नई दिल्ली: विराट कोहली और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के तरीके की तुलना संमय समय पर तुलना होती रहती है। एक तरफ जहां धोनी को कैप्टन कूल कहा जाता थी वहीं दूसरी तरफ विराट की पहचान एक आक्रामक कप्तान की है। धोनी जहां अपने भावनाओं को चेहरे पर नहीं आने देते थे वहीं विराट अपनी भावनाओं को जगजाहिर करने में कोई संकोच नहीं करते। लेकिन दोनों खिलाड़ियों की चाहत एक सी है कि दोनों ही टीम इंडिया को जीतते और दुनिया की नंबर एक टीम बनते देखना चाहते हैं।
ऐसा करके महान बने विराट
धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम को साल 2011 में विश्व चैंपियन बनाने में मेंटल कंडिशनिंग कोच पैडी अपटन की भी अहम भूमिका थी। उन्होंने विराट कोहली के मौजूदा सफर के बारे में चर्चा करते हुए कहा, फिटनेस के प्रति उनकी सोच और रवैये ने बदलाव ने उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाया है।
विराट और माही दोनों अलग शैली के कप्तान
विराट कोहली और एमएस धोनी की कप्तानी की पर बात करते हुए कहा कि दोनों अलग-अलग शैली के कप्तान हैं। धोनी जहां शांत चित्त और स्थिर दिमाग वाले कप्तान हैं तो विराट थोड़े भावुक हैं। हालांकि विराट उत्साहित और ऊर्जावान खिलाड़ी हैं वो अपनी भावनाओं का खुलकर इजहार करते हैं। इस बात का अंदाजा हम मैदान पर उनके व्यवहार में उतार-चढ़ाव से लगा सकते हैं।
उन्होंने कप्तान के साथी खिलाड़ियों पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात करते हुए कहा, खिलाड़ी जितने अधिक भावुक या अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाने वाले होते हैं ऐसे लोगों पर कप्तान की बातों का ज्यादा प्रभाव पड़ता है। प्रशंसा के दो शब्द किसी भी खिलाड़ीका हौसला बढ़ाने में मददगार होते हैं और उससे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाते हैं। कोहली इस तरीके से खिलाड़ियों के अंदर वाकई में जोश भर देते हैं।