- स्मित पटेल के बाद एक और भारतीय क्रिकेटर ने अमेरिका में क्रिकेट खेलने की ठानी
- राजस्थान रॉयल्स के पूर्व तेज गेंदबाज अब अमेरिका में माइनर लीग क्रिकेट में अपना भाग्य आजमाएंगे
- वह अमेरिकाई क्रिकेट एकेडमी और क्लब के लिए खिलाड़ी-कोच की भूमिका निभाएंगे
नई दिल्ली: भारतीय अंडर-19 क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर स्मित पटेल ने हाल ही में सुर्खियां बटोरी थी जब उन्होंने अमेरिका में क्रिकेट खेलने के लिए भारत छोड़ने का फैसला किया था। पटेल को भारत में पर्याप्त मौके नजर नहीं आ रहे थे और उन्होंने फिर बोल्ड फैसला लिया। वैसे, पटेल भारत से बाहर जाकर खेलने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर नहीं है। इससे पहले कई खिलाड़ी एशियाई और अमेरिका व कनाडा जाकर अपना भाग्य आजमा चुके हैं।
अब इस लिस्ट में राजस्थान रॉयल्स के पूर्व तेज गेंदबाज सिद्धार्थ त्रिवेदी का नाम भी जुड़ गया है। त्रिवेदी पिछले कुछ समय से अमेरिका में हैं और जल्द ही माइनर क्रिकेट लीग (एमएलसी) में खेलते हुए नजर आएंगे। त्रिवेदी अमेरिकी क्रिकेट एकेडमी और क्लब में खिलाड़ी-कोच की भूमिका निभा रहे हैं, जिनकी एमएलसी में भी टीम है।
सेंट लुईस अमेरिकंस, जो एमएलसी में खेलती है। इसके मालिकाना हक अमेरिकी क्रिकेट एकेडमी और क्लब के पास है। त्रिवेदी भारत में सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे। उन्होंने अपना शेष करियर बनाने के लिए अमेरिका जाने का फैसला किया। 38 साल के त्रिवेदी ने 82 फर्स्ट क्लास मैचों में 268 विकेट चटकाए हैं।
त्रिवेदी ने अहमदाबाद मिरर से बातचीत में कहा, 'मुझे सेंट लुईस में आए एक महीना हो गया है। मैं एसीएसी के कोचिंग स्टाफ का हिस्सा हूं। उनकी टीम माइनर लीग में है और उन्होंने मुझसे पूछा कि अगर मैं टीम में बतौर खिलाड़ी हिस्सा लूं। मैंने सोचा क्यों नहीं।' त्रिवेदी ने खुलासा किया कि वो सबसे पहले 2019 में अमेरिका गए थे, जहां उन्होंने एटलांटा प्रीमियर लीग में हिस्सा लिया था। इसके बाद उन्हें अमेरिकी क्रिकेट एकेडमी और क्लब में बैकरूम स्टाफ बनकर जुड़ने का प्रस्ताव मिला और अब वह क्लब का प्रतिनिधित्व करने को तैयार हैं।
त्रिवेदी अमेरिका में क्रिकेट की प्रगति से प्रभावित हैं और उन्हें उम्मीद है कि अमेरिका में क्रिकेट का विस्तार होगा। राजस्थान रॉयल्स के पूर्व तेज गेंदबाज ने कहा, 'मैं सबसे पहले यहां 2019 में आया था जब मैंने एटलांटा प्रीमियर लीग खेली थी। तब से अब तक देखा कि यहां क्रिकेट को लेकर जुनून है। मुझे यहां के मौसम के बावजूद सबसे ज्यादा प्रभावित यह बात करती है कि बाहर खेलने के लिए केवल 2-3 महीने का समय मिलता है और लोग कड़ी मेहनत करके इस समय का सदुपयोग करने की कोशिश करते हैं।'