- स्वर कोकिला लता मंगेशकर का आज बर्थडे है।
- लता मंगेशकर साल 1942 से फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं।
- लता मंगेशकर ने दुनियाभर की 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गाना गाए हैं।
मुंबई. स्वर कोकिला लता मंगेशकर 28 सितंबर को अपना 93वां जन्मदिन मना रही हैं। भारत रत्न से सम्मानित लता दीदी ने साल 1942 में अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्हें पहचान फिल्म महल के गाने 'आएगा आने वाला' से मिली थी। लता मंगेशकर ने दुनियाभर की 36 भाषाओं में 50 हजार से ज्यादा गाना गाए हैं।
लता मंगेशकर जब 13 साल की थीं तो उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था। इसके बाद उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ गई थी। 13 साल की उम्र में उन्होंने फिल्म 'पहिली मंगलागौर' से डेब्यू किया था। लता मंगेशकर की पहली कमाई 25 रुपए थी। उन्होंने 1942 में मराठी फिल्म 'किती हसाल' के लिए गाना गाया था। 18 साल की उम्र में मास्टर गुलाम हैदर ने फिल्म मजबूर के गीत 'अंग्रेजी छोरा चला गया' में मुकेश के साथ गाने का मौका दिया।
पिता के सामने गाने से डरती थीं लता मंगेशकर
लता मंगेशकर के नाम आज कई वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दर्ज हैं लेकिन, स्वर कोकिला अपने पिता के सामने गाने में डरती थीं। लता मंगेशकर ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था, 'पिताजी जिंदा होते तो मैं शायद सिंगर नहीं होती।' लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर को लंबे समय तक मालूम ही नहीं था कि उनकी बेटी गा सकती हैं। लता दीदी जब किचन में मां का हाथ बंटाने आई महिलाओं को गाना सिखाती तो उनकी मां डांटकर भगा देती थीं।
वीर सावरकर की सलाह ने बदली जिंदगी
यतींद्र मिश्रा द्वारा लिखी गई लता मंगेशकर की बायोग्राफी- लता एक सुर गाथा के मुताबिक- लता मंगेशकर ने अपनी किशोरावस्था में समाज सेवा का प्रण लिया था। वह राजनीति में आना चाहती थीं। किताब के मुताबिक वीर सावरकर ने उनसे कहा कि- 'आप एक ऐसे पिता की संतान हैं, जिनका शास्त्रीय संगीत के जगत पर नाम चमक रहा है। अगर तुम्हें देश की सेवा करनी है तो तुम संगीत के जरिए भी ऐसा कर सकती हो। इसी के बाद लता मंगेशकर का मन बदल गया था।'
इस वजह से नहीं की शादी
लता मंगेशकर ने शादी नहीं की है। लता मंगेशकर ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था, 'घर की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई थी। कई बार शादी का ख्याल आया लेकिन, वह सच नहीं हो सका। बहुत छोटी सी उम्र में ही मेरे पास बहुत काम रहता था। मैंने सोचा अपने भाई और बहन को व्यवस्थित कर दूं। इसके बाद बहन की शादी हो गई और उनके बच्चे हो गए। उन्हें संभालने की जिम्मेदारी भी मुझ पर आ गई थी।'
खाने-पीने की शौकीन
यतीन्द्र नाथ मिश्रा द्वारा लिखी लता मंगेशकर की बायोग्राफी 'लता सुर गाथा' के मुताबिक लता मंगेशकर की मेहमान नवाजी को हर कोई याद करता है। लता दीदी के हाथों का बना चिकन जिसने खाया वह उसे भूला नहीं पाया है।
चिकन के अलावा स्वर कोकिला सूजी का हलवा भी बहुत अच्छा बनाती थीं। लता मंगेशकर को सी फूड भी काफी पसंद था। खासकर गोवा की फिश और समुद्री झींगे उनकी पसंदीदा डिश थी।