नई दिल्ली : बहुत सी बीमारियां बढ़ती उम्र के साथ होने लगती हैं लेकिन आधुनिक लाइफ स्टाइल में 30 से 40 साल की उम्र में ही लोगों को दिल के रोग होने लगे हैं। पिछले एक से दो दशकों में भारत में बैड लाइफस्टाइल, तनाव, एक्सरसाइज ना करने और बैड फूड हैबिट्स की वजह से लोगों को दिल संबंधित गंभीर रोग होने लगे हैं।
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, ये हार्ट डिजीज 1970 से 2000 के बीच 300 फीसदी बढ़ गई हैं। ऐसे में आपका ये जानना बेहद जरूरी है कि दिल की बीमारी होने के क्या लक्षण हैं और समय से पहले दिल के रोग होने से खुद को कैसे बचाया जा सकता है। कोलंबिया एशिया रेफरल हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलोजिस्ट डॉ. कार्तिक वासुदेवन से जानें दिल की बीमारी के ऐसे 10 शुरुआती लक्षण जिन्हें समय से पहले जानकर गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है।
हृदय रोग के लक्षण
- छाती में असहजता महसूस होना- यदि आपकी आर्टरी ब्लॉक है या फिर हार्ट अटैक है तो आपको छाती में दबाव महसूस होगा और दर्द के साथ ही दबाव महसूस होगा।
- नोजिया, हार्टबर्न और पेट में दर्द- दिल संबंधी कोई भी गंभीर समस्या होने से पहले कुछ लोगों को मितली आना, हृदय में जलन, पेट में दर्द होना या फिर पाचन संबंधी दिक्कतें आने लगती हैं।
- हाथ में दर्द होना- कई बार दिल के रोगी को छाती और बाएं कंधे में दर्द की शिकायत होने लगती है। ये दर्द धीरे-धीरे हाथों की तरफ नीचे की ओर जाने लगता है।
- कई दिनों तक कफ होना- यदि आपको काफी दिनों से खांसी-जुकाम हो रहा है और थूक सफेद या गुलाबी रंग का हो रहा है तो ये हार्ट फेल होने का एक बड़ा लक्षण है।
- पसीना आना- सामान्य से अधिक पसीना आना खासतौर पर तब जब आप कोई शारीरिक क्रिया नहीं कर रहे तो ये आपके लिए एक चेतावनी हो सकती है।
- पैरों में सूजन- पैरों में, टखनों में, तलवों में और एंकल्स में सूजन आने का मतलब ये भी हो सकता है कि आपके हार्ट में ब्लड का सरकुलेशन ठीक से नहीं हो रहा है।
- हाथ-कमर और दांतों में दर्द होना- हाथों में दर्द होना, कमर में दर्द होना, गर्दन में दर्द होना और यहां तक की दांतों व जबड़े में दर्द होना भी दिल की बीमारियों का एक लक्षण हो सकता है।
- चक्कर आना या सिर घूमना- कई बार चक्कर आने, सिर घूमने, बेहोश होने, बहुत थकान होने जैसे लक्षण भी दिल की बीमारियों की चेतावनी देते हैं।
- सांस लेने में दिक्कतें आना- सांस लेने में दिक्कतें आना या फिर कम सांस लेना हार्ट फेल का बड़ा लक्षण है।
दिल को स्वस्थ रखने के 7 उपाय
- Green Tea का प्रयोग करें: इसमें antioxidants होते हैं जो आपके cholesterol को कम करते हैं और ये blood pressure कंट्रोल करने में भी मददगार होते हैं। ग्रीन टी में कुछ ऐसे तत्व भी पाए जाते हैं जो कैंसर बढ़ाने वाली कोशिकाओं को मारते हैं। ये असमान्य blood clotting को भी रोकती है , जिस वजह से ये स्ट्रोक रोकने में भी सहायक है।
- Olive Oil का प्रयोग करें: खाना बनाने के लिए जैतून तेल का प्रयोग करें। दरअसल इसमें मौजूद फैट्स bad LDL cholesterol को कम करने में सहायक होते हैं। Olive Oil में भी antioxidants होते हैं , जो अन्य कई बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।
- पर्याप्त नीद लें: खासतौर पर 40 साल के ऊपर के व्यक्ति के लिए अच्छी नींद बहुत ज़रूरी है। पर्याप्त नींद ना लेने पर शरीर से stress hormones निकलते हैं, जो धमनियों को block कर देते हैं और जलन पैदा करते हैं।
- फाइबर युक्त आहार लें: रिसर्च के आधार पर ये साबित हो चुका है कि आप जितना अधिक fibre खायेंगे , आपके हार्ट अटैक के चांस उतने ही कम होंगे। अधिक से अधिक बीन, सूप और सलाद का प्रयोग करें।
- नाश्ते में फ्रूट जूस लें: ऑरेंज जूस में folic acid होता है जो heart attack के खतरे को कम करता है। वहीं अंगूर के जूस में flavonoids and resveratrol होते हैं आर्टरी ब्लॉक करने वाले clots को कम करता है। ज्यादातर juice आपके लिए अच्छे हैं बस ध्यान रखिये कि वो sugar free हों।
- रोज़ exercise करें: यदि आप daily 20 मिनट तक व्यायाम करते हैं तो heart-attack होने आपका खतरा एक-तिहाई तक घट जाता है। Walk पर जाना, aerobics या dance classes करना फायदेमंद होगा।
- खाने में लहसुन का प्रयोग करें: अध्ययनों में पाया गया है कि लहसुन खाने से blood pressure कम रहता है। ये cholesterol को भी कम करता है और साथ ही blood sugar levels को भी control में रखता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
दिल की बीमारियों के लिए योगासन
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपने काम को ज्यादा प्रथामिकता देते हैं। लेकिन जरा सोचिए अगर आप स्वस्थ नहीं रहेंगे तो काम कैसे कर पाएंगे! ऐसे में अगर आप थोड़ा सा समय योग के लिए निकालें तो आप अपने दिल को चुस्त दुरुस्त रख पाएंगे। आइए जानें हृदय रोग में कौन से कौन योग करना चाहिए।
- ताड़ासन : पैरों को एक साथ मिलाकर खड़े हो जाएं। अब पंजों पर जोर देते हुए धीरे-धीरे ऊपर उठें और दोनों हाथों को मिलाकर ऊपर की ओर तान दें। इस अवस्था में पूरे शरीर का भार पैरों के पंजों पर होगा और पूरे शरीर को सीधा ऊपर की ओर तानेंगे। इसे करते समय पेट को अन्दर की ओर खींचना चाहिए तथा सीना बाहर की ओर तना हुआ रहना चाहिए। कमर-गर्दन बिल्कुल सीधी रखें। इस आसन का अभ्यास कम से कम 5 बार अवश्य करें।
- स्वस्तिकासन : दरी या कंबल बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर सामान्य स्थिति में बाएं पैर के घुटने के बीच दबाकर रखें और बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाएं पैर की पिण्डली पर रखें। फिर दोनों हाथ को दोनों घुटनों पर रखकर ज्ञान मुद्रा बनाएं। ज्ञान मुद्रा के लिए तीन अंगुलियों को खोलकर तथा अंगूठे व कनिष्का को मिलाकर रखें। अब अपनी दृष्टि को नाक के अगले भाग पर स्थिर कर मन को एकाग्र करें। अब 10 मिनट तक इस अवस्था में बैठें। इस योग से एकाग्रता बढ़ती है साथ ही हृदय का तनाव कम होता है।
- सर्वांगासन : इस आसन में पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं फिर दोनों पैरों को मिलाएं, हाथों की हथेलियों को दोनों ओर जमीन से सटाकर रखें। अब सांस अन्दर भरते हुए आवश्यकतानुसार हाथों की सहायता से पैरों को धीरे-धीरे 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और अन्त में 90 डिग्री तक उठाएं। इससे आपकी पाचन शक्ति ठीक रहती है और रक्त का शुद्धिकरण होता है।
