- रिषभ पंत एक उभरते हुए स्टार क्रिकेटर हैं
- उन्होंने कुछ साल पहले करियर शुरु किया
- पंत ने कम वक्त में जबरदस्त छाप छोड़ी है
कहा जाता है कि अगर हौसला मजबूत हो तो किसी भी मुश्किल डगर को पार किया जा सकता है। फिर सामने चाहे रोजमर्रा की जिंदगी की परेशानियां हों या फिर क्रिकेट में बुलंदियों पर पहुंचने की चाह। इसी तरह के कठिन सफर पर चलकर कई खिलाड़ियों ने अपने नाम बनाया है तो वहीं कुछ को लंबा राह तय करनी है। ऐसे ही एक क्रिकेटर रिषभ पंत हैं, जिन्होंने कम वक्त में जबरदस्त छाप छोड़ी है। उन्होंने फरवरी 2017 में अंतरराष्ट्रीय करियर का आगाज किया और अब भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा हैं।
पंत को कई बार आलोचना भी मिलीं
हालांकि, 23 वर्षीय पंत को पिछले चार सालों के दौरान कई बार खराब प्रदर्शन की वजह से आलोचना का भी सामना करना पड़ा। एक समय उन्हें महेंद्र सिंह धोनी का उत्तराधिकारी कहा गया, लेकिन उनकी फॉर्म ने धोखा दे दिया। पंत ने फिर भी हार नहीं मानी और उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर साबित कर दिया कि वह आसानी से घुटने नहीं टेकेंगे। इसके बाद पंत ने घर पर इंग्लैंड के खिलाफ भी धमाकेदार बल्लेबाजी कर सभी को हैरान कर दिया। उन्होंने फैंस के बीच खोया हुआ भरोसा दोबारा हासिल कर लिया। अब पंत इंग्लैंड दौरे पर हैं, जहां फैंस को उनसे फिर उम्मीदें होंगी।
207 किमी दूर क्रिकेट सीखने जाते थे
रिषभ पंत ने बचपन से संघर्ष देखा है। वह भले ही दिल्ली की ओर से खेले, लेकिन उनका जन्म उत्तराखंड के रुड़की में हुआ। वह बचपन में ट्रनिंग के लिए दिल्ली आते थे। जी हां, यह सच है। दरअसल, जब रिषभ की महज 12 साल के थे, तब उनकी मां सरोज पंत हर वीकेंड क्रिकेट सिखाने दिल्ली ले जाती थीं। रुड़की से दिल्ली की दूसरी 207 किलोमीटर है। पंत सोनेट क्रिकेट एकेडमी में ट्रनिंग किया करते थे। हालांकि, पंत ने मां की मेहनत को बेकार नहीं दिया जाने दिया, जिसका नतीजा अब दिखने लगा है। वह धाकड़ क्रिकेटर बनकर उभरे हैं और अकेले दम पर मैच जिताने का माद्दा रखते हैं।
पंत-मां के साथ गुरुद्वारे में रहते थे
पंत और उनकी मां के पास दिल्ली में उस वक्त रहने के लिए कोई ठिकाना नहीं था। ऐसे में दोनों ने एक गुरुद्वार में आसरा लिया। पंत जहां क्रिकेट की ट्रनिंग के लिए चले जाया करते थे वहीं उनकी मां गुरुद्वारे में सेवा किया करती थीं। पंत लंगर खाकर प्रैक्टिस के लिए निकलते थे। कुछ वक्त बाद पंत का बल्ला चल पड़ा और उनकी किस्मत धीरे-धीरे बदलनी शुरू हुई। इसके बाद पंत ने शहर में एक कमरा किराए पर लिया और फिर अपने करियर पर ध्यान दिया। पंत आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है। वह अभी तक 20 टेस्ट, 19 वनडे और 32 टी20 अंतरराष्ट्रीय खेल चुके हैं, जिसमें उन्होंने क्रमश: 1358, 529 और 512 रन बनाए हैं।