नई दिल्ली: जरूरी नहीं कि पहली कोशिश हर इंसान की कामयाब ही हो। अक्सर वो कोशिशें कामयाब होती हैं जिनमें मुश्किल राहों और कड़े परिश्रम के सामने डटे रहने का माद्दा होता है। ऐसे ही माद्दा सचिन तेंदुलकर में था जिसके दम पर वह महानता के शिखर को छूने में सफल रहे। महान बल्लेबाज सचिन अपने पहले सिलेक्शन ट्रायल में फेल हो गए थे लेकिन उन्होंने हिम्मेत नहीं हारी और कड़ी मेहनत के जरिए कामयाबी को कदम चूमने पर मजबूर कर दिया।
सचिन ने शुक्रवार को खुलासा किया कि पहले सिलेक्शन ट्रायल के दौरान उनका चयन नहीं किया गया था जिसने उन्हें अपने खेल पर और कड़ी मेहनत करने के लिये प्रेरित किया। तेंदुलकर ने मराठी में लक्ष्मणराव दुरे स्कूल के छात्रों के साथ बात करते हुए कहा, 'जब मैं छात्र था तो मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही चीज थी, भारत के लिये खेलना। मेरी यात्रा 11 साल की उम्र में शुरू हुई थी।'
उन्होंने कहा, 'मुझे यहां तक याद है कि जब मैं अपने पहले चयन ट्रायल के लिये गया था तो मुझे चयनकर्ताओं ने चुना नहीं था। उन्होंने कहा था कि मुझे और कड़ी मेहनत करके खेल में सुधार करने की जरूरत है।'
सचिन ने कहा, 'उस समय मैं निराश था क्योंकि मुझे लगा कि मैं अच्छी बल्लेबाजी करता था लेकिन नतीजा उम्मीदों के अनुरूप नहीं था और मुझे नहीं चुना गया था। लेकिन इसके बाद मेरा ध्यान, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत करने की क्षमता और ज्यादा बढ़ गई। अगर आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हो तो ‘शार्ट-कट’ से मदद नहीं मिलती।'
सचिन ने टेस्ट में 15,921 और वनडे में 18,426 रन बनाए हैं। उनके नाम क्रिकेट के कई बड़े रिकॉर्ड दर्ज हैं। सबसे अधिक शतक लगाने का रिकॉर्ड सचिन के नाम ही। उन्होंने टेस्ट में 51 और वनडे में 49 शतक जमाए हैं। सचिन 100 अंतरराष्ट्रीय शतक बनाने वाले एकमात्र क्रिकेटर हैं।