- संक्रमण के दौरान बच्चे खतरनाक मल्टीसिस्ट इन्फलेमेन्ट्री सिंड्रोम के हो सकते हैं शिकार।
- कोविड का दूसरा वेरिएंट बच्चों के लिए है अधिक घातक।
- बच्चों को नहीं है अभी कोरोना वैक्सीन लगवाने की अनुमति।
देशभर में पिछले एक साल से कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा, दिन प्रतिदिन करोना संक्रिमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत में एक दिन में सबसे ज्यादा केस आ रहे हैं। पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 1 लाख 15 हजार से अधिक नए मामले दर्ज किए जा चुके हैं, वहीं 600 से अधिक लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। इस समय कोरोना की दूसरी लहर चल रही है और अगले चार हफ्ते और भी ज्यादा खतरनाक सिद्ध होने वाले हैं, संक्रमण की रफ्तार पिछले साल के मुकाबले करीब चार गुना तेज है। विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर बच्चों के लिए अधिक घातक सिद्ध हो रही है। ऐसे में आइए जानते हैं बच्चों के लिए क्यों है कोरोना की दूसरी लहर घातक और इसके लक्षण।
कोरोना की पहली लहर बच्चों के लिए कम खतरनाक थी, इस दौरान वयस्कों की तुलना में बच्चों में कोरोना संक्रमण का खतरा कम था। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार हाल ही में आई रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना का पलटवार बच्चों पर भारी पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बना रहा है, जिससे बच्चे इस भयावह महामारी के चपेट में तेजी से आ रहे हैं और कोरोना के प्रकोप के कारण बच्चों की मृत्यु दर में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं बच्चों में कोरोना के लक्षण।
क्या कोविड का दूसरा वेरिएंट बच्चों के लिए है खतरनाक?
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भारत में नए कोविड वेरिएंट की पुष्टि की गई थी। इससे संक्रमित लोग भारत के 18 राज्यों में पाए गए थे। आपको बता दें डबल वेरिएंट ना केवल आपके इम्यून सिस्टम को कमजोर बना रहा है बल्कि यह रिसेप्टर्स के साथ मिलकर आपके शरीर में तेजी फैल रहा है। ऐसे में स्थिति पहले की तुलना में और भी अधिक भयावह होने का डर है। हालांकि अभी उन बच्चों पर बहुत अधिक शोध नहीं किया गया है जो नए कोविड उपभेदों से संक्रमित हैं। विशेषज्ञों के अनुसार डबल म्यूटेंट वयस्कों के साथ बच्चों के लिए भी अधिक खतरनाक है। इससे बच्चों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
संक्रमण कितना हो सकता है गंभीर?
कोरोना के पलटवार के दौरान बच्चे भी इससे तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। शोध के मुताबिक विशेषज्ञों ने इस पर चिंता जताई है। विशेषज्ञों का कहना कि 2 से 16 वर्ष की आयु के बच्चे ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं, वहीं जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल पीडियाट्रिक्स की रिपोर्ट के मुताबिक 3 में से 1 बच्चे में इसके लक्षण और इसका प्रकोप अधिक देखा जा रहा है। तथा इन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की और अधिक देखभाल की आवश्यकता पड़ रही है। ऐसे में इसे हल्के में लेने के बजाए बच्चों को लेकर अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
बच्चों के कोरोना संक्रमित होने पर कौन से कारक हैं जिम्मेदार?
विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष बच्चों के अधिक संक्रमित होने के अनेक कारक जिम्मेदार हैं। जिसमें प्रशिक्षण और शैक्षणिक संस्थान का खुलना बच्चों के संक्रमित होने का सबसे बड़ा कारण है। स्कूल खुलने से बच्चे अधिक संक्रमित हो रहे हैं। तथा कोरोना का दूसरा वेरिएंट अधिक खतरनाक है यह बच्चों को तेजी से संक्रमित कर रहा है और बच्चों को अभी वैक्सीन दने की अनुमति नहीं है। जिससे संक्रमण का मामला तेजी से बढ़ रहा है।
बच्चे कैसे हो सकते हैं प्रभावित?
हार्वर्ड हेल्थ रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से संक्रमित होने के दौरान कई बच्चों में कोई लक्षण नहीं होते हैं और कई जो बीमार पड़ते हैं उनमें थोड़े बहुत लक्षण होते हैं, जैसे खांसी, हल्का बुखार, जुकाम, थकान आदि। लेकिन संभावित रूप से गंभीर और खतरनाक मल्टीसिस्ट इन्फलेमेन्ट्री सिंड्रोम (MIS-C) बच्चों में हो सकते हैं, जो ह्रदय और शरीर के अन्य अंगों के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं एमआईएस-सी के लक्षण।
बच्चों में कोरोना के लक्षण
- - ज्यादा दिनों से बुखार होना
- - त्वचा और पैर की उंगलियों पर लाल चकत्ते पड़ना
- - शरीर और जोड़ों में दर्द होना
- - होठों का लाल होना या फट जाना
- - चेहरा नीला पड़ना
- - पेट में ऐठन या दर्द
- - उल्टी या दस्त होना
- - हांथ और पैर का सूज जाना
- - चिड़चिड़ापन और थकान होना
बच्चों के लिए अभी नहीं है कोरोना वैक्सीन
आपको बता दें बच्चों को अभी टीका लगाने की कोई अनुमति नहीं है। हालांकि मॉर्डना बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है। इसी हफ्ते मॉर्डना ने अमेरिका में बच्चों पर कोरोना वैक्सीन का ट्रायल शुरु किया है। इसे किडकोव अबियान के नाम से जाना जा रहा है।