- मूसावाले की हत्या इस्तेमाल हथियारों का इंतज़ाम बहुत पहले ही कर लिया गया था
- बदमाशों ने पुलिस वाला बनकर मुसावाला की हत्या करने की साजिश रची थी
- हत्या करने के बाद दोनों मॉड्यूल अलग-अलग दिशा में भागे
Sidhu Moosawala murder Update: गोल्डी बरार ने ही मूसावाला हत्याकांड (गोल्डी बरार और लॉरेंस का प्राइम टारगेट था) की साजिश रची थी सिद्दू मूसेवाला गोल्डी बरार और लॉरेंस का प्राइम टारगेट था। वह हर हाल में मूसावाला की हत्या करना चाहते थे। पिछले लंबे वक्त से गोल्डी बरार विदेश में बैठकर अपनी सभी यूनिट को एक्टिव कर रहा था और लगातार अपने गुर्गों के संपर्क में बना हुआ था इस दौरान गोल्डी ने कई नए गैंग से भी संपर्क साधा था।
मूसावाले की हत्या इस्तेमाल हथियारों का इंतज़ाम बहुत पहले ही कर लिया गया था। जिस दिन मूसेवाला हत्या को अंजाम दिया गया बदमाशों के पास AK-47 ऑटोमेटिक पिस्टल और हैंड ग्रेनेड थे। मूसावाला हत्याकांड को अंजाम देने के लिए कई तरह की प्लानिंग की गई थी, दोनो मॉड्यूल को उस दिन आदेश दिया गया था कि अगर वह अपना अपना काम प्लानिंग के तहत नहीं कर पाते तो सिद्धू मूसावाले के खिलाफ हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल कर दूर से टारगेट कर सकते है।
'इन बदमाशों ने पुलिस वाला बनकर मुसावाला की हत्या करने की साजिश रची थी'
इससे पहले इन बदमाशों ने पुलिस वाला बनकर मूसावाला की हत्या करने की साजिश रची थी। जिसके लिए प्रियव्रत के पास पुलिस की वर्दी पहुंचाई गई थी। इस गैंग की प्लानिंग थी कि प्रियव्रत अपने कुछ साथियों के साथ पुलिसवाला बनकर मुसावाला की सुरक्षा में सेंध लगाकर उसके करीब जाएगा और उसकी हत्या को अंजाम देगा। लेकिन लॉरेन्स गैंग की ये प्लानिंग सफल नही हो सकी क्योंकि मुसावाला के साथ हर वक्त न केवल सरकारी सिक्युरिटी होती थी बल्कि उसके अपने लोग भी होते थे जो मुसेवाला के करीब आने वाले हर शख्स पर अपनी पैनी निगाह रखते थे।
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हत्या करने के बाद दोनों मॉड्यूल अलग-अलग दिशा में भागे प्रियव्रत और उसके साथ मौजूद कशिश उर्फ कुलदीप व अन्य साथी हत्याकांड को अंजाम देने के बाद फतेहाबाद पहुंचे और फतेहाबाद से यह गैंग ट्रक में बैठकर गुजरात तक पहुँचा। कपिल नाम के गैंग मेंबर ने इनके रुकने और भागने की व्यवस्था करवाई थी।
'बिश्नोई और गोल्डी बरार का गैंग कई अलग-अलग जूनिट्स में बंटा हुआ'
पुलिस की जांच में यह निकल कर सामने आया लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बरार का गैंग कई अलग-अलग जूनिट्स में बंटा हुआ है और यह और एक यूनिट 2 से यूनिट से बिल्कुल अनजान होती है। सिर्फ एक स्पेशल नंबर के जरिए ही एक दूसरे के संपर्क में आती है। मूसावाला हत्याकांड में भी अलग-अलग यूनिट्स ने अलग अलग तरीके से काम किया। लॉरेंस और गोल्डी बरार गैंग के बारे में पुलिस को पता चला कि इनकी हर यूनिट का काम अलग अलग होता है जैसे टारगेट की रेकी करना, हथियारों की खरीद-फरोख्त करना, हथियारों की सप्लाई करना, ऑपरेशन के बाद हत्यारों को ठिकाने लगाना, ऑपरेशन के बाद बदमाशों के भागने और छिपने का इंतजाम करना, कम्युनिकेशन एक्टिव करना जिसमें हर ऑपरेशन के दौरान नए नए नंबर अरेंज करना। यह सभी काम अलग-अलग यूनिट करती है बस किसी ऑपरेशन के दौरान ही एक दूसरे के संपर्क में आती है।
'यह गैंग्स लगातार अपने हथियारों की खरीद-फरोख्त करते हैं'
पुलिस की जांच में अब तक जो भी सामने आया कि यह गैंग्स लगातार अपने हथियारों की खरीद-फरोख्त करते है और अलग-अलग जगह पर हत्यारों को छिपाते है। ऑपरेशन के हिसाब से ही हथियारों का इस्तेमाल करते है। गिराफ्तार गैंगस्टर शाहरुख ने जब मूसावाला के घर की रेकी की थी तब उसने यह जानकारी दी थी कि मूसावाले की सुरक्षा में Ak-47 लेकर सुरक्षाकर्मी तैनात हैं और अगर मूसावाले की हत्या को अंजाम देना है तो Ak-47 की जरूरत पड़ सकती है। शाहरुख की जानकारी के बाद ही गोल्डी बरार ने हथियारों का इंतजाम करने वाली अपनी यूनिट को एके-47 का इंतजाम करने की बात कही थी।
'सचिन विश्नोई तो हत्या से पहले ही विदेश फरार हो गया था'
पुलिस का कहना है कि आरोपी इस हत्याकांड को अंजाम देने के बाद की जानकारी जुटाने के लिए टीवी मीडिया और सोशल मीडिया पर पूरी तरह निगाह बनाए हुए था और इन्होंने पुलिस की जांच को डाइवर्ट करने की भी कोशिश की। लारेंस बिश्नोई के डोर के भांजे सचिन विश्नोई मीडिया में कॉल कर झूठी बयानबाजी दी कि वह हत्या के वक्त मानसा में मौजूद था और उसने अपने हाथों से ही मुसावाला वाले को गोली मारी थी। जबकि पुलिस की जांच में सामने आया कि सचिन विश्नोई तो हत्या से पहले ही विदेश फरार हो गया था।