- पिछले साल काफी चर्चा में रहा था विकास दुबे का एनकाउंटर
- इस एनकाउंटर ने योगी सरकार और यूपी पुलिस की अलग तरह की छवि बनाई
- यूपी में अपराधियों के लिए कहा जाने लगा कि सबकी गाड़ियां पलटेंगी
Vikas Dubey Encounter: पिछले साल 10 जुलाई की सुबह एकाएक खबर आती है कि उत्तर प्रदेश के हिस्ट्री शीटर और गैंगस्टर विकास दुबे का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया है। दरअसल, उससे पहले 3 जुलाई को कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस जब उसे पकड़ने गई तो उस दौरान हुई मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। इसी के बाद वो फरार हो गया। इसके बाद उसकी खोजबीन शुरू हुई।
9 जुलाई 2020 को वह मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में पकड़ा जाता। इसके बाद उसे उत्तर प्रदेश लाने की तैयारी की जाती है। उसी दिन उसे यूपी पुलिस लाने पहुंच जाती है। उसे लाया जाता है और 10 जुलाई की सुबह खबर आती है कि रास्ते में कानपुर के पास उसकी कार पलट गई और फिर उसने भागने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया।
उनके एनकाउंटर के बाद पुलिस की थ्योरी पर ज्यादातर को लगा कि ये एक तरह का फेक एनकाउंटर है और पुलिस को उसे मारना ही था। ये एनकाउंटर सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में काफी चर्चित रहा। इसके बाद राज्य की योगी सरकार और पुलिस को लेकर लोगों के बीच धारणा बनने लगी कि अब राज्य में अपराधियों के साथ इसी तरह का व्यवहार किया जाएगा। कई लोग इस तरह के एनकाउंटर्स का समर्थन करने लगे।
यूपी से लगातार खबरें आने लगीं कि अपराधियों के बीच खौफ है। वो जेल में रहना चाहते हैं, अपनी जमानतें रद्द करवा रहे हैं। उन्हें डर है कि विकास दुबे की तरह उनका भी एनकाउंटर किया जा सकता है। जब मुख्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश लाया जा रहा था, तब ट्विटर पर ये ही ट्रेंड कर रहा था कि इसकी भी गाड़ी पलटेगी। यूपी में अपराधियों के लिए कहा जाने लगा कि सबकी गाड़ियां पलटेंगी।
विकास दुबे की मौत के बाद सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस चौहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई थी। बाद में पुलिस को क्लीन चिट मिल गई। आयोग को जांच में एनकाउंटर को फर्जी बताने वाला कोई साक्ष्य नहीं मिला।