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जब 199 पर नॉट आउट पवेलियन लौटे थे रोहित, तब क्या चल रहा था उनके मन में

Updated Oct 20, 2019 | 19:42 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

रोहित शर्मा को रविवार को रांची टेस्ट में दोहरा शतक पूरा करने के लिए 45 मिनट लंबा इंतजार करना पड़ा। लंच में जब वो 199 रन बनाकर नाबाद पवेलियन लोटे तो उनके मन में क्या चल रहा था उन्होंने इसका खुलासा किया है।

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Rohit Sharma Press

रांची: भारत की सीमित ओवरों की क्रिकेट टीम के उपकप्तान रोहित शर्मा बतौर ओपनर टेस्ट क्रिकेट में अपनी मजबूत छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में उन्होंने बतौर ओपनर सफेद जर्सी में बल्लेबाजी करनी शुरू की तो टी-20 और वनडे क्रिकेट की बल्लेबाजी का रंग उनके खेल में नजर आने लगा। उन्होंने विशाखापट्टनम में बतौर ओपनर पहली दो पारियों में शतक जडकर डबल धमाल किया। उसके बाद पुणे में नाकाम रहे लेकिन रांची में उन्होंने एक बार फिर धमाल मचाते हुए अपने करियर को छठे टेस्ट शतक को दोहरे शतक में तब्दील कर दिया। वो 212 रन बनाकर आउट हुए। उनकी इस शानदार पारी की बदौलत भारतीय टीम पहली पारी में 9 विकेट पर 497 रन बनाने में सफल रही। 

रोहित ने दूसरे दिन लंच के बाद कगिसो रबाडा की गेंद पर छक्का जड़कर अपना दोहरा शतक पूरा किया। वो इस अंदाज में टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक जड़ने वाले पहले भारतीय बल्लेबाज हैं। रोहित ने अपनी इस पारी में 28 चौके और 6 छक्के जड़े। मैच में रोचक मोड़ तब आया जब रोहित को लंच के लिए 199 रन के स्कोर पर नाबाद पवेलियन लौटना पड़ा। 199 के स्कोर पर वो नर्वस नजर आ रहे थे। ऐसे में उन्होंने दिन का खेल खत्म होने के बाद इस बारे में खुलासा किया कि उनके मन में उस वक्त क्या चल रहा था। 

 रोहित ने कहा, इस खेल का चरित्र ही ऐसा है। आप इस बारे में कुछ नहीं कर सकते। मैं ये नहीं कह सकता कि ये निराशाजनक था। तब समय खत्म होना था तो खत्म हो गया। हालांकि मैं इस बारे में तब कुछ नहीं सोच रहा था। मुझे मालूम था कि मेरा टाइम आएगा और जब ऐसा होना होगा हो जाएगा। उस वक्त मेरा नजरिया इस बारे में सकारात्मक नजरिया था। कई बार आप ऐसी स्थिति में फ्रस्ट्रेट हो जाते हैं। लेकिन आप ऐसी स्थिति में कुछ नहीं कर सकते। मैं 199 रन बनाकर खुशी-खुशी पवेलियन वापस लौटा था। 

मौके का फायदा उठाना था लक्ष्य 

जब भी हमें मौका मिलता है तो हम कोशिश करते हैं कि उस मौके का फायदा उठाएं। आपसे जितना हो सकता है आप उतना अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं। टॉप ऑर्डर पर बल्लेबाजी करने का मुझे अच्छा मौका मिला है। उस मौके का मुझे पूरा उपयोग करना था नहीं तो काफी कुछ होने वाला था। आप लोग( मीडिया) बहुत कुछ लिख लेते थे मेरे बारे में इसलिए अब शायद अच्छी चीज लिखेंगे। 

रिकॉर्ड मायने नहीं रखते 

जब आप बल्लेबाजी करते हैं तो कौन-कौन से रिकॉर्ड टूटते हैं आपको इस बारे में कुछ पता नहीं होता। ये सब रिकॉर्ड्स को मैं जब खेलना छोड़ दूंगा तब देखूंगा अभी नहीं देखूंगा। 

क्या यह थी करियर की सबसे चुनौतीपूर्ण पारी

केवल इस पारी के बारे में बात करें तो ये चुनौती पूर्ण तो थी मैंने ज्यादा टेस्ट क्रिकेट नहीं खेली है। मैंने अब तक केवल 30 टेस्ट खेले हैं। इस टेस्ट मैच में मेरे सामने जो स्थितियां सामने आईं उस आधार पर कह सकता हूं के ये चुनौतीपूर्ण थी। 

पसंद करता हूं ओपनिंग करना, लेकिन टेस्ट में ओपनिंग है मुश्किल काम

इससे पहले भी जब मैं जिस पोजीशन पर खेलता था वहां पर भी मेरी कोशिश अच्छा करने की होती थी। ऐसा नहीं था कि बतौर ओपनर ही अच्छा प्रदर्शन करना था। हां मैं पारी की शुरुआत करना पसंद करता हूं। सीमित ओवरों की क्रिकेट में पहले से कर रहा हूं लेकिन टेस्ट मैच में ओपनिंग करना काफी चुनौती पूर्ण होता है। मैंने पारी की शुरुआत करते हुए केवल तीन टेस्ट मैच खेले हैं अभी बहुत आगे जाना है। ऐसे में मैं फिलहाल इन तीन टेस्ट मैचों में ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा हूं। हालांकि मैं इनमें से सकारात्मक चीजों को आगे लेकर जाउंगा। 

किसी भी पोजीशन पर बल्लेबाजी के लिए खुद को तैयार करना है अहम 

टेस्ट मैचों में ओपनिंग और नंबर 6 में बल्लेबाजी करने की अलग अलग चुनौतियां हैं। इसमें सबसे अहम यह है कि इसके लिए आप खुद को कैसे तैयार करते हैं। आप अपने दिमाग में खुद से बात करते हैं कि मैदान पर आपको जाकर क्या करना है और क्या हासिल करना है। मैच में पहली गेंद का सामना करना या 30-40 ओवर के बाद पहली गेंद खेलना दोनों अलग तरह की बात है। मैंने ओपनिंग करने के लिए अपनी तकनीक में कोई बदलाव नहीं किया है।  मैं खेल के बेसिक्स से वाकिफ हूं कि आपको बतौर ओपनर क्या करना है चाहे कोई सा भी फॉर्मेट क्यों न हो। क्योंकि नई गेंद में मूवमेंट होता है चाहे आप किसी भी परिस्थिति में खेलें। पुणे और रांची में विदेशी धरती की तरह पिच पर नई गेंद मूव कर रही थी। आपको अपने खेल की समझ होनी चाहिए। किस गेंद को आपको खेलना है किसे छोड़ना है। ये निर्णय आपको मैदान पर लेने होते हैं। 

 


 

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