- डॉक्टरों का मानना है कि कमर दर्द की समस्या से पीड़ित अस्पताल आने वाले 60 प्रतिशत मरीज स्लिप डिस्क के शिकार हैं
- खराब सड़कों पर गाड़ी चलाने से लोगों को स्लिप डिस्क, गर्दन और कमर दर्द की समस्या हो रही है
- वाहन चलाते समय गर्दन में झटका लगने से सर्वाइकल की समस्या हो सकती है
देश के कई शहरों में बड़े बड़े गड्ढों से भरी उबड़ खाबड़ सड़कें न सिर्फ दुर्घटना को दावत दे रही हैं बल्कि वाहन चालकों के सेहत को भी प्रभावित कर रही हैं। घंटों तक जाम में फंसे रहने और खराब सड़कों पर गाड़ी चलाने से लोगों को स्लिप डिस्क, गर्दन और कमर दर्द, रीढ़ की हड्डी में चोट एवं सर्वाइकल सहित कई तरह की गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सिर्फ यही नहीं सड़कों पर उड़ने वाली धूल, वाहनों के हानिकारक धुंओं से त्वचा रोग, एलर्जी एवं फेफड़ों से जुड़े रोग भी हो रहे हैं।
डॉक्टरों का मानना है कि कमर दर्द की समस्या से पीड़ित अस्पताल आने वाले 60 प्रतिशत मरीज स्लिप डिस्क के शिकार हैं। सड़क के गड्ढों के कारण अचानक कमर पर झटका लगने से स्लिप डिस्क की समस्या हो सकती है। जबकि वाहन चलाते समय गर्दन में झटका लगने से सर्वाइकल की समस्या हो सकती है। अस्पताल आने वाले मरीजों में 20 से 25 प्रतिशत लोग सर्वाइकल की समस्या से जूझ रहे हैं।
कैसे होती है स्लिप डिस्क की समस्या
रीढ़ की हड्डी के बीच में एक लिक्विड भरा होता है, जिसे डिस्क कहते हैं। ऊबड़ खाबड़ सड़कों पर गाड़ी चलाने के दौरान झटका लगने से डिस्क बाहर निकल आती है और स्पाइनल कॉड दबने लगता है। जिसके कारण पैरों में झुनझुनाहट होती है और पैर सुन्न भी हो सकते हैं। सड़के के गड्ढों के कारण तेज झटका लगने से पैरों में लकवा लग सकता है। इसके अलावा कमर का निचला हिस्सा भी सबसे ज्यादा प्रभावित होता है।
स्लिप डिस्क से खराब हो सकते हैं पैर
उबड़ खाबड़ और गड्ढों से भरी सड़कों पर वाहन चलाने से गड्ढों के कारण गाड़ी ड्राइव करने वाले को तेज झटका लगता है जिससे सिर्फ स्लिप डिस्क ही नहीं बल्कि सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस की समस्या भी हो सकती है। डॉक्टरों का मानना है कि कई बार स्लिप डिस्क की समस्या इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि मरीज का ऑपरेशन करना पड़ता है। ऑपरेशन में पचास हजार से अधिक का खर्च आता है। समय पर ऑपरेशन न करने से पैर खराब हो सकता है। जबकि सर्वाइकल स्पोंडलाइटिस के इलाज में देरी करने से हाथ पैर सुन्न होने के साथ चक्कर आने जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।
धूल से हो सकती है स्किन एलर्जी
वाहनों के खतरनाक धुएं और सड़कों पर उड़ने वाली धूल से स्किन एलर्जी होने के साथ लोगों को सांस संबंधी बीमारियां भी हो रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार धूल के कारण स्किन एलर्जी के मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई है। धूल के कारण त्वचा पर खुजली होती है और चमड़ी मोटी हो जाती है जिस पर दवा का कम असर पड़ता है। धूल के कारण स्किन पर मुंहासे होने लगते हैं, त्वचा लाल पड़ जाती है और कुछ गंभीर परिस्थितियों में त्वचा पर बड़े बड़े चकत्ते उभर आते हैं।
पीठ और कमर दर्द होने पर बरतें ये एहतियात
- नीचे ज्यादा ना झुकें और सीधे खड़े रहने की कोशिश करें।
- जमीन पर उकड़ू बनकर ना बैठें, बैठते समय शरीर को सीधा रखें।
- स्लिप डिस्क होने पर वेस्टर्न टॉयलेट का उपयोग करें।
- इस समस्या से बचने के लिए बाइक का कम उपयोग करें।
- सर्वाइकल प्रॉब्लम हो तो गर्दन का ना झटकें।
- चक्कर आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
- सही तरीके से उठें और बैठें।
उबड़ खाबड़ सड़कों पर यात्रा करते समय बरतें ये सावधानियां
- गाड़ी चलाते समय पूरी तरह सतर्क रहें, गाड़ी की स्पीड धीमी रखें और अचानक ब्रेक लगाने से बचें।
- उबड़ खाबड़ सड़कों पर पैदल चलने वाले यात्रियों को घुटनों और टखनों को चोट से बचाने के लिए बंद जूते पहनना चाहिए।
- जिन लोगों को पहले से चोट लगी हो उन्हें गाड़ी चलाते समय लंबो सैक्रल बेल्ट या सर्वाइकल कॉलर का इस्तेमाल करना चाहिए।
- यात्रियों को कार में बैठते समय अपनी पीठ के पीछे अतिरिक्त कुशन का उपयोग करना चाहिए।
- ड्राइवर के साथ-साथ यात्रियों को भी एहतियात के तौर पर सीट बेल्ट का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करना चाहिए।
- दुपहिया वाहन चलाने वाले लोगों को हमेशा हेलमेट पहनना चाहिए। बाइक पर बच्चों की सुरक्षा के लिए उन्हें भी हेलमेट पहनाना चाहिए।
इस तरह सड़कों पर यात्रा करते समय जरा सी सावधानी बरतने से आप स्लिप डिस्क और सर्वाइकल सहित कई गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।