- ऑस्ट्रेलिया ने भारत के सामने रखा था जीत के लिए 360 रन का लक्ष्य
- रिकी पॉन्टिंग ने खेली थी 140 रन की धमाकेदार शतकीय पारी, जड़े थे 8 छक्के
- 125 रन के अंतर से टीम इंडिया को मिली थी खिताबी जंग में मात
नई दिल्ली: 23 मार्च 2003 भारतीय क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक ऐसा दिन है जिसे वो शायद ही कभी याद करना चाहते हैं। दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में खेले गए विश्व कप के फाइनल में 17 साल पहले आज के ही दिन भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ करारी 125 रन के अंतर से करारी हार का सामना करना पड़ा था। वो जख्म इतना गहरा था कि आज तक भारतीय प्रशंसक उस मैच को नहीं भुला सके हैं। जब भी वो उस मैच को पीछे मुड़कर देखते हैं तो सचिन तेंदुलकर के साथ पूरी टीम का मायूस चेहरा याद आ जाता है।
उस मैच में भारतीय टीम की हार की वजह गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों में पहला ओवर ही बना। ऐसे में गेंदबाजी के दौरान पहली भूल युवा जहीर खान कर बैठे और बल्लेबाजी के दौरान अनुभवी सचिन तेंदुलकर ने हार की कहानी लिख डाली। इसके साथ ही सौरव गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम का विश्व विजय का सपना चकनाचूर हो गया।
पहले ओवर में जहीर ने लुटाए 15 रन
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलिया के लिए पारी की शुरुआत करने एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडेन की जोड़ी उतरी। ऐसे में कप्तान गांगुली ने पारी की शुरुआत के लिए गेंद जहीर खान के हाथों में सौंप दी। कंगारुओं के खिलाफ आक्रामक रुख के साथ गेंदबाजी करने उतरे जहीर खान अपनी लाइन लेंथ पर काबू नहीं कर सके और पहले ही ओवर में 15 रन लुटा कर भारतीय टीम को दबाव में ला दिया।
पहले ओवर में फेंकी दो नो और दो वाइड बॉल
जहीर ने स्पेल की शुरुआत नो बॉल के साथ शुरुआत की। इसके एक गेंद बाद उन्होंने दोबारा वही भूल कर दी। उनके खिलाफ रन बनाने की ज्यादा कोशिश गिलक्रिस्ट और हेडेन की जोड़ी नहीं कर रही थी लेकिन ज्यादा तेज गति और आक्रामक तरीके से गेंदबाजी करने के चक्कर में उनकी लय खो गई। इस ओवर में उन्होंने कुल 10 गेंदें फेंकी जिसमें 2 वाइड और 2 नो बॉल थी। दो चौके इस ओवर में गए उसमें से एक वाइड बॉल पर गया दूसरी हेडेन ने उसकी अलगी ही गेंद पर जड़ दिया। ऐसे में पहले ही ओवर में ऑस्ट्रेलियाई टीम हावी हो गई और पूरी पारी में भारतीय गेंदबाजों को वापसी का मौका नहीं मिला।
ऑस्ट्रेलिया को हेडेन गिलक्रिस्ट ने दी धुआंधार शुरुआत
पहले विकेट के लिए हेडेन और गिलक्रिस्ट ने 14 ओवर में 105 रन जोड़ दिए। गिलक्रिस्ट(57) के हरभजन की गेंद पर आउट होने के बाद कप्तान रिकी पॉन्टिंग बल्लेबाजी के लिए आए लेकिन हेडेन कप्तान का साथ ज्यादा देर नहीं दे सके और वो भी हरभजन का शिकार बने।
पॉन्टिंग-मार्टीन ने छुड़ाए छक्के
20वें ओवर में 125 रन पर ऑस्ट्रेलिया ने दो विकेट गंवा दिए थे तो ऐसा लगा कि भारत वापसी कर लेगा लेकिन इसके बाद रिकी पॉन्टिंग और डेमियन मार्टीन ने भारतीय गेंदबाजों की जमकर धुनाई की और अंत तक आउट नहीं हुए। पॉन्टिंग ने 121 गेंद पर नाबाद 140 और मार्टीन ने 84 गेंद पर 88 रन जड़े। पॉन्टिंग के आक्रामक रुख का अंदाजा इसी बातसे लगाया जा सकता है कि उन्होंने पारी के दौरान चार चौके और 8 छक्के जड़े थे। इस तरह ऑस्ट्रेलिया ने 50 ओवर में 2 विकेट पर 359 रन का स्कोर खड़ा कर दिया।
पांचवीं हीं गेंद पर आउट हुए सचिन
जीत के लिए एक बार फिर सारा दारोमदार सचिन तेंदुलकर पर आ गया जो शानदार फॉर्म में थे और टीम को अकेले दम फाइनल तक लेकर आए थे। ऐसे में खिताबी जीत के लिए 360 रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया के लिए सचिन तेंदुलकर और वीरेंद्र सहवाग की जोड़ी उतरी। जीत टीम के इन्हीं दोनों बल्लेबाजों के कंधों पर टिकी थी। ऐसे में सचिन ने ग्लैन मैक्ग्रा के ओवर की चौथी गेंद पर आगे बढ़कर चौका जड़ दिया। तो लोगों को लगा कि सचिन आज अलग अवतार में नजर आएंगे लेकिन अगली ही गेंद पर वो दोबारा बड़ा शॉट करने की भूल कर बैठे और मैक्ग्रा ने उनका कैच अपनी ही गेंद पर लपक लिया और भारत की जीत की संभावना तकरीबन खत्म हो गई।
ऐसे में विकेटों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया लेकिन बीच में वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ की जोड़ी इसे रोकने में कामयाब हुई लेकिन 81 गेंद पर 82 रन की पारी खेलने के बाद सहवाग रन आउट हो गए और इसके बाद जीत की आशाएं धूमिल हो गईं। अंत में भारतीय टीम 39.2 ओवर में 234 रन बनाकर ढेर हो गई और गांगुली की टीम का विश्व विजय का सपना भी चकनाचूर हो गया।