- लॉकडाउन में ज्योति कुमारी ने पिता को साइकिल पर गांव ले जाने का फैसला किया था।
- ज्योति ने पिता को साइकिल पर बिठाकर करीब 1200 किमी का सफर किया था।
- अब ज्योति के इसी कहानी पर फिल्म आत्मनिर्भर बनाई जा रही है।
लॉकडाउन में गुरुग्राम में फंसे अपने पिता को साइकिल पर पीछे बिठाकर दरभंगा तक लेकर जाने वाली ज्योति कुमारी ने हौसले की नई इबारत लिखी है। 15 साल की ज्योति कुमारी के इस काम के लिए देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी उनकी चर्चा हुई। लोग उसकी हौसला आफजाई भी करते दिखे और कई जगह से उनकी मदद के लिए लोगों ने अपना हाथ भी आगे बढ़ाया हैं। अब खबर है कि ज्योति कुमारी पर फिल्म बनने वाली है। जी हां, ज्योति कुमारी पर एक बॉलीवुड फिल्म बनने जा रही है जिसका टाइटल आत्मनिर्भर होगा।
खास बात ये कि ज्योति कुमारी पर जो फिल्म आत्मनिर्भर बन रही है उसमें लीड एक्ट्रेस का रोल खुद ज्योति कुमारी निभाएंगी। वहीं ज्योति के पिता का किरदार जाने माने एक्टर संजय मिश्रा निभाएंगे। इस फिल्म की शूटिंग 25 अगस्त 2020 से शुरू हो रही है। आत्मनिर्भर फिल्म का डायरेक्शन शाइन कृष्णा कर रहे हैं। इसे हिंदी, इंग्लिश और मैथिली भाषा में रिलीज किया जाएगा। साथ ही ये 20 भाषाओं में सबटाइटल के साथ डब होगी।
फिल्म की कहानी रियल स्टोरी बैकड्राप पर होगी। कैसे ज्योति कुमारी के पिता एक्सीडेंट में घायल होने के बाद और बेरोजगार हो गए। बाद में ज्योति कुमारी ने 500 रुपए में एक सेकंडहैंड साइकल खरीदी और इसी पर पिता को बैठाकर 1200 किलोमीटर की यात्रा तय की।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी ने की ज्योति की तारीफ
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी ज्योति से खासी प्रभावित हुई थीं। भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) द्वारा ज्योति को ट्रायल का मौका दिए जाने की बात सामने आने पर इवांका ने ट्वीट कर ज्योति के हौसले व साइकिलिंग महासंघ का भी जिक्र किया था। उन्होंने ट्वीट ने लिखा था, '15 साल की ज्योति कुमारी अपने जख्मी पिता को साइकिल से लेकर सात दिनों में लगभग 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने गांव पहुंची। हिम्मत और प्यार की इस खूबसूरत दास्तान ने भारतीय लोगों और साइकिल महासंघ का ध्यान अपनी ओर खींचा।'
क्या है पूरा मामला
गुरुग्राम में रिक्शा चालक पिता मोहसन पासवान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद ज्योति गुरुग्राम आकर उनकी देखभाल कर रही थी। इसी बीच लॉकडाउन की घोषणा हो गई। पिता साइकिल नहीं चला सकते थे, इसलिए ज्योति ने पिता को साइकिल पर गांव ले जाने का फैसला किया। ज्योति ने पिता को साइकिल पर बिठाकर करीब 1200 किमी का सफर किया। आठ दिनों तक रोजाना सौ से डेढ़ सौ किमी का सफर कर वह बिहार के दरभंगा पहुंचीं। मीडिया में खबर आने के बाद जिसने भी उनकी कहानी जानी या सुनी, उनकी हिम्मत की सराहना की।