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जब लता मंगेशकर को मारने के लिए दिया गया था धीमा जहर, घटना के बाद अचानक गायब हो गया था कुक

Updated Nov 26, 2020 | 14:18 IST

स्वर कोकिला के नाम से जानी जाते वाली लता मंगेशकर को 58 साल पहले स्लो पॉइजन दिया गया था जिसके बाद उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी और वो तीन महीने तक बिस्तर पर थीं।

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Lata Mangeshkar
मुख्य बातें
  • साल 1962 में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को दिया गया था स्लो पॉइजन।
  • इस घटना के बाद तीन महीने बिस्तर पर थीं लता मंगेशकर।
  • इस घटना के बाद अचानक गायब हो गया था उनका कुक।

फिल्म जगत में स्वर कोकिला के नाम से मशहूर सिंगर लता मंगेशकर के लाखों फैंस हैं। उन्होंने हजारों हिंदी फिल्मों में और करीब 36 रीजनल भाषाओं में गाने गाए, जिनमें मराठी, बंगाली और असमिया भाषा शामिल है। 28 सितंबर 1929 को जन्मीं लता मंगेशकर का असली नाम हेमा मंगेशकर है। उन्हें दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड और भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है।

अचानक बिगड़ी लता मंगेशकर की तबीयत

साल 1962 में फिल्म 'बीस साल बाद' के लिए लता दीदी को एक गाना को रिकॉर्ड करना था। जिसके लिए म्यूजिक डायरेक्टर हेमंत कुमार ने पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन रिकार्डिंग से ठीक कुछ घंटे पहले लता दीदी की तबीयत काफी खराब हो गई। सुबह से उनके पेट में तेज दर्द हुआ और उन्हें उल्टी हुई। लता मंगेशकर के पेट में इतना तेज दर्द था कि वो हिल भी नहीं पा रही थीं। 

लता मंगेशकर को दिया गया था जहर

लता मंगेशकर की तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर को बुलाकर उनका चेकअप करवाया गया। डॉक्टर ने आकर लता मंगेशकर की जांच की, उनका एक्स- रे किया गया और दर्द की वजह से उन्हें एंजेक्शन दिया। लता मंगेशकर तीन दिन तक मौत से जूझती रहीं। करीब 10 दिन बाद उनकी सेहत में सुधार आने लगा तो डॉक्टर ने बताया कि लता के खाने में स्लो पॉइजन यानी धीमा जहर दिया है, जिसके कारण वो बहुत कमजोर हो गईं। लता मंगेशकर तीन महीने तक पलंग पर थीं। हैरान करने वाली बात यह थी कि इस घटना के बाद उनका कुक अचानक गायब हो गया, उसने लता जी से पहले इंडस्ट्री के कुछ और लोगों के घर काम किया था। ऐसे में उनकी बहन उषा मंगेशकर ने खुद उनके लिए खाना बनाने का फैसला किया। इस हादसे में उनका साथ राइटर मजरूह सुल्तानपुरी रोज शाम 6 बजे उनके घर आते थे। मजरूह पहले खुद खाना चखते थे और फिर लता उस खाने को खाती थीं। वो घंटों लता दीदी से बात करते और कहानी- कविता सुनाते थे। 

जवाहर लाल नेहरु की मौजूदगी में गाया था गाना

स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपने समय के सभी सिंगर्स और म्यूजिक कम्पोजर्स के साथ काम किया था। 1940 से लेकर 1970 के दशक तक आशा भोसले, शमशाद बेगम, उषा मंगेशकर, मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश, मन्ना दे, हेमंत कुमार और महेंद्र कपूर संग डुएट गाए।  सी. रामचंद्र का कंपोज किया सॉन्ग जो लता दीदी ने 26 जनवरी 1963 में दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की मौजूदगी में गाया 'ऐ मेरे वतन के लोगों' को बहुत पॉपुलर हुआ। इसे लोग आज भी राष्ट्रीय गान की तरह मानते हैं। ये गाना हर 15 अगस्त, 26 जनवरी के मौके पर सुनने को जरूर मिल जाता है। लेकिन पहले ये गाना आशा भोंसले को ऑफर हुआ था।

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