- सौरव गांगुली आज अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं
- सौरव गांगुली ने 2002 में क्रिकेट से किनारा करने का फैसला कर लिया था
- सौरव गांगुली के बारे में उनके साथी ने यह पूरा किस्सा बताया
कोलकाता: भारतीय टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने अपने खेलने वाले दिनों में कई युवाओं को प्रेरित किया और इनमें से एक हैं पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज दीप दासगुप्ता। सौरव गांगुली के 49वें जन्मदिन के मौके पर दासगुप्ता ने एक कहानी का खुलासा किया, जिससे साबित होता है कि सौरव गांगुली मानसिक रूप से कितने मजबूत हैं।
2002 में जिंबाब्वे के खिलाफ टेस्ट मैच की शाम को तत्कालीन भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कहा था कि अगर वह रन बनाने में नाकाम रहे तो यह उनका आखिरी मैच होगा। दासगुप्ता को विश्वास नहीं हुआ क्योंकि गांगुली कप्तान थे और उन्हें ड्रॉप करना मुश्किल ही था। मगर अगले दिन गांगुली बल्लेबाजी करने गए और शानदार शतक जमाया। इससे साबित हुआ कि वह दबाव में सफल होना जानते हैं। दासगुप्ता अपने कप्तान के दीवाने हो गए कि उन्होंने जिस तरह दबाव झेला और फिर मानसिक शक्ति का परिचय दिया।
दीप दासगुप्ता ने अपने यूट्यूब चैनल पर कहा, 'मैंने मानसिक शक्ति के मामले में दादा (सौरव गांगुली) से बेहतर किसी को नहीं देखा। जिंबाब्वे के खिलाफ टेस्ट मैच की शाम को उन्होंने मुझे कहा, 'यह मेरा आखिरी मैच हो सकता है।' मुझे विश्वास नहीं हुआ कि वो क्या कह रहे हैं। मगर अगले दिन जाकर उन्होंने शतक जमाया। इससे साबित होता है कि वह मानसिक रूप से कितने मजबूत थे।'
गांगुली ने मजबूत भारतीय टीम की नींव रखी
सौरव गांगुली को 2000 में भारतीय टीम का कप्तान तब बनाया गया जब भारतीय क्रिकेट मैच फिक्सिंग के साएं से गुजर रहा था। मुश्किल परिस्थितियों में गांगुली ने नई टीम का निर्माण किया, जिन्होंने भविष्य की पीढ़ी को खेल खेलने के लिए प्रेरित किया। युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, हरभजन सिंह और जहीर खान गांगुली की कप्तानी में सुपरस्टार बने। दीप दासगुप्ता ने भी गांगुली की कप्तानी में ही डेब्यू किया था।
दीप दासगुप्ता ने कहा, 'भारतीय टीम आज जहां भी है, उसका बड़ा श्रेय सौरव गांगुली को जाता ह। वह करोड़ों लोगों के प्रेरक रहे हैं। मैं भी उन्हें बहुत मानता हूं। '