- उपराज्यपाल ने किया एमसीडी के छह अधिकारियों को निलंबित
- अधिकारियों ने पद का दुरुपयोग का अनुचित लाभ लेने का आरोप
- जून माह में एक आईएएस अधिकारी समेत पांच को किया था निलंबित
Delhi News: दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने एक बार फिर से भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने के आरोप में मंगलवार को दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के छह अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश दिया है। उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि, उपराज्यपाल ने करोल बाग में एक अनधिकृत निर्माण को कथित रूप से नियमित करने के मामले में एमसीडी के एक उप-पंजीयक के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को मुकदमा चलाने की भी अनुमति दे दी है। सीबीआई जल्द ही भ्रष्टाचार की धाराओं में मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर देगी।
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि, एमसीडी के अंदर से भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए एलजी वी के सक्सेना लगातार वहां के कामकाज की निगरानी कर रहे हैं। इस दौरान ही उनके पास एक मामले की शिकायत आई। जिसके बाद मामले की जब जांच कराई गई तो शिकायत में सत्यता की पुष्टि हुई। जिसके बाद उपराज्यपाल ने एमसीडी आयुक्त को कार्रवाई का निर्देश दिया। आयुक्त ने निर्देश मिलने के बाद घोर लापरवाही बरतरने, आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने और अनुचित लाभ लेने के मामले में छह अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, एमसीडी के अलावा दिल्ली विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार की शिकायतें मिली हैं, जिनकी अभी जांच की जा रही है। जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
एक माह पहले भी हुई थी पांच अधिकारियों पर कार्रवाई
बता दें कि, करीब एक माह पहले जून में भी उपराज्यपाल ने इसी तरह से सख्त कार्रवाई करते हुए एक आईएएस अधिकारी, दो पीसीएस व तीन अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। भ्रष्टाचार और लंबित अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत वसंत विहार के एसडीएम हर्षित जैन, विवेक विहार के एसडीएम देवेंद्र शर्मा और सीएमओ के उपसचिव प्रकाश चंद ठाकुर को निलंबित किया गया था। इसके दो दिन बाद भ्रष्टाचार के ही आरोप में हौज खास के सब रजिस्ट्रार 5ए और रिकॉर्ड रूम प्रभारी रमेश कुमार को निलंबित किया गया था। इन पर डीडीए की कई करोड़ की जमीन को एक प्राइवेट पार्टी को हस्तानांतरित करने के लिए राजस्व रिकॉर्ड से खिलवाड़ करने का आरोप था।