- दुनिया में एक हफ्ते में 36 फीसदी कोरोना संक्रमण के मामलों बढ़े हैं और और मौतों की संख्या में 12 फीसदी की कमी आई है।
- ओमीक्रॉन की वजह से अस्पताल आने वालों मामले 20-25 फीसदी कम हैं।
- दुनिया की 57 फीसदी आबादी को कम से कम वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है।
नई दिल्ली: एक बार फिर नया साल दस्तक दे रहा है। और दुनिया में कोरोना के नए वैरिएंट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यह ठीक वैसा ही समय है जब पिछले साल भारत में कोरोना के मामले अपने न्यूनतम स्तर पर आ गए थे, और त्योहार,बिहार चुनाव बिना किसी संकट के निकल गए थे। ऐसा लगने लगा था कि भारत कोरोना की लड़ाई जीत चुका है। सरकार भी इस तरह के दावे करने लगी थी। उस समय मामले सितंबर 2020 में प्रतिदिन 96 हजार केस से घटकर दिसंबर 2020 में 20 हजार प्रतिदिन केस पर आ गए थे। लेकिन फिर दूसरी लहर के कहर ने मामलों की संख्या मई 2021 में प्रतिदिन 4 लाख केस पर पहुंचा दिया।
एक बार फिर वैसी ही स्थिति है जब ओमीक्रॉन ने दुनिया भर में दस्तक दे दी है। और उसने अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका में संक्रमण तेजी से फैला रखा है। उसके उलट भारत में संक्रमण के मामले बेहद कम है। इन परिस्थितियों में एक बार फिर डेल्टा वैरिएंट की तबाही की तस्वीर डराने लगी है। क्योंकि ऐसा डर सताने लगा है कि ओमीक्रॉन फिर मामलों को बढ़ाकर मई 2021 जैसी स्थिति पैदा नहीं कर दे। सबके जेहन में यही सवाल है कि क्या भारत तीसरी लहर की ओर बढ़ रहा है। और क्या दूसरी लहर जैसे हालात फिर से खड़े हो सकते हैं ? लेकिन बीते एक साल कुछ चीजें ऐसी हुई हैं, जिससे लगता है कि दूसरी लहर की तुलना में हम बेहतर स्थिति में हैं...
1.संक्रमण बढ़ा लेकिन मौतें कम
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार पिछले एक हफ्ते में दुनिया भर के देशों में कोविड-19 के मामलों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। लेकिन उस हिसाब से मौत के मामले कम है। मसलन अमेरिका में पिछले एक हफ्ते में 21 फीसदी संक्रमण के मामले बढ़े हैं। लेकिन मौत के मामलों में कमी आई है। जो कि एक हफ्ते पहले 23 हजार से घटकर इस हफ्ते 9760 पर आ गई। इसी तरह की गिरावट ब्राजील, यूके, रुस और यूरोप के दूसरे देशों में देखी गई है। पूरी दुनिया में पिछले 7 दिन में 52.75 लाख से ज्यादा केस आए और 45 हजार से ज्यादा लोगों को जान गंवानी पड़ी है।
अगर पूरी दुनिया में मामले देखे जाय तो वर्ल्डमीटर डॉट ओआरजी के अनुसार पूरी दुनिया में एक हफ्ते में 36 फीसदी कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा हुआ है। और मौतों की संख्या में इस अवधि में 12 फीसदी की कमी आई है।
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2.डेल्टा की तुलना में अस्पताल में भर्तियां कम
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार स्कॉटलैंड में जारी रिसर्च पेपर के अनुसार नवंबर और दिसंबर में दर्ज कोविड मामलों के विश्लेषण से पता चलता है कि डेल्टा की तुलना में ओमीक्रॉन से अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में दो-तिहाई की कमी आई है।
इसी तरह इंपीरियल कॉलेज लंदन की स्टडी के अनुसार डेल्टा वैरिएंट की तुलना में ओमीक्रॉन की वजह से अस्पताल आने वालों मामले 20-25 फीसदी कम है। जबकि अस्पताल में भर्ती होने के मामले 40-45 फीसदी कम है।
3.वैक्सीनेशन से बढ़ी सुरक्षा
पिछले साल जब डेल्टा वैरिएंट ने दुनियाभर में तबाही मचाई थी, तो वैक्सीनेशन न के बराबर था। इस बार ऐसी स्थिति नहीं है। अब तक दुनिया की 57 फीसदी आबादी को कम से कम वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है। और अब दुनिया में बूस्टर डोज भी लगाई जा रही है। जिससे ओमीक्रॉन के खतरे को कम किया जा सके। भारत में 90 फीसदी आबादी को कम से कम वैक्सीन की एक डोज लग चुकी है। जबकि 61 फीसदी योग्य आबादी को दोनों डोज लगाई जा चुकी है।
4.कोराना की नेचुरल वैक्सीन
अभी तक के ओमीक्रॉन के विश्लेषण से कई विशेषज्ञ यह मानने लगे हैं कि ओमीक्रॉन कोराना महमारी को समान्य महमारी में परिवर्तित होने का संकेत है। ऐसा इसलिए है कि ओमीक्रॉन फेफड़ों को कम प्रभावित कर रहा है। जिसकी वजह से रोगी में ऑक्सीजन की कमी नहीं हो रही है। इसके अलावा गंभीर मरीजों की संख्या कम हुई है। जो इस बात का संकेत है कि अब कोविड-19 कमजोर हो रहा है।
लॉस एंजिल्स के हार्ट स्पेशलिस्ट के मेडिकल डायरेक्टर अफशाइन इमरानी ने ट्वीट कर कहा है ओमाइक्रोन "सचमुच" वैक्सीन है जिसे वैक्सीन कंपनियां नहीं बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि वायरस के प्रसार के कारण "8-12 सप्ताह के भीतर दुनिया को टीका लग जाएगा। वह केवल सामान्य कोल्ड वायरस है, जिस पर घबड़ाने की जरूरत नहीं है।
5.तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए बढ़ी सतर्कता
दूसरी लहर के असर को देखते हुए , इस बार पाबंदियां शुरूआती चरण में लगनी शुरू हो गई है। दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में सरकारों ने सख्ती करनी शुरू कर दी है। कई जगहों पर नाइट कर्फ्यू लगा दिया गया है। दिल्ली में तो येलो अलर्ट जारी है। इसके अलावा दूसरी लहर जैसी स्थिति बनने पर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम बीते संबोधन में बताया कि देश में इस समय 18 लाख ऑक्सीजन बेड, 1.40 लाख आईसीयू बेड, 5 लाख ऑक्सीजन बेड हैं। 90 हजार आईसीयू और नॉन आईसीयू बेड खास तौर पर बच्चों के लिए तैयार रखे गए हैं। 3,000 से ज्यादा ऑक्सीजन प्लांट काम कर रहे हैं। इसके अलावा 4 लाख ऑक्सीजन सिलेंडर देशभर में दिए गए हैं। राज्यों को जरूरी दवाओं की बफर डोज तैयार करने में मदद की जा रही है। इसकी तुलना में दूसरी लहर के दौरान तैयारियों बेहद कमजोर थीं।
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6. फिर भी न करें लापरवाही
यह सब राहत देने वाली परिस्थितियों के बावजूद यह बेहद जरूरी है कि देश के लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें। यामी मॉस्क पहने, वैक्सीन जल्द से जल्द लगवाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। क्योंकि ऐसा करने से ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकेगी।