
अश्निन बने धोनी का ब्रम्हास्त्र
धोनी ने बड़ी ही चालाकी के साथ अश्विन का विश्व कप के दौरान इस्तेमाल किया। उन्होंने अश्निन को सबकी नजरों से छिपाकर रख और जब मौके आए तब इस्तेमाल किया। धोनी ने अश्निन को दो मैचों में ही मौका दिया और वो दोनों में टीम के लिए अहम साबित हुए। वेस्टइंडीज के खिलाफ मुकाबले में उन्होंने गेंदबाजी की शुरुआत की और 10 ओवर में 41 रन देकर 2 विकेट झटके। वहीं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्वार्टर फाइनल मुकाबले में रिकी पॉन्टिंग और शेनवॉर्न जैसे खिलाड़ियों को पवेलियन भेजकर भारत को सेमीफाइनल में पहुंचाया। इससे पहले धोनी लीग मैचों में पीयूष चावला को खिला रहे थे और अश्निन की तरफ लोगों को ध्यान नहीं जाने दे रहे थे जो कि टीम इंडिया के लिए फायदेमंद साबित हुआ।