- मुलायम सिंह ने करहल में जनसभा कर अखिलेश के लिए मांगे वोट
- सपा के लिए वोट मांगते वक्त अखिलेश का नाम भूले मुलायम
- समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती रही है करहल
नई दिल्ली: क्या अखिलेश यादव के लिए करहल की सीट आसान है। या फिर यहां पर भी उन्हें मुश्किल आ सकती है। आज इसी पर बात कर रहे हैं क्योंकि 20 फरवरी को यूपी में तीसरे राउंड की वोटिंग है और इसी में करहल सीट पर भी वोट पड़ेंगे। इसी बीच करहल में अपना प्रचार करने के लिए अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव को भी उतार दिया। जो पूरे यूपी चुनाव में अब तक कहीं नहीं दिखे। मुलायम सिंह यादव 82 साल के हैं। और अब उस तरह से राजनीति में एक्टिव नहीं है। जैसा वो हमेशा रहते थे। इस बार भी समाजवादी पार्टी का पूरा प्रचार अखिलेश ने संभाला है। पूरे कैंपेन में सिर्फ अखिलेश ही दिखे हैं।
अखिलेश का नाम भूले मुलायम
मुलायम सिंह यादव की कहीं भी चर्चा नहीं थी। ऐसे में अखिलेश को करहल सीट पर मुलायम सिंह यादव से अपना प्रचार कराने की ज़रूरत क्यों पड़ी। ये बात चौंकाने वाली है। मुलायम सिंह यादव का स्वास्थ्य अब वैसा नहीं है, जो हर जगह प्रचार करें। बढ़ती उम्र की वजह से उनके लिए प्रचार करना आसान नहीं है। ये बात अखिलेश भी समझते होंगे। आज का उदाहरण देख लीजिए जब प्रचार के दौरान ऐसा लगा कि मुलायम सिंह यादव वोट मांगते हुए अखिलेश का नाम भूल गए। वो वोट मांग रहे थे और ये कह रहे थे, यहां से जो उम्मीदवार हैं, उन्हें जिताएं। मुलायम कहते हैं, 'जो यहां के उम्मीदवार हैं, जो भी उम्मीदवार हैं।' इतने में बगल में खड़े धर्मेंद्र यादव उन्हें अखिलेश का नाम बताते हैं तो मुलायम फिर कहते हैं, 'अखिलेश को भारी मतों से जीताना और मेरी भावना है उस भावना का आदर करते हुए अखिलेश को भारी मतों से जीताना समाजवादी पार्टी को मजबूत बनाएं।'
सपा के लिए सेफ सीट है करहल
'यहां पर एक बात ध्यान देखना ज़रूरी है। करहल वो सीट है, जो पूरे यूपी में समाजवादी पार्टी के लिए सबसे सेफ सीट है। 1992 में जब से समाजवादी पार्टी का गठन हुआ है, तब से करहल सीट सिर्फ एक बार समाजवादी पार्टी हारी है। 1993 से लेकर अब तक करहल सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है, सिर्फ 2002 में ये सीट बीजेपी ने जीती थी।2002 में बीजेपी के सोबरन सिंह ने करहल सीट जीती थी, वो भी समाजवादी पार्टी में चले गए थे, और ही लगातार 4 बार से विधायक हैं।
तो यह है चिंता की वजह
करहल में वोटों का कैलकुलेशन क्या है, ये भी समझिए। करहल में करीब 3 लाख 70 हजार वोटर हैं इनमें करीब 1 लाख 25 हज़ार यादव वोटर हैं। अगर 2017 के चुनाव नतीजों की बात करें तो SP को 104221 वोट मिले जबकि बीजेपी को 65816 वोट मिले और BSP को 29676 वोट मिले। जब सब आंकड़े अखिलेश के पक्ष हैं। और उसके बाद भी अखिलेश की जीत पक्की करने के लिए मुलायम सिंह खुद करहल में प्रचार में उतरे तो इसकी वजह भी समझनी चाहिए। इसकी वजह है करहल में बढ़ा बीजेपी का वोट शेयर। 2007 विधानसभा में भाजपा का वोट शेयर था 5.41% जो 2012 विधानसभा में 6.65% हो गया और 2017 विधानसभा में बढ़कर 31.31% हो गया।
करहल में आज गृह मंत्री अमित शाह भी प्रचार करने के लिए उतरे। यहां से अखिलेश के सामने बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा है। अमित शाह ने करहल में कहा कि करहल की एक सीट ही 300 सीट का काम करेगी। अगर करहल में बीजेपी जीत गई तो पूरे यूपी में समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ हो जाएगा।