नई दिल्ली/वाशिंगटन : देशभर में गहराते कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच मजदूर तमाम परेशानियां झेल रहे हैं। ट्रेन, बस बंद होने की वजह से महानगरों में काम की तलाश मे पहुंचे विभिन्न राज्यों के मजदूरों ने चिलचिलाती धूप, आंधी-तूफान, बारिश और बेहाल कर देने वाली गर्मी के बीच पैदल ही सैकड़ों, हजारों किलोमीटर का सफर तय किया है। अपने गृह राज्यों में पहुंचने और परिवार के सदस्यों से मिलने की तड़प के बीच उन्होंने हर बाधा की। जाहिर तौर पर उन्होंने यह सब मजबूरी में ही किया, किसी रोमांच में आकर नहीं, पर कोरोना का यह संकट बिहार की एक 15 साल की किशोरी ज्योति कुमारी के लिए अवसर बनकर आया, जिसकी चर्चा आज देश ही नहीं, दुनिया में भी हो रही है।
गुरुग्राम से दरभंगा का सफर
बिहार की यह बेटी ज्योति कुमारी है और लॉकडाउन में परिवहन के सभी साधन बंद होने के बाद यह भी परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में फंस गई थी, जहां उसके पिता मजदूरी का काम किया करते थे। कुछ दिनों पहले उसके पिता जख्मी हो गए थे, जिन्हें देखने के लिए वह बिहार के दरभंगा से गुरुग्राम पहुंची थी। लेकिन कुछ ही दिनों बाद लॉकडाउन का ऐलान हो गया और वह यहीं फंस गई। पिता जख्मी थे, काम-धंधे बंद हो चुके थे और इन सबके बीच इस पराये शहर में अकेलापन खाये जा रहा था, जब घरवालों की याद भी लगातार आ रही थी। ऐसे में 15 साल की इस किशोरी ने तय किया कि वह साइकिल से ही पिता को लेकर दरभंगा अपने घर जाएगी। वह इसमें कामयाब भी हुई और सात दिनों में लगभग 1,200 किमी दूरी तय कर अपने जख्मी पिता को लेकर वह साइकिल से ही अपने गांव पहुंच गई।
इवांका ट्रंप ने किया ट्वीट
ज्योति कुमारी की कहानी देश-विदेश में सुर्खियां बटोर रही है, जिसमें हर कोई उसके हौसले की दाद दे रहा है। यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी ज्योति से खासी प्रभावित नजर आ रही हैं। भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) द्वारा ज्योति को ट्रायल का मौका दिए जाने की बात सामने आने पर इवांका ने ट्वीट कर ज्योति के हौसले व साइकिलिंग महासंघ का भी जिक्र किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, '15 साल की ज्योति कुमारी अपने जख्मी पिता को साइकिल से लेकर सात दिनों में लगभग 1,200 किलोमीटर की दूरी तय करके अपने गांव पहुंची।' उन्होंने यह भी कहा कि एक लड़की की साहस और अपने पिता के प्रति प्रेम से पता चलता है कि भारतीय लोग किस जज्बे के साथ चुनौतियों का सामना करते हैं, यही नहीं जिस तरह से साइक्लिंग फेडरेशन ने भी उसकी प्रतिभा को पहचाना वो अपने आप में अलहदा है।
यहां उल्लेखनीय है कि भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) ज्योति के हौसले की दाद देते हुए उसे ट्रायल का मौका देने की बात कही है और यह भी कहा कि अगर वह सीएफआई के मानकों पर थोड़ी भी खरी उतरती है तो उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग मुहैया कराई जाएगी। बताया जाता है कि लॉकडाउन में अपने जख्मी पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बिठाकर गुरुग्राम से दरभंगा जाने के दौरान उसने रोजाना तकरीबन 100 से 150 किलोमीटर साइकिल चलाई।