- साल 1992 में प्रवीण आमरे ने अपने डेब्यू टेस्ट में जड़ा था शतक
- डरबन में मुश्किल वक्त में शतक जड़कर बचाई थी टीम की लाज
- शानदार शतकीय पारी के लिए चुने गए थे प्लेयर ऑफ द मैच
मुंबई: विराट कोहली की कप्तानी वाली भारतीय टेस्ट टीम गुरुवार तड़के दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिए रवाना हो गई। दौरे पर भारत को तीन टेस्ट और तीन वनडे मैच खेलने हैं। 26 दिसंबर को बॉक्सिंग डे टेस्ट के साथ टीम इंडिया अपने अभियान की शुरुआत करेगी। टीम इंडिया के पास मेजबान टीम को पटखनी देने का शानदार मौका है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में विजय पताका फहराने के बाद भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर भी विजयी परचम लहराना चाहती है।
टीम इंडिया की जीत का दारोमदार इस बार भी बल्लेबाजों पर रहेगा। क्योंकि बल्लेबाजों के पिच पर टिके बगैर गेंदबाजों को अपना हुनर दिखाने का मौका नहीं मिलता है। भारतीय बल्लेबाजों के दक्षिण अफ्रीकी सरजमीं पर आंकड़े खास नहीं रहे हैं। ऐसें में आइए नजर डालते हैं उस खिलाड़ी पर जिसने दक्षिण अफ्रीका सरजमीं पर शतक जड़ने वाले पहले भारतीय होने के उपलब्धि साल 1992 में अपने नाम की थी।
प्रवीण आमरे थे दक्षिण अफ्रीका में पहले शतकवीर
वो बल्लेबाज थे रमाकांत आचरेकर के शिष्य प्रवीण आमरे। आमरे साल 1992 में दक्षिण अफ्रीका का दौरा करने वाली भारतीय टेस्ट टीम के सदस्य थे और उन्होंने डरबन में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मैच में शतक जड़ने का कारनामा कर दिखाया था। दुनिया की सबसे तेज पिच वाले डरबन के मैदान पर आमरे ने मुश्किल वक्त में बल्लेबाजी करने उतरे और टीम को पहली पारी में बढ़त दिलाने में अहम भूमिका अदा की थी।
38 रन पर गंवा दिए थे 4 विकेट
दक्षिण अफ्रीका के 254 रन के स्कोर के जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी टीम इंडिया ने 38 रन पर 4 विकेट गंवा दिए थे। रवि शास्त्री, अजय जडेजा, संजय मांजरेकर और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी पवेलियन लौट चुके थे। ऐसे में आमरे ने कप्तान अजहरुद्दीन के साथ मोर्चा संभाला और उनके साथ 87 रन की साझेदारी करके टीम को संभाला।
मोरे के साथ की शतकीय साझेदारी
125 के स्कोर पर अजहर के आउट होने के बाद एक बार फिर विकेटों की झड़ी लग गई। कपिल देव, मनोज प्रभाकर भी उनके बाद पवेलियन लौट गए। ऐसे में आमरे ने विकेटकीपर बल्लेबाजी किरण मोरे के साथ पारी को संभाला। दोनों ने आठवें विकेट के लिए 101 रन की शतकीय साझेदारी की। इसी दौरान अपने डेब्यू मैच में आमरे ने शतक जड़ने का कारनामा कर दिखाया। वो दक्षिण अफ्रीका में शतक जड़ने वाली पहले भारतीय बने थे। साथ ही विदेशी सरजमीं पर डेब्यू मैच में सैकड़ा जड़ने वाले तीसरे भारतीय भी बने थे।
6 घंटे 14 मिनट तक की बल्लेबाजी
आमरे 374 मिनट तक पिच पर टिके रहे। उन्होंने इस दौरान 299 गेंद का सामना किया और 103 रन बनाकर आउट हुए। इस पारी के दौरान उन्होंने 11 चौके जड़े। आमरे की शतकीय पारी की बदौलत टीम इंडिया मैच को ड्रॉ कराने में सफल हुई थी। प्रवीण आमरे को मैन ऑफ द मैच चुना गया था। टीम इंडिया को मैच में दोबारा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला था।
शानदार शुरुआत का नहीं उठा पाए फायदा
प्रवीण आमरे के टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत रही थी लेकिन वो इसका फायदा नहीं उठा सके। उनका टेस्ट करियर कुल 10 महीने लंबा रहा। करियर में उन्होंने कुल 11 टेस्ट मैच खेले। इस दौरान दो बार उन्होंने दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया। 11 टेस्ट मैच की 13 पारियों में 3 बार नाबाद रहते हुए 42.50 की औसत से 425 रन बनाए। आमरे ने अपने करियर का आखिरी टेस्ट श्रीलंका के खिलाफ कोलंबो में खेला था। लगातार असफल रहने के बाद भी आमरे फरवरी 1994 तक टीम इंडिया के सदस्य रहे लेकिन इसके बाद उनकी टीम इंडिया में फिर कभी वापसी नहीं हुई।