- नहीं बचेंगे बदले की भावना से और ब्लैक मेल के लिए अश्लील कंटेंट का इस्तेमाल करने वाले अपराधी
- दिल्ली पुलिस की खास तकनीक की मदद से हो सकेगी पहचान
- पीड़ित या पीड़िता को भी मिलेगी राहत, बनी रहेगी मामले की गोपनीयता
नई दिल्ली: इन दिनों Bios Locker Room का एक मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है जहां एक इंस्टाग्राम ग्रुप की कुछ अश्लील चैट और तस्वीरें लीक हो गई थीं। इस बीच पुलिस ऐसे मामलों में अश्लील कंटेट लीक के मामलों को कम करने और चाइल्ड पोर्न सहित कई तरह के आपत्तिजनक फोटो, वीडियो को लीक करने वाले लोगों को स्कैन करने के लिए दिल्ली पुलिस एक खास तकनीक अपनाने जा रही है। यह तकनीक न सिर्फ वायरल अश्लील कंटेट को स्कैन और फिल्टर कर सकेगी बल्कि ऐसे कंप्यूटर या डिवाइस की पहचान भी कर सकेगी जिनसे इसे फैलाया गया है।
पुलिस की ओर से अपनाया जाने वाला यह सॉफ्टवेयर, बदले की भावना से प्रेमियों की ओर से अश्लील कंटेंट अपलोड करने और फोटोज व वीडियोज से ब्लैकमेल करने वाले अपराधियों तक पहुंचने में मदद करेगा।
एक अधिकारी ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'यह चेहरों की पहचान करके शारीरिक बनावट और आकार सहित कई चीजों का विश्लेषण करता है और इसका किसी को पता भी नहीं चलता। यह गोपनीयता बरतने के मामलों बहुत मददगार साबित हो सकता है और साथ ही हनीट्रैप के मामलों की जांच इससे की जा सकती है।'
सूत्रों का कहना है कि सॉफ्टेवयर डिलीट करने के बाद भी अश्लील फोटो, वीडियो और चैट को स्कैन कर सकता है। अधिकारी ने कहा, 'गोपनीय जांच और सबूत मिलने के बाद तकनीक पूरी तरह से फोटो और वीडियो को डिलीट कर सकती है ताकि इनका दोबारा इस्तेमाल न किया जा सके और पीड़िता के सम्मान पर खतरा न आए।'
सिस्टम में तस्वीरों को ब्लर कर दिया जाएगा जिससे मामलों में शामिल पुलिसकर्मी भी इसे नहीं देख पाएंगे। दिल्ली पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के खिलाफ भी मुहिम चला रखी है और इसके लिए 'ऑपरेशन मासूम' शुरु किया गया है। इस दिशा में भी यह तकनीक मददगार साबित होगी।