- संत बाबा राम सिंह ने की आत्महत्या, किसानों की परेशानी का किया जिक्र
- एआईकेएससीसी का कहना कि आंदोलन में अब तक 20 किसान हो चुके हैं शहीद
- किसान संगठन बोले, कृषि कानूनों के खत्म होने तक आंदोलन रहेगा जारी
नई दिल्ली। किसानों के हक की मांग करने वाले संत बाबा राम सिंह (नानकसर सिंघरा करनाल वाले) जी ने खुद को सुसाइड नोट के साथ सिंघु बार्डर पर गोली मार ली है। अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा कि यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि वह अब किसानों के संघर्ष को नहीं देख सकते थे।मैं आत्महत्या कर रहा हूं क्योंकि मैं यह सहन करने में असमर्थ हूं कि किसान सीमाओं पर बैठे हैं।किसान संघ का कहना है कि हम एक्सीडेंटल मौत के बारे में जानकारी लेने की कोशिश कर रहे हैं।
अस्पताल में कराए गए भर्ती लेकिन बचाए ना जा सके
संत राम सिंह को घायल अवस्था में उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। बाबा राम सिंह करनाल के रहने वाले थे। उनका एक सुइसाइड नोट भी सामने आया है, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उनके हक के लिए आवाज बुलंद की है।
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हे राम कैसा समय अब संत भी व्यथित
पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह ने जताया दुख
नानकसर सिंघरा के संत राम सिंह जी के दुखद समाचार को जानने के बाद, जो कि करनाल से बेहद हैरान और दुखी थे, ने सेंट्रे फार्म कानूनों के विरोध में सिंघू बॉर्डर पर अपना जीवन समाप्त कर दिया। इस दुःख की घड़ी में मेरी प्रार्थनाएँ उनके परिवार और समर्थकों के साथ हैं।
सुखबीर सिंह बादल ने जताया दुख
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने ट्वीट कर बाबा राम सिंह के निधन पर संवेदना जाहिर की। उन्होंने कहा कि यह सुनकर कि संत बाबा राम सिंह जी नानकसर सिंघरा ने किसानों की पीड़ा को देखते हुए किसान धरना में सिंघू बॉर्डर पर खुद को गोली मार ली। संत जी के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि स्थिति को और खराब न होने दें और 3 कृषि कानूनों को निरस्त करें।
मंगलवार को एक किसान का हॉर्ट अटैक से निधन
इससे पहले कुंडली बॉर्डर पर मंगलवार को एक किसान की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। पंजाब के मोगा जिले के गांव भिंडर कलां के निवासी मक्खन खान (42) अपने साथी बलकार व अन्य के साथ तीन दिन पहले कुंडली बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल होने आए थे।
'अब तक 20 किसान हुए शहीद'
किसानों के संगठन एआईकेएससीसी का कहना है कि औसतन हर दिन एक किसान की मौत हो रही है। अब तक कुल 20 किसान आंदोलन के दौरान शहीद हो चुके हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार काले कृषि कानून को रद्द नहीं करेगी आंदोलन जारी रहेगा। किसान संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का वो स्वागत करते हैं जिसमें एक समिति बनाने का आदेश दिया गया है।