- सर्दी के करीब आते ही दिल्ली और एनसीआर में वायू प्रदूषण का खतरा
- दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने स्मॉग से लड़ने के उपायों पर की चर्चा, ऑड-ईवन का खास उदाहरण
- अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों को ठहराया जिम्मेदार
दिल्ली। दिल्ली में अब धीरे धीरे वो डर सता रहा है जिसका सामना पिछले साल हर एक लोगों ने किया। दिल्ली और एनसीआर में वायु की गुणवत्ता इस हद तक खराब थी कि लोग एक तरफ सरकार को कोस रहे थे तो दूसरी तरफ अदालत को दखल देना पड़ा। दिल्ली के लोग गैस चैंबर में रहने के लिए मजबूर थे तो दूसरी तरफ सियासत भी जारी थी। दिल्ली में अभी सर्दी का इंतजार है। लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण की तरफ से दिल्ली सरकार को एक खत लिखा गया है जिसके बाद आम आदमी पार्टी हमलावर है।
प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य जिम्मेदार
डेयरिंग सिटीज 2020 कांफ्रेस में सीएम अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि यह बात सच है कि पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब रही है। लेकिन इससे निपटने के लिए हमने कुछ क्रांतिकारी कदम भी उठाए। सर्दियों के महीने में दिल्ली हर साल गैस चैंबर में तब्दील हो जाती है। लेकिन 2015 और 2016 में हालात ज्यादा खराब थे और उसके पीछे बड़ी वजह पडो़सी राज्य थे। पड़ोसी राज्यों में पराली के जलाए जाने की वजह से दिल्ली स्मॉग के चपेट में आ गई और वही वो समय था जब ऑड-ईवन को लागू किया गया।
पराली पूरी तरह जिम्मेदार नहीं
अब सवाल यह है कि अरविंद केजरीवाल जब इस तरह के आरोप लगाते हैं तो उसमें कितनी सच्चाई है। इसे लेकर अलग अलग तरह की राय है। मसलन पराली का मुद्दा। पराली के बारे में कहा जाता है कि आम तौर पर जिस समय पराली जलाई जाती है उस समय हवा का रुख दक्षिण की तरफ नहीं होता है। अगर पंजाब और हरियाणा की बात करें तो अक्टूबर के महीने में पराली जलाए जाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन नवंबर के मध्य में हवा की रफ्तार तेज होने पर पीएम 2.5 उड़ जाते हैं लिहाजा पराली को ही पूरी तरह जिम्मेदार नहीं कहा जा सकता है।