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School Reopens: स्कूल खुलने से बढ़ी अभिभावकों की चिंता, बच्‍चों में कोरोना के ये लक्षण भूलकर भी ना करें इग्नोर

Updated Feb 26, 2022 | 06:03 IST

School Reopens safety measures: कोरोना केसेज की रफ्तार हल्‍के होने के साथ ही बच्‍चों के स्‍कूल भी खुलने लगे हैं। ऐसे में कोरोना के प्रति अधिक एहतियात बरतने की आवश्यकता है। स्कूल जाते समय बच्चों को मास्क लगाने व समय समय पर सैनेटाइज करने की सलाह दें।

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बच्चों में कोरोना के लक्षण (Pic: iStock)

School Reopens safety measures: ओमीक्रोन के भयावह प्रकोप को देखते हुए कई महीनों से देशभर के सभी स्कूल, कॉलेज व शैक्षणिक संस्थान बंद थे। लेकिन कोरोना की रफ्तार कम होते ही केंद्र सरकार ने सभी स्कूल कॉलेज व शैक्षणिक संस्थान दोबारा खोलने की अनुमति दे दी है। वहीं कई राज्यों ने तो नर्सरी से 5वीं कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खोलने की घोषणा कर दी है। सालों बाद स्कूल जाने को लेकर बच्चों में एक अलग उत्साह देखने को मिल रहा है। स्कूल वापस जानें, डेस्क पर बैठने और दोस्तों के साथ गपशप करने का आनंद अतुलनीय होता है। लