एक देश के रूप में पाकिस्तान की हालत क्या है ये किसी से छुपा नहीं है। आर्थिक हालात बुरे हैं और साथ ही लोग वहां की राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हमेशा की तरह पिसे जा रहे हैं। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) भी अपने देश के हालातों का प्रतिबिंब रहा है। आए दिन पाकिस्तान क्रिकेट के बर्बाद होने की खबरें आती रहती हैं, कभी सरकार से मदद मांगी जाती है तो कभी व्यापारियों से। ताजा खबर भी उनकी बदहाली की सूरत बयां करने वाली है।
दरअसल, पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने राष्ट्रीय टी20 चैंपियनशिप में भाग लेने वाले 240 खिलाड़ियों, अधिकारियों और अन्य हितधारकों से कोविड-19 के शुरुआती परीक्षण के लिये खुद भुगतान करने को कहा है। बोर्ड के अनुसार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिये प्रत्येक खिलाड़ी और अधिकारी के कोविड-19 के दो परीक्षण नेगेटिव आने अनिवार्य हैं। यह टूर्नामेंट 30 सितंबर से रावलपिंडी और मुल्तान में शुरू होगा।
पीसीबी ने कहा कि दूसरे कोविड-19 परीक्षण का भुगतान वो स्वयं करेगा। पीसीबी सूत्रों ने कहा, ‘‘खिलाड़ियों, अधिकारियों और हितधारकों को शुरुआती परीक्षण का भुगतान स्वयं करना होगा।’’
पाकिस्तान में कितना कमाते हैं घरेलू क्रिकेटर?
कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) ने अपने घरेलू खिलाड़ियों के वेतन में कुछ वृद्धि की थी इसलिए जानबूझकर अब वो हर चीज का बोझ खिलाड़ियों के ऊपर डालने पर आमादा है। पीसीबी द्वारा घोषित संशोधित वेतन संरचना के अनुसार देश के शीर्ष घेरलू क्रिकेटर एक सत्र में इस खेल से 32 लाख पीकेआर (लगभग 14 लाख भारतीय रूपये) की कमाई कर सकते हैं जिसमें डेढ़ लाख पीकेआर (लगभग 66 हजार भारतीय रुपये) मासिक रिटेनर भी शामिल है।
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने 30 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र से पहले इस वेतन संरचना की घोषणा की जिसमें घरेलू खिलाड़ी 2019-20 सत्र की तुलना में कम से कम सात प्रतिशत अधिक कमाई करेंगे। बेशक पीसीबी ने खिलाड़ियों के वेतन में कुछ बढ़ोतरी कर दी लेकिन पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई को देखते हुए ये ताजा बदलाव उनके लिए ना के बराबर है।