- ब्लैक, व्हाइट, येलो और ग्रीन फंगस के बाद अब फिर से बढ़ गया है कोरोना मरीजों का संकट, सामने आए बोन डेथ के केस।
- कोरोना से रिकवर हो गए मरीजों की गल रही हैं हड्डियां, हड्डियों में दर्द माना जा रहा है इसका पहला लक्षण।
- विशेषज्ञों के अनुसार, स्टेरॉयड के इस्तेमाल से कोरोना से रिकवर हो गए मरीजों को हो रही है यह समस्या।
नई दिल्ली: हाल ही में महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से एक खबर सामने आई है जिससे सरकार, डॉक्टर और कोरोनावायरस मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। हाल ही में म्यूकोरमाइकोसिस की समस्या ने तबाही मचाई थी लेकिन अब एवैस्कुलर नैक्रोसिस यानि बोन डेथ की समस्या से चिंता और बढ़ गई है। जानकारों के मुताबिक कोरोनावायरस से ठीक हो गए मरीजों में यह समस्या देखी जा रही है। यह मरीज करीब 1 या 2 महीने पहले कोरोनावायरस से रिकवर हो गए थे इसीलिए इस बीमारी को क्लासिक पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशन का नाम दिया जा रहा है। उनके अनुसार ब्लड टिशू तक खून का सर्कुलेशन पर्याप्त मात्रा में ना होने से हड्डियां गल रही हैं।
जानकार बता रहे हैं कि समय के साथ बोन डेथ की समस्या में तेजी आ सकती है । फिलहाल एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोनावायरस मरीजों के इलाज में इस्तेमाल हो रहे स्टेरॉयड के वजह से बोन डेथ की परेशानी कोरोना से रिकवर हो गए मरीजों में देखी जा रही है।
क्या है एवैस्कुलर नैक्रोसिस यानि बोन डेथ?
कोरोना से रिकवर हो गए लोग अब एवैस्कुलर नैक्रोसिस यानि बोन डेथ की समस्या लेकर सामने आ रहे हैं। इस बीमारी को डेथ ऑफ बोन का नाम दिया जा रहा है और यह कहा जा रहा है कि इससे कोरोनावायरस से रिकवर हुए लोगों की हड्डियां गल हो रही हैं। एक्सपर्ट द्वारा इस बीमारी को दुर्लभ करार किया जा रहा है। उनका मानना है कि बोन टिशू में खून प्रवाह ठीक से नहीं हो रहा है जिसके वजह से हड्डियां गल रही हैं।
कौन से अंग होते हैं प्रभावित?
डॉक्टरों का मानना है कि ब्लैक फंगस नाक, गला, आंख, दिमाग आदि को अपना निशाना बनाता था मगर एवैस्कुलर नैक्रोसिस यानि बोन डेथ का सीधा प्रभाव हड्डियों पर पड़ता है। जिन मरीजों में यह बीमारी देखी गई है उन्हें सबसे पहले फीमर बोन में दर्द हुआ था। विशेषज्ञ बता रहे हैं कि इस बीमारी का लक्षण हड्डियों के दर्द से शुरू होता है।
कहां-कहां मिले हैं बोन डेथ के मरीज?
अभी तक भारत में बोन डेथ के लगभग 5 मामले सामने आए हैं। यह सभी मामले महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में दर्ज किए गए हैं। कहा जा रहा है कि जिन मरीजों में यह बीमारी देखी गई है उनकी आयु 40 से कम है। कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, बोन डेथ की शिकायत करने वाले मरीज डॉक्टर हैं। कहा जा रहा है कि जैसे ही इन डॉक्टर को इस बीमारी का लक्षण दिखाई दिया वैसे ही वह लोग अस्पताल ट्रीटमेंट के लिए पहुंचे।
क्या हैं बोन डेथ के लक्षण?
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, जांघ और कूल्हे की हड्डियों में दर्द, हर समय हड्डियों में दर्द रहना, चलने में परेशानी होना, हाथ, कंधे, घुटने, पैर और जोड़ों में दर्द बोन डेथ के लक्षण हैं।
क्या है बोन डेथ का इलाज?
अभी इस समस्या से आधारित और अध्ययन करने बाकी हैं मगर विशेषज्ञ यह बता रहे हैं कि कोरोनावायरस से ठीक हो गए लोगों को अगर कुल्हे या जांघ या हड्डियों में लगातार दर्द बना रहता है तो इस दर्द को नजर अंदाज करने की जगह उन्हें तुरंत एमआरआई करवाना चाहिए और डॉक्टरों की सलाह लेना चाहिए।
डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।