- शीर्षासन : दोनों घुटने जमीन पर टिकाते हुए फिर हाथों की कोहनियां जमीन पर टिकाएं। फिर हाथों की अंगुलियों को आपस में मिलाकर ग्रिप बनाएं, तब सिर को ग्रिप बनी हथेलियों को भूमि पर टिका दें। इससे सिर को सहारा मिलेगा। फिर घुटने को जमीन से ऊपर उठाकर पैरों को लंबा कर दें। फिर धीरे-धीरे पंजे टिकाएं और दोनों पैरों को पंजों के बल चलते हुए शरीर के करीब अर्थात सिर के नजदीक ले आते हैं और फिर पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए उन्हें धीरे से ऊपर उठाते हुए सीधा कर देते हैं तथा पूर्ण रूप से सिर के बल शरीर को टिका लेते हैं। इससे ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है साथ ही हृदय गति सामान्य रहती है।
आयुर्वेद द्वारा हृदय-संबंधी रोगों की चिकित्सा
मॉडर्न मेडिकल साइंस के अनुसार हृदय रोग जैसी व्याधियां क्रॉनिक डिसीज़ (chronic diseases) के क्षेत्र में आती हैं जिन्हे सिर्फ नियंत्रण में रखा जा सकता है। लगभग 3 दशक पहले इन रोगों को अपराजेय (untreatable) माना जाता था परंतु आयुर्वेद के अनुसार यदि कुशलता पूर्वक इनका इलाज किया जाए तो ये रोग ठीक हो सकते हैं।
रोगी के आत्मविश्वास और स्वयं के स्वास्थ के प्रति निष्ठा पर भी निर्भर करता है कि वह रोग से कितनी रोग शीघ्र मुक्त हो जाता है। कुछ साधारण प्रयोगों द्वारा हृदय के स्वस्थ को बढ़ाया जा सकता है। ना सिर्फ़ इनके द्वारा रोग को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है अपितु यह पाया गया है की रोग जड़ से समाप्त हो जाता है, धमनी में उत्पन्न अवरोध पूरी तरह से खुल जाते हैं और व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जी सकता है।
त्रिफला गुग्गूल के उपयोग द्वारा रक्त-वहिनियों में जमा हुआ आम और वसा बाहर आ जाते हैं और स्रोतों को पोषण भी प्राप्त होता है। आंवला का नित्य प्रयोग करने से रक्त में antioxidants की मात्रा बढ़ती है जिससे धमनियों की free-radicals से सुरक्षा होती है। आंवला हृदय तथा धमनियों का उचित पोषण कर उन्हें मजबूत बनता है। आंवला का उपयोग च्यवनप्राश नामक रसायन मे प्राचुर्य में किया गया है। यह फल हृदय में अवरोध को घटाकर रक्त के दौरे को बढ़ाने में मदद देता है।
ये उपाय भी जानें
- अर्जुन की छाल जिससे congestive heart failure नामक रोग को होने से रोका जा सकता यह औषधि हृदय को मज़बूत भी बनाती है।
- अश्वगंधा से मानसिक तनाव दूर करने में उपयोगी है और इसके सेवन से तनावजन्य उच्चरसोना या लहसुन के सेवन से उच्च रक्तचाप के नियंत्रण में सहायता मिलती है।
- लस्सी में 1 ग्राम लहसुन का पेस्ट डालकर दिन में 2 बार पीना चाहिए। लहसुन का तत्व बढ़े हुए कोलेस्टरॉल को नियंत्रित करता है।
- मेथी दाना का एक चम्मच रात को सोने से पूर्व भिगो दें। प्रातः काल में खाली पेट इस मेथी दाना को चबाकर खाना चाहिए।
- त्रिफला चूर्ण सुबह शहद के साथ लेने से भी रक्त की शुद्धि और उच्च रक्तचाप से मुक्ति मिलती है।
- अर्जुन की छाल के प्रयोग से भी हृदय रोग में लाभ मिलता है और रक्त के दौरे को अवरोध मुक्त होने में सहायता मिलती है। अर्जुन हृदय को पुष्ट करने में भी सहायता देती है। 30 ग्राम अर्जुन की छाल और 15 ग्राम गेहूं के आटे को गाय के दूध से बने देसी घी में भून लें। इसमें थोड़ा सा गाय का दूध मिलायें और इस मिश्रण को थोड़ी देर पकाएं और फिर इस में पानी डाल दें। इस हलवे के सेवन से हृदय रोगों में लाभ मिलता है।
(लेखक जाने-माने योग गुरु हैं)
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