- गुरुग्राम में दो दिन की बारिश ने खोली प्रशासन की तैयारियों की पोल
- शहर के कई इलाकों में अभी भी बिजली गुल, सड़कों पर जल भराव
- प्रशासन ने करोड़ों खर्च कर किया था जाम फ्री मानसून का दावा
Gurugram Rain News: दो दिन तक हुई रूक-रूक कर बारिश ने जहां आम जन को भीषण गर्मी से राहत दी, वहीं प्रशासन की मानसून को लेकर की गई तैयारियों की भी पोल खोल दी। बारिश की वजह से जहां सड़कों, सेक्टरों और कालोनियों में जलभराव हो गया, वहीं तेज हवा के कारण कई इलाकों में गुल हुई बिजली बुधवार तक भी नहीं आई। शहरवासियों का कहना है कि वर्तमान स्थिति को देखकर ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले मानसून में शहर की क्या स्थिति होने वाली है।
लोगों को सबसे ज्यादा समस्या जलभराव के कारण होने वाले ट्रैफिक जाम के कारण हुई। दो दिनों तक लोग सड़क पर जाम से जूझते रहे। सोहना चौक और लघु सचिवालय के पास कई घंटे तक भीषण जाम लगा रहा। वहीं तूफान के साथ कई इलाकों में गुल हुई बिजली अभी तक वापस नहीं लौटी है। बिजली निगम अधिकारियों का कहना है कि जगह-जगह पेड़ बिजली के तारों पर गिर गए हैं, जिसकी मरम्मत की जा रही है। जिन लाइनों पर मरम्मत का कार्य पूरा हो गया है, वहां पर बिजली सप्लाई बहाल कर दी गई है।
प्रशासन और नगर निगम ने किया था जाम फ्री मानसून का दावा
बात दें कि, इस बार जिला प्रशासन और नगर निगम दोनों जाम फ्री मानसून का दावा कर रहे थे। इसके लिए जिला उपायुक्त ने अधिकारियों के साथ बैठक कर प्लान भी बनाया और उसे अमलीजामा पहनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी किए। करीब एक सप्ताह पहले जिला प्रशासन की हुई बैठक में दावा किया गया था कि जलभराव वाली सभी जगहों की पहचान कर उन्हें सही कर दिया गया है। अब इन जगहों पर मानूसन में जलभराव नहीं होगा। हालांकि, प्रशासन के इन सभी दावों का एक सप्ताह के अंदर ही पोल खुल गई और पूरा शहर दो दिनों तक जाम में फंसा रहा।
इन जगहों पर सबसे ज्यादा जलभराव
इस दो दिन के बारिश में लगभग पूरे शहर में जलभराव हुआ, लेकिन शहर के कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जहां पर सबसे ज्यादा समस्या हुई। इनमें सेक्टर-नौ, चार, पांच, जिला अदालत के सामने, सोहना चौक, चितपूर्णी मंदिर के पास, राजीव चौक, सेक्टर-10, पालम विहार, न्यू कालोनी, सेक्टर-40, भीम नगर, हीरा नगर, बसई और धनकोट शामिल है। यहां पर सड़कों से पानी नहीं निकल रहा है। इसके अलावा उद्योग विहार, बसई, दौलताबाद, कादीपुर, खांडसा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भी सड़कों पर पानी भरा हुआ है।