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घर लौट रहे प्रवासियों को देखकर भावुक हुआ क्रिकेटर, खाना और पानी बांटने में जुटा

Updated May 19, 2020 | 19:28 IST

Kings XI punjab cricketer helping migrant labourers: ये भारतीय क्रिकेटर इस समय लॉकडाउन के दौरान अपने घरों की तरफ लौट रहे प्रवासियों की मदद में जुटा है।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Tajinder Singh Dhillon distributing food to the people migrating

नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच प्रवासियों की दुर्दशा से आहत किंग्स इलेवन पंजाब के ऑलराउंडर ताजिंदर सिंह ढिल्लौं ने अब तक अपने गांवों को लौट रहे 10,000 से भी अधिक लोगों को भोजन और पानी मुहैया कराया है। लॉकडाउन के कारण देश में शरणार्थी संकट पैदा हो गया क्योंकि लाखों लोग कड़ी धूप और भूख के बावजूद अपने घरों को लौटने की कोशिश कर रहे हैं। ताजिंदर को एक सप्ताह पहले समाचार चैनल पर जब इस स्थिति का पता चला तो वह काफी निराश हुए। इस भावुक क्रिकेटर ने पैदल जा रहे लोगों की मदद करने की ठान ली।

राजस्थान के रहने वाले इस 27 वर्षीय क्रिकेटर ने तुरंत ही अपने घर के करीब स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग से जा रहे गरीब प्रवासियों के लिये भोजन और पानी की व्यवस्था की। किंग्स इलेवन पंजाब की वेबसाइट के अनुसार ताजिंदर ने कहा, ‘‘कानपुर की तरफ जाने वाला मुख्य राजमार्ग मेरे घर से 100 मीटर की दूरी पर है। समाचारों में उस मार्ग के बारे में बताया गया जिसका उपयोग प्रवासी मजदूर घर लौटने के लिये कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने परिजनों से बात की हमें इन प्रवासी मजदूरों की मदद करनी चाहिए क्योंकि कई के पास तो चप्पल नहीं थे। इसके बाद मैंने उस क्षेत्र में रहने वाले अपने दोस्तों से बात की और हमने प्रवासियों को भोजन पहुंचाने की योजना बनायी।’’ ताजिंदर अन्य लोगों के पास भी मदद के लिये गये जिससे कि प्रवासियों के लिये सब्जी और रोटी बनायी जा सकें।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे क्षेत्र में एक व्यक्ति का सब्जी का व्यवसाय है और मैंने से उससे सब्जी बनाने के लिये बड़ी मात्रा में आलू देने के लिये कहा। इसके अलावा हमने 50 किग्रा आटा जुटाया जिसे हमने अपनी कालोनी के कई घरों में समान रूप से बांट दिया ताकि वे उसकी रोटी बना सकें। इसके बाद हमारे पास वितरण के लिये लगभग 1400 रोटियां और पूड़ी जमा थी।’’

अपने दोस्तों के साथ काम में जुटे हैं ताजिंदर- (Pic- KXIP)

पुलिसकर्मी भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे तथा ताजिंदर और उसके साथी प्रवासी मजदूरों में खाना वितरण करने में लगे थे। उन्होंने कहा, ‘‘पहले दिन हमने 1000 प्रवासियों को भोजन कराया। अगले दो दिन यह संख्या बढ़कर 5000 हो गयी। इनमें कई बच्चे भी शामिल थे। हमने उन्हें आलू पूड़ी देने के अलावा दूध और शरबत भी दिया। हम पिछले पांच दिनों से लोगों को भोजन मुहैया करा रहे हैं।’’

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