- सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार की बीसीसीआई की संविधान संशोधन की याचिका
- इस याचिका के निर्णय पर टिका है सौरव गांगुली और जय शाह का बीसीसीआई में बतौर अधिकारी भविष्य
- इसी याचिका में बदौर कोर्ट की मंजूरी के संविधान में संशोधन नहीं कर सकते के प्रावधान को हटाए जाने का अनुरोध
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बुधवार को बीसीसीआई की उस याचिक की सुनवाई के लिए राजी हो गया है जिसमें मुख्य रूप से अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह को कूलिंग ऑफ पीरियड के प्रावधान के बावजूद कार्यकाल पूरा करने की अनुमति देने के लिए बीसीसीआई के संविधान में संशोधन करने की मांग की गई है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे और एन नागेश्वर राव की सदस्यता वाली दो सदस्यीय पीठ ने याचिक को मंजूर करते हुए दो सप्ताह बाद सुनवाई करने का बात कही है।
सौरव गांगुली और जय शाह ने पिछले साल अक्टूबर में बीसीसीआई के नए सविंधान के लागू होने के बाद बीसीसीआई अध्यक्ष और सचिव का पद संभाला था।। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित प्रशासनिक समिति बोर्ड का काम संभाल रही थी। लेकिन सौरव गांगुली और जय शाह के कमान संभालते ही सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुए प्रशासनिक बदलावों को कमजोर करने की कोशिशें शुरू हो गई थी। जिन्हें बोर्ड के प्रशासनिक सुधार के लिए गठित लोढा समिति की अनुशंसा के आधार पर लागू किया गया था। इसके अलावा बोर्ड ने पिछले साल दिसंबर में हुई सालाना बैठक में कई ऐसे प्रस्ताव पारित किए गए जो कि सुधारों के विपरीत थे।
सुप्रीम कोर्ट में 21 अप्रैल को बीसीसीआई द्वारा दायर की गई याचिका में कहा गया था कि बीसीसीआई के अधिकारियों के कार्यकाल को राज्य संघ के कार्यकाल से अलग कर दिया जाए और दोबारा पद संभालने के लिए लागू किए गए कूलिंग ऑफ पीरियड की अवधि को समाप्त कर दिया जाए। इसके अलावा बोर्ड ने कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट की अनुमति के बगैर संविधान संशोधन नहीं कर सकने के प्रावधान को खत्म करने का अनुरोध किया है।