- उत्तर प्रदेश में बीजेपी को स्पष्ट और प्रचंड जनादेश
- योगी आदित्यनाथ ने इस जीत से कई अंधविश्वासों को तोड़ा
- नोएडा जाने वाला सीएम हार जाता था, सीएम ने बदला मिथ
UP Elections 2022: उत्तर प्रदेश में करीब 37 साल बाद योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में वापसी करते दिख रहे हैं। 2017 के बाद 2022 के चुनाव में भी जनता ने भाजपा को स्पष्ट और प्रचंड जनादेश दिया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस जीत से कई अंधविश्वासों को तोड़ा है। इसकी एक वजह है ये है कि सीएम योगी संन्यासी हैं और संन्यासी हर चुनौती को स्वीकार करता है। न तो वह नोएडा जाने से खौफ खाते हैं न ही आगरा के सर्किट हाउस में रुकने से।
नोएडा को लेकर तोड़ा अंधविश्वास
यूपी चुनाव 2022 में योगी ने 37 साल से चला आ रहा एक अंधविश्वास तोड़ा। 1985 से कोई भी राज्य में लगातार दूसरी बार सीएम नहीं बना है लेकिन अब सीएम योगी लगातार दूसरी बार सीएम की शपथ लेंगे। कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह 23 जून 1988 को नोएडा गए और कुछ समय बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक मुख्यमंत्री बने लेकिन नोएडा सबको डराता रहा। अंधविश्वास के चलते कोई नाऐडा नहीं गया लेकिन सीएम योगी अपने कार्यकाल में दर्जनों बाद नोएडा गए। मायावती जब चौथी बार पूर्ण बहुमत की सरकार के साथ मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने 14 अगस्त 2011 को इस अंधविश्वास के डर से लड़ने का फैसला किया। जब अगली बार चुनाव हुए तो मायावती हार गईं।
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आगरा को लेकर अंधविश्वास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताजनगरी में भी एक बड़ा मिथक तोड़ा। कहा जाता है कि जो सीएम आगरा में सर्किट हाउस में रुका वह दोबारा नहीं बना। 16 वर्ष पहले राजनाथ सिंह बतौर मुख्यमंत्री सर्किट हाउस में रुके थे। इसके बाद कुर्सी जाने के भय के कारण न मायावती से लेकर अखिलेश यादव तक सर्किट हाउस में नहीं रुकते थे। जनवरी 2018 में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा के सर्किट हाउस में रुके।
रिकॉर्ड बनाना योगी की फितरत
दरअसल नम्बर एक पर रहना उनकी फितरत है। करीब ढाई दशक पहले जब वह उत्तर भारत की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने तभी वह देश के रसूखदार लोगों में शामिल हैं। इसके बाद से तो उनके नाम रिकार्ड जुड़ते गये। मसलन 1998 में जब वह पहली बार सांसद चुने गये तब वह सबसे कम उम्र के सांसद थे। 42 की उम्र में एक ही क्षेत्र से लगातार 5 बार सांसद बनने का रिकॉर्ड भी उनके ही नाम है। मुख्यमंत्री बनने के पहले सिर्फ 42 वर्ष की आयु में एक ही सीट से लगातार पांच बार चुने जाने वाले वह देश के इकलौते सांसद रहे हैं। चार महीने बाद ही दुबारा वह सिरमौर बने। यकीनन ये सिलसिला जारी रहेगा, क्योंकि इसके लिये वह अथक परिश्रम करते हैं।