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Epilepsy Disease: आप के जिगर का टुकड़ा अगर इस रोग का शिकार हो तो भी घबराएं नहीं, बोलें- मेरा बच्चा हीरो है

Updated Jan 13, 2021 | 08:14 IST

एपिलेप्सी या मिर्गी एक ऐसे रोग का नाम है जिसे पैरेंट्स बताने से हिचकते हैं। लेकिन बेहतर यह है कि इस विषय में प्रभावित बच्चे को जरूर बताना चाहिए ताकि वो दौरे के बाद अपने आपको संभाल सके।

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एपिलेप्सी, ब्रेन डिस्आर्डर की बीमारी है

नई दिल्ली। फर्ज करें कि आप का बेटा बहुत प्यारा हो। लेकिन उसे एपिलेप्सी यानी कि मिर्गी की शिकायत हो तो चैन छिन जाता है। हर समय दिल और दिमाग में दहशत रहती है कि अगर वो अपने बच्चे के साथ उस हालात में मौजूद ना हों तो क्या होगा। इससे भी बड़ी बात यह है कि भारतीय समाज में इसे बहुत ही खराब भी माना जाता है। मिर्गी के शिकार बच्चे के साथ साथ माता पिता को सामाजिक अपयश का डर सताता रहता है। ऐसे में न तो बच्चा और न ही उसके पैरेंट्स लोगों से घुलमिल पाते हैं। एक तरह से कहा जा सकता है समाज में रहकर समाज से वो परिवार अलग थलग हो जाता है। 

मिर्गी से सामाजिक अपयश का डर !
खासतौर से एपिलेप्सी के शिकार नवजात और बच्चे होते हैं लेकिन किशोरावस्था में भी इस तरह की परेशानी आ जाती है। स्कूल जा रहे बच्चों के सामने यह परेशानी होती है कि दौरे पड़ने के दौरान और उसके बाद वो क्या करें। दरअसल मिर्गी में जिस तरह से शरीर में अकड़ होती है, मुंह से झाग आता है  और आवाज आती है या कभी कभी बच्चे को पोटी भी आ जाती है, ऐसी सूरत में मिर्गी का शिकार बच्चा खुद ब खुद दहशत में होता है उसके साथ ही दूसरे बच्चे भी डर जाते हैं। मिर्गी की वजह से प्रभावित बच्चे को स्कूल में तरह तरह की परेशानी आती है। ऐसे में बच्चे और उसके दोस्तों को बताना जरूरी हो जाता है। 

सीजर या दौरे के प्रकार अलग अलग हो सकते हैं। लेकिन इस लक्षणों के आधार पर आप आने वाले खतरे को समझ सकते हैं।  

  1. घूर हाथ और पैर का हिलना डुलना शरीर का सख्त हो जाना
  2. बेहोशी सांस लेने में तकलीफ होना या सांस रुकना
  3. आंत्र या मूत्राशय पर नियंत्रण का नुकसान
  4. बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक गिरना, खासकर तब जब चेतना का नुकसान हो रहा हो
  5. संक्षिप्त अवधियों के लिए शोर या शब्दों का जवाब नहीं भ्रमित या धुंध में दिखाई देना
  6. जागरूकता या चेतना के नुकसान के साथ जुड़े रहने पर सिर को लयबद्ध रूप से तेजी से आँख झपकने और घूरने की 
  7. आपके बच्चे के होंठ नीले रंग के हो सकते हैं और उसकी सांस सामान्य नहीं हो सकती है।
  8. दौरे के के बाद, आपका बच्चा नींद या उलझन में हो सकता है।
  9. दौरे के लक्षण अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की तरह हो सकते हैं। ऐसे हालात में आप अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें। 


मिर्गी से घबराए नहीं, कराएं इलाज

एपिलेप्सी के संबंध में होम्योपैथी के एक मशहूर डॉक्टर अमरनाथ शुक्ला बताते हैं कि पहली बात तो यह है कि ब्रेन में डिस्ऑर्डर होने से बच्चा मिर्गी का शिकार होता है। लेकिन चिकित्सा और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, जब्ती प्रकार की पहचान में अधिक सटीकता है और उपचार के तौर-तरीके भी हैं। मिर्गी न केवल बच्चे के संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करता है, बल्कि यह बच्चे के व्यवहार विकास को भी प्रभावित करता है। बच्चे के साथ-साथ उसका परिवार भी प्रभावित होता है। अनियंत्रित मिर्गी और दौरे का कारण बनने वाली स्थितियाँ अमिट परिवर्तन छोड़ती हैं जो जीवन के लिए एक बच्चे को प्रभावित कर सकती हैं और यहां तक कि अचानक मौत का खतरा भी बढ़ा सकती हैं।