- आईसीसी की अहम बैठक से पहले गेंद को चमकाने के लिए लार के विकल्प पर चर्चा तेज
- सचिन तेंदुलकर और ब्रेट ली ने भी दी अपनी राय
- बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद अहम बैठक में लेगा कई बड़े फैसले
ICC Meeting: बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की बेहद अहम बैठक होने वाली है। इस बैठक में टी20 विश्व कप 2020 से लेकर कई बड़े मुद्दों पर चर्चा होनी है। इन्हीं में से एक मुद्दा है 'गेंद पर लार लगाने' से जुड़ा। कोरोना महामारी को देखते हुए आईसीसी इस पर क्या फैसला लेगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं। ऐसे में बैठक से ठीक पहले दो पूर्व दिग्गज खिलाड़ियों- भारत के सचिन तेंदुलकर और ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली ने इस पर आखिरकार अपनी राय सामने रख दी है।
आईसीसी की बैठक से ठीक पहले सचिन तेंदुलकर और ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज ब्रेट ली ने गेंद को चमकाने के लिए लार के विकल्प के उपयोग को स्वीकृति देने का समर्थन कर दिया है। अब उन चर्चाओं को और तेजी मिल गई है जिसमें गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल पर अस्थाई प्रतिबंध लगाने की बात कही जा रही थी। गौरतलब है कि अनिल कुंबले की अगुआई वाली आईसीसी की क्रिकेट समिति पहले ही गेंद को चमकाने के लिए लार के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने की सिफारिश कर चुकी है।
तेज गेंदबाजों की समस्या और ब्रेट ली का बयान
दुनिया भर के तमाम तेज गेंदबाज गेंद को स्विंग कराने के लिए लार और पसीने का इस्तेमाल करते हैं। पसीने का अब भी इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन तेज गेंदबाजों का सामना है कि ये उतना प्रभावी नहीं है जितनी लार है। ब्रेट ली ने सचिन तेंदुलकर की ‘100एमबी’ ऑनलाइन ऐप से कहा, ‘शायद कुछ और तरीकें हैं जिन पर आईसीसी गौर कर सकता है और गेंदबाजों की मदद कर सकता है।’
अंपायरों नरम रुख अपनाएं
हालांकि ब्रेट ली ने साथ ही ये भी कहा कि अंपायरों को गेंदबाजों के खिलाफ नरम रुख अपनाना चाहिए और कोई कार्रवाई करने से पहले गेंद पर लार लगाने की स्थिति में गेंदबाज को दो या तीन चेतावनी देनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि अगर खिलाड़ियों को कहा जाएगा कि ऐसा नहीं करना है तो वे जानबूझकर ऐसा नहीं करेंगे लेकिन मुझे लगता है कि आदत के कारण ऐसा हो सकता है।’
सचिन ने कहा कुछ देशों में पसीना ही नहीं आता
महान पूर्व भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी सही फैसले की उम्मीद जताई है। उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी राय देते हुए कहा, ‘शायद किसी नए पदार्थ का इस्तेमाल किया जाए जिस पर सभी की सहमति बने। जिससे बल्लेबाज भी खुश हों और गेंदबाज भी।’ सचिन ने साथ ही कहा कि जिन देशों में ठंड होती है वहां खेलने पर पसीने के इस्तेमाल का विकल्प भी नहीं होगा।
न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसे देशों का उदाहरण देते हुए तेंदुलकर ने कहा, ‘आपको वहां पसीना ही नहीं आएगा। जब मैं 1992 में यॉर्कशर की ओर से खेला था तो मैं मई की शुरुआत में वहां गया था और वहां का मौसम बर्फीला था। मैं होव में हुए मुकाबले को नहीं भूल सकता, उस समय मैंने पांच कपड़े पहने हुए थे।’ अब देखना दिलचस्प होगा कि इन दो दिग्गजों की राय को आईसीसी कितना महत्व देती है।