- पीसीबी की अनुशासन समिति ने सुनवाई के बाद उमर अकमल पर लगाए गए 3 साल के प्रतिबंध को कम कर दिया गया है
- अप्रैल 2020 में उनके ऊपर एंटी करप्शन कोड के उल्लंघन करने के बाद लगाया गया था प्रतिबंध
- पीसीबी के फैसले के खिलाफ उमर अकमल ने की थी अपील
लाहौर: पाकिस्तान के बल्लेबाज उमर अकमल के लिए राहत की खबर आई है। सट्टेबाज द्वारा फिक्सिंग के लिए दिए गए प्रस्ताव की सूचना समय रहते नहीं दिए जाने के मामले में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड( पीसीबी) की अनुशासन समिति ने 3 साल का प्रतिबंध लगाया था। जिसे अब घटाकर 18 महीने कर दिया गया है।
पीसीबी के कोड ऑफ कंडक्ट के अनुच्छेद 2.4.4 का दो बार उल्लंघन करने के कारण पीसीबी ने उमर अकमल के क्रिकेट खेलने पर 3 साल का प्रतिबंध लगा दिया था। अनुशासन समिति के समक्ष पेश होने के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए अकमल ने प्रतिबंध को कम किए जाने पर खुशी जताते हुए कहा कि वो प्रतिबंध को कम करने के लिए दोबारा अपील करेंगे। उन्होंने कहा, मैं डेढ़ साल के प्रतिबंध से खुश नहीं हुआ। मैं अपने वकीलों से चर्चा करने के बाद दोबारा अपील करूंगा। मुझसे पहले भी काफी क्रिकेटर थे जिन्होंने भ्रष्टाचार किया था लेकिन किसी को भी मेरे जैसी सख्त सजा नहीं दी गयी थी। मैं एक बार फिर अपील करूंगा कि मेरी सजा और कम कर दी जाये।'
अकमल पर अप्रैल में तीन साल का प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि वह पाकिस्तान सुपर लीग से पहले भ्रष्टाचार की पेशकश की रिपोर्ट करने में असफल रहे थे। उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली थी लेकिन उन्होंने अपने पक्ष को सही ठहराने की भी कोशिश की। अकमल का प्रतिबंध अब फरवरी 2020 से अगस्त 2021 तक प्रभावी होगा। स्वतंत्र अधिनिर्णायक फकीर मोहम्मद खोखर ने 30 साल के खिलाड़ी के प्रतिबंध को कम किया।
अकमल ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था उन्हें एक मैच में लगातार दो गेंद छोड़ने के लिए 2 लाख डॉलर दिए जाने की पेशकश की गई थी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि भारत के खिलाफ एक मैच नहीं खेलने का ऑफर दिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2015 में ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड की मेजबानी में खेले गए वर्ल्ड कप के दौरान भी उनसे संपर्क किया गया था। हालांकि अकमल ने यह नहीं बताया कि उन्होंने इसकी सूचना एंटी करप्शन यूनिट को दी थी या नहीं। आईसीसी के एंटी करप्शन कोड के मुताबिक खिलाड़ियों को फिक्सिंग के लिए संपर्क किए जाने की सूचना देना होगी। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो पांच साल की सजा दिए जाने का प्रावधान है।