- युवराज सिंह को भारत के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में से एक माना जाता है
- युवराज सिंह ने 2019 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा
- युवराज ने भारतीय टीम के लिए सीमित ओवर क्रिकेट में अनोखा रिकॉर्ड दर्ज कराया
नई दिल्ली: टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर युवराज सिंह ने अपने प्रदर्शन के दम पर दुनियाभर में फैंस बनाए हैं। वह टीम इंडिया के धाकड़ ऑलराउंडर्स में से एक माने जाते थे। बाएं हाथ के बल्लेबाज अपने दम पर किसी भी मैच की बाजी पलटने में सक्षम थे। वह बेहतरीन फील्डर भी थे और जब गेंदबाजी की जिम्मेदारी मिले, तो उसमें भी शानदार प्रदर्शन करना जानते थे। यानी युवराज सिंह भारतीय टीम के लिए एक ब्लॉकबस्टर पैकेज थे।
इसका नतीजा यह रहा कि युवराज सिंह ने 17 साल तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेली। अपने करियर के दौरान युवी ने कई मुकाबलों में मैच विजयी प्रदर्शन किया, विशेष तौर पर सीमित ओवर प्रारूप में। 39 साल के युवराज ने 2019 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदाई ली, लेकिन अब भी वनडे और टी20 इंटरनेशनल क्रिकेट में एक अनोखा रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज करा रखा है।
ये है युवी की उपलब्धि
युवराज सिंह जब भी लक्ष्य का पीछा करते समय नॉटआउट रहे तो भारत ने सभी मैच (वनडे में 27 और टी20 आई में 9) जीते। सफेद गेंद क्रिकेट में 17 साल के अंतरराष्ट्रीय करियर में युवराज सिंह 49 मौकों पर नाबाद रहे। हालांकि, लक्ष्य का पीछा करते समय वह 36 बार नाबाद रहे (27 बार वनडे और 9 बार टी20 इंटरनेशनल)। भारतीय टीम ने यह 36 मैच जीते।
युवराज सिंह का अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने सौरव गांगुली के नेतृत्व में अपना डेब्यू किया और इसके बाद पूर्व कप्तान व मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष ने युवी की प्रतिभा पहचानते हुए उन्हें खूब मौके दिए। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने अपने करियर के दूसरे वनडे में ही अपनी खूबी दिखाई थी। युवराज ने 2000 में आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 84 रन बनाए थे।
यहां से युवराज सिंह ने कई मैच विजयी प्रदर्शन किए, जिसमें 2002 नेटवेस्ट ट्रॉफी का फाइनल शामिल है। युवराज मैदान पर अपनी ऊर्जा के लिए जाने जाते थे। 2007 वर्ल्ड टी20 और 2011 विश्व कप में युवराज सिंह की भूमिका को भला कौन क्रिकेट फैन भूल सकता है। स्टुअर्ट ब्रॉड की गेंदों पर लगातार 6 छक्के जमाना हो या फिर 2011 विश्व कप में प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट बनना। युवराज सिंह ने संन्यास लेने से पहले सभी बाधाओं को पार करके खुद को चैंपियन साबित किया।