- नाइजीरिया के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 वैक्सीन बनाने का दावा किया
- वैज्ञानिकों ने कहा कि यह अफ्रीकी लोगों के लिए काफी असरदार रहेगी
- वैज्ञानिकों ने कहा- वैक्सीन को अस्पताल तक पहुंचने में करीब 18 महीने का समय लगेगा
नई दिल्ली: नाइजीरिया यूनिवर्सिटीज के वैज्ञानिकों के समूह ने दावा किया है कि उन्होंने कोविड-19 की वैक्सीन का विकास किया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ओसुन में एडेलेक यूनिवर्सिटी में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते समय मेडिकल वायरोलॉजी, इम्यूनोलॉजी एंड बायोइनफॉरमैटिक्स के विशेषज्ञ और रिसर्च टीम के प्रमुख डॉ ओलाडिपो कोलावोल ने कहा कि इस वैक्सीन को अफ्रीकी लोगों के लिए अफ्रीका में स्थानीय स्तर पर विकसित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मार्केट में इस वैक्सीन के उपलब्ध होने में अब भी 18 महीनों का समय लगेगा। क्योंकि, मरीजों पर प्रयोग से पहले इस वैक्सीन को कई स्तर के ट्रायल से गुजरना पड़ेगा।
कोरोना वायरस के कहर से इस समय दुनिया जूझ रही है और इसकी वैक्सीन तैयार करने में कई देशों के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। कई देशों के वैज्ञानिक दावा कर चुके हैं कि कोविड-19 वैक्सीन तैयार कर ली गई है। मगर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मानें, तो अब तक कोई भी ऐसी वैक्सीन नहीं तैयार हुई, जिसे कोरोना वायरस वैक्सीन का नाम दिया जा सके।
एडेलेक यूनिवर्सिटी में मेडिकल वायरोलॉजी, इम्यूनोलॉजी एंड बायोइनफॉरमैटिक्स के विशेषज्ञ कोलावोल का मानना है कि यह वैक्सीन अन्य महाद्वीपों में भी कारगर साबित होगी। रिपोर्ट में कहा गया कि कोलावोल और उनकी टीम ने अफ्रीकी देशों में सर्वश्रेष्ठ संभव उम्मीदवार चुनने के लिए कोरोना वायरस के जीनोम की खोज करने के लिए लगातार काम किया। चयन प्रक्रिया द्वारा विकास करने के बाद शोधकर्ता सबसे अच्छे संभावित वैक्सीन उम्मीदवार चुनने में सक्षम रहे और संभव अव्यक्त वैक्सीन का निर्माण किया।
मार्केट में इस वैक्सीन के उपलब्ध होने में अब भी 18 महीनों का समय लगेगा क्योंकि मरीजों पर प्रयोग से पहले इस वैक्सीन को कई स्तर के ट्रायल से गुजरना पड़ेगा।
'जो हो सकेगा, सब करेंगे'
रिपोर्ट में एडेलेक यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर सोलोमन एडबोला ने कहा- 'हमे खुशी है कि एक ऐसी वैक्सीन आ गई है जो कोरोना वायरस जैसी वैश्विक समस्या से लोगों को छुटकारा दिलाएगी। इस बीमारी से लोगों को बचाने के लिए हम पूरे जज्बे के साथ जुटे हुए हैं। इस वैक्सीन को वास्तविकता बनाने और लोगों के इलाज तक पहुंचाने के लिए हमसे जो हो पाएगा, हम वो सब करेंगे।'
अन्य लोगों पर असर का दावा
प्रीशियस कॉर्नरस्टोन विश्वविद्यालय के कुलपति और रिसर्च ग्रुप के कॉर्डिनेटिंग कमेटी के प्रमुख प्रो जूलियस ओलोके ने कहा, 'यह वैक्सीन असली है। हमने कई बार इसकी जांच भी की है। यह वैक्सीन अफ्रीकी लोगों को कोरोना महामारी से बचाएगी, लेकिन हमें आशा है कि यह अन्य महाद्वीपों के लोगों पर भी काम करेगी।'