- भारत के लिए 4 टेस्ट और 3 वनडे मैच खेल चुके हैं पृथ्वी शॉ
- साल 2018 में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू टेस्ट में जड़ा था शानदार शतक
- शुरुआती सफलता के बाद राह से भटकते दिखे हैं शॉ, सचिन भी दे चुके हैं अनुशासित रहने की नसीहत
मुंबई: टीम इंडिया के युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ की क्षमता और प्रतिभा में किसी को कोई शक नहीं है। इसी वजह से महज 19 साल की उम्र में उनकी तुलना सचिन तेंदुलकर से की जाने लगी थी। शॉ एक नैसर्गिक क्रिकेट खिलाड़ी हैं और उनके अंदर भविष्य में एक बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए जरूरी सभी खूबियां हैं। लेकिन टीम इंडिया के पूर्व टेस्ट ओपनर वसीम जाफर को लगता है कि इसके लिए इस युवा खिलाड़ी को अपने खेल कुछ पहलुओं में छोटे-मोटे सुधार करने होंगे।
अक्टूबर 2018 में पृथ्वी शॉ टेस्ट डेब्यू में शतक जड़ने वाले 15वें भारतीय बल्लेबाज बने थे। उन्होंने राजकोट में वेस्टइंडीज के खिलाफ 134 रन की पारी खेली थी। जाफर ने कहा कि जितनी आसानी से वो शॉट खेलते हैं उनका तरीका उन्हें भारत के एक और धमाकेदार ओपनर वीरेंद्र सहवाग की याद दिलाता है। जिन्होंने अपने खेल के अंदाज से टेस्ट क्रिकेट में ओपनर की भूमिका की नई परिभाषा लिख डाली। जाफर को लगता है कि सहवाग की तरह सफल होने के लिए शॉ को अपने खेल में थोड़ा सुधार करना होगा।
सहवाग जैसा बनने की है क्षमता
जाफर ने कहा, मेरी नजर में पृथ्वी शॉ नि:संदेह एक विशिष्ट खिलाड़ी है। जिस अंदाज में वो शॉट जड़ते हैं अगर वो इंसी तरह खेलना जारी रखते हैं तो उनके अंदर वीरेंद्र सहवाग जैसा खिलाड़ी बनने की क्षमता है। वो विरोधी गेंदबाजों को पूरी तरह धराशाई कर सकता है। लेकिन कुछ पहलुओं पर उन्हें अपने खेल को बेहतर तरीके से समझना होगा कि कहां, कब उन्हें पीछे जाना है। उन्हें न्यूजीलैंड दौरे पर ये बात दो बार नजर आई जब वो शॉर्ट पिच गेंद पर आउट हुए। वो उनके जाल में फंस गए थे।
मैदान के बाहर अनुशासन की है कमी
ऑस्ट्रेलिया के साल 2018/19 के दौरे के लिए उन्हें टीम में शामिल किया गया था। सीरीज के आगाज से ठीक पहले उनकी एड़ी में चोट लग गई थी और टीम से उन्हें बाहर जाना पड़ा था। इसके बाद अन्य ओपनर मयंक अग्रवाल की टीम इंडिया में एंट्री हुई थी। चोट से उबरते वक्त वो डोपिंग में फंस गए और 9 माह के प्रतिबंध का उन्हें सामना करना पड़ा। इसी दौरान उनसे जुड़ी अनुशासनहीनता की खबरें भी सामने आईं। ऐसे में बीसीसीआई ने सचिन तेंदुलकर को इस युवा खिलाड़ी से मिलकर उसे अनुशासन का पाठ पढ़ाने का अनुरोध करना पड़ा था। इसके बाद न्यूजीलैंड दौरे के लिए उनकी टेस्ट टीम में वापसी हुई थी। लेकिन वो दूसरे टेस्ट में अर्धशतकीय पारी खेल सके और दोबारा से अपनी छाप छोड़ने में नाकामयाब रहे।
मौजूदा परिस्थितियों में जाफर को लगता है कि उन्हें भारत के लिए बड़ा और सफल खिलाड़ी बनने के लिए खुद पर कुछ मामलों में नियंत्रण करना होगा। जाफर ने कहा, मैदान के बाहर के जीवन में उन्हें और अधिक अनुशासित होना पड़ेगा। क्योंकि मुझे लगता है कि उनका खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर में सफल होने लायक है। लेकिन उन्हें क्रिकेट के बाहर की दुनिया में और अधिक अनुशासित होना पड़ेगा।'