भारतीय क्रिकेट एक नए दौर में प्रवेश करने जा रहा है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के सिंहासन पर लंबे समय के बाद एक दिग्गज पूर्व खिलाड़ी बैठने जा रहा है। सौरव गांगुली। इस पूर्व कप्तान के आधिकारिक आगमन से पहले ही तमाम चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं जिसमें पहली चुनौती है चयन समिति से जुड़ी। जल्द ही भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाली सीरीज के लिए टीम इंडिया का चयन होने जा रहा है। आमतौर पर सेलेक्शन कमिटी की बैठक में कोच और कप्तान दोनों मौजूद रहते थे लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
24 अक्टूबर को जब चयन समिति टीम चुनने के लिए बैठेगी तो उसमें सिर्फ टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली मौजूद रहेंगे, टीम के कोच रवि शास्त्री अब इस बैठक में शामिल नहीं हो सकेंगे। दरअसल, इसका गांगुली और शास्त्री के बीच के पुराने मतभेद नहीं हैं बल्कि इसकी वजह है बीसीसीआई का नया संविधान। बोर्ड के संविधान में जो नियम बदले हैं, उसके मुताबिक अब चयन समिति की बैठक में कोच मौजूद नहीं रहेगा।
बीसीसीआई अध्यक्ष बनते ही सौरव गांगुली इस समिति में खुद मौजूद रहेंगे। दादा ने बुधवार को खुद इस बात का ऐलान कर दिया कि वो इस बैठक का हिस्सा बनेंगे और साथ ही शास्त्री वहां नहीं होंगे इसका भी ऐलान किया। दादा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा, 'मेरी पहली चयन समिति की बैठक 24 अक्टूबर को होगी। मैं चयनकर्ताओं और कप्तान से बात करूंगा। नए संविधान के मुताबिक कोच रवि शास्त्री वहां नहीं होंगे।'
गौरतलब है कि जैसे ही सौरव गांगुली के बीसीसीआई अध्यक्ष बनने की बात सामने आई, वैसे ही लोग दादा और शास्त्री की पुरानी छींटाकशी पर चर्चा करने लगे। जब शास्त्री का पहली बार टीम निदेशक से बदलकर कोच के रूप में चयन हुआ था, तब सलाहकार समिति के सदस्य सौरव गांगुली उनके पक्ष में नहीं थे। हालांकि कप्तान विराट कोहली की पहली पसंद रवि शास्त्री ही थे इसलिए बाकी सभी आवेदनकर्ताओं को नजरअंदाज करते हुए शास्त्री का चयन किया गया था, जिसके बाद दोनों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया था।