देश दुनिया में जारी कोरोना बीमारी से निपटने के उपायों पर काम हो रहा है इससे निपटने के लिए वैक्सीन पर भी काम हो रहा है और तमाम दावे भी सामने आ रहे हैं। वहीं कोरोना वैक्सीन पर ट्रायल कर रही कंपनी भारत बायोटेक ने कहा है कि अगले साल सिंगल डोज वैक्सीन मिलने लगेगी ये बीमारी से निपटने में कारगर होगी।
सबसे खास बात यह है कि स्वदेशी वैक्सीन की सिर्फ दो बूंदे कोरोना (Two drop corona vaccine) को हराने के लिए काफी होंगी, ICMR के साथ काम कर रही भारत बायोटेक का दावा है कि अगले साल से वैक्सीन मिलने लगेगी, बताया जा रहा है कि वैक्सीन के दो ड्रॉप नाक में डाले जाएंगे मीडिया रिपोर्टों के हवाले से ऐसा कहा जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत बायोटेक इंटरनैशनल लिमिटेड की देसी वैक्सीन 'कोवाक्सिन' ट्रायल के फाइनल स्टेज में है और खास बात ये कि इस वैक्सीन के दो फेज के ट्रायल सफल रहे हैं और तीसरे फेज का ट्रायल जारी है। गौर हो कि कोरोना का टीका विकसित करने में भारत भी पीछे नहीं है। भारत में भी पांच टीके परीक्षण के अपने अंतिम दौर में हैं। उम्मीद जताई जा रही है आने वाले दिनों में लोगों के लिए टीके उपलब्ध हो जाएंगे।
फाइजर एवं मॉडर्ना के वैक्सीन पर भी निगाहें
सरकार का कहना है कि उसकी नजर फाइजर एवं मॉडर्ना के टीके पर भी है। हालांकि, सरकार का मानना है कि फाइजर के टीके को कोल्ड चेन में रखना उसके लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा सीमित मात्रा में उसके टीके की आपूर्ति भारत की जरूरतों को पूरा करने में पर्याप्त नहीं होगी। पॉल ने कहा, 'हमारी जहां तक जानकारी है, उसके हिसाब से एक ही ऐसा टीका है जिसे रखने के लिए 70 से 80 डिग्री सेल्सियस तापमान की जरूरत है। इस तापमान पर टीके का संग्रहण करना किसी भी देश के लिए एक चुनौती है। इससे वितरण में परेशानी पैदा होगी। फिर भी हम इसे देख रहे हैं। टीके का डोज पाने के लिए यदि जरूरत पड़ी तो हम इसकी भी व्यवस्था बनाएंगे।'
टीका उन लोगों को पहले दिया जाएगा जो जोखिम वाले दायरे में
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि कोरोना का टीका उन लोगों को पहले दिया जाएगा जो जोखिम वाले दायरे में हैं। इनमें 50 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग, फ्रंट लाइन कर्मचारी एवं स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं। इसे देखते हुए करीब 30 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें पहले चरण में टीका देने की जरूरत है। नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल जो कि वैक्सीन मामलों पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख भी हैं, उनका कहना है कि ये सभी टीके ऐसी जगहों पर विकसित हो रहे हैं जहां से जरूरत के हिसाब से भारत को डोज की आपूर्ति हो जाएगी। इनके अलावा दो और टीके भारत को मिल सकते हैं। इनमें से एक कैडिला की वैक्सीन है जिसने करीब -करीब अपना दो फेज का ट्रायल पूरा कर लिया है और दूसरा टीका बॉयोजॉलिकल ई का है। यह टीका ट्रायल के अपने पहले-दूसरे चरण में है।