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Cardiac Arrest ने ली काब‍िल के एक्‍टर की जान, जानिए हार्ट अटैक से कैसे है अलग

Updated Feb 25, 2018 | 10:35 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर है। बहुत के लोग कार्डियक अरेस्ट को दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक समझते हैं। आइए हम आपको दोनों के बीच का अंतर समझाते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspTOI Archives
हार्ट अटैक से अलग है कार्डियक अरेस्ट।

नई दिल्ली: बुधवार की सुबह एक मनहूस ख़बर लेकर आई। जाने-माने टीवी और फ़िल्म कलाकार और ऋत‍िक रोशन की फ‍िल्‍म काब‍िल में काम कर चुके अभ‍िनेता नरेंद्र झा का निधन हो गया है। उनका निधन कार्ड‍िएक अरेस्‍ट से हुआ। वो 55 साल के थे। इससे पहले मशहूर सूफी गायक प्‍यारे लाल वडाली की भी 'कार्डियक अरेस्ट' के कारण मौत हो गई थी। दरअसल, हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट में अंतर है। बहुत के लोग कार्डियक अरेस्ट को दिल का दौरा यानी हार्ट अटैक समझते हैं। आइए हम आपको दोनों के बीच का अंतर समझाते हैं।

क्या होता है हार्ट अटैक
रोधगलन या मायोकार्डियल इन्फैक्सन को हार्ट अटैक या दिल का दौरा या हृदयघात के नाम से जाना जाता है। यह तब होता है जब शरीर की कोरोनरी धमनी में अचानक ब्लॉकेज पैदा हो जाए। ये धमनी हमारे दिल की पेशियों तक खून पहुंचाने का काम करती है। जब वहां किसी कारण से खून नहीं पहुंच पाता है तो ये काम करना बंद कर देती है। जिसे हम आम तौर पर दिल का दौरा कहते हैं। दरअसल, हार्ट अटैक होने पर दिल के अंदर कुछ पेशियां काम करना बंद कर देती हैं। इसके लिए कई तरह के इलाज किए जाते हैं, जिससे ब्लॉकेज खत्म हो जाता है और दिल तक खून पहले की तरह पहुंचने लगता है।

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क्या होता है कार्डियक अरेस्ट
वहीं कार्डियक अरेस्ट या पूर्णहृदरोध में, दिल के प्रभावी तरीके से सिकुड़ने में दिक्कत के कारण खून के सामान्य संचरण में ठहराव आता है। यह दिल के दौरे से अलग है, लेकिन यह दिल के दौरे का कारण हो सकता है। कार्डियक अरेस्ट के कारण, शरीर में ऑक्सीजन के वितरण रूक जाता है। जिसके कारण दिल पर बुरा असर पड़ता है और मरीज की जान भी जा सकती है। इसके इलाज के लिए पीड़ित को जल्द से जल्द सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन) दिया जाता है। जिससे दिल की धड़क को नियमित किया जा सके। सीपीआर में बीमार को डिफाइब्रिलेटर से बिजली के झटके दिए जाते है, जिससे हृदयगति को नॉर्मल हो सके। 

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गौरतलब है कि कार्डियक अरेस्ट एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसका कुछ खास स्थितियों में अगर समय से इलाज किया जाए तो मरीज की जान बच सकती है। जिन लोगों को दिल की बीमारी होती है, उनमें कार्डियक अरेस्ट होने का खतरा ज्यादा रहता है। अगर किसी के परिवार में दिल की बीमारी रही है तो भी इसका खतरा बना रहता है। 
 

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