UP Election Result 2022 BJP Seats: 2017 में जीत के पश्चिमी यूपी में बीजेपी के दो बड़े नेता सुरेश राणा(थानाभवन) और संगीत सोम (सरधना) से विधानसभा में पहुंचे थे। उनमें से एक सुरेश राणा को योगी आदित्यनाथ सरकार में गन्ना मंत्री के तौर पर जगह मिली। लेकिन 2022 के चुनाव में वो अपनी सीट बचा पाने में नाकाम रहे। सुरेश राणा और संगीत सोम समेत कई दिग्गजों की हार हुई है। अब सवाल यह है कि क्या पश्चिमी यूपी में किसान आंदोलन की भेंट ये दोनों शख्सियतें चढ़ गईं तो इसका उत्तर तलाशना कठिन नहीं है। उत्तर हां में है क्योंकि 2017 की तुलना में बीजेपी की सीटों में कमी आई है। 2017 में बीजेपी को पहले चरण के चुनाव में 58 में से 53 सीटें मिली थीं वहीं इस दफा यह संख्या घटकर 45 हो गई है।
कुछ ऐसी है तस्वीर
इस चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका मेरठ में लगा है। यहां की सात सीटों में से बीजेपी के खाते में सिर्फ तीन सीटें आईं हैं। सरधना से जहां संगीत सोम को पराजय कता सामना करना पड़ा वहीं कैराना से पलायन का मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने वाली मृगांका सिंह को शिकस्त झेलनी पड़ी। पश्चिमी यूपी की 70 सीटों में से 24 सीटों पर किसान आंदोलन का सीधा सीधा प्रभाव नजर आया। जाट- मुस्लिम समीकरणों मे बीजेपी की गणित बिगाड़ दी जिसका असर नतीजों पर दिखाई दे रहा है।
किसान आंदोलन का इन तीन जिलों में ज्यादा असर
किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर मेरठ, शामली और मुजफ्फरनगर में नजर आया। मेरठ में बीजेपी ने चार सीटें गंवा दी तो शामली में बीजेपी के खाते में एक भी सीट नहीं आई। अगर बात मुजफ्फरनगर की करें तो बीजेपी को महज दो सीटें मिली हैं। जबकि गाजियाबाद में पांचों सीट, गौतमबुद्धनगर में तीनों सीट, आगरा में सभी 9 सीट, मथुरा में सभी पांच सीट, अलीगढ़ में सभी सात सीटें हासिल हुई हैं।
मेरठ, मुजफ्फरनगर और शामली में किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर
संजीव बालियान ने क्या कहा
चुनावी नतीजों पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का कहना है कि वैसे तो जाटों की असर वाली कुल 120 सीटें हैं। लेकिन असर सिर्फ 16 फीसद सीटों पर पड़ा है। अगर आप मत प्रतिशत देखें तो उसमें इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि रैलियों में जो भीड़ जुटा करती थी उसका बूथ से कोई लेना देना नहीं था। इस बात को बीजेपी पहले भी कहा करती थी और अब पश्चिमी यूपी के दूसरे जिलों से जिस तरह के नतीजे आए हैं उससे एक बात साफ है कि कुछ लोगों ने किसानों के नाम पर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश की थी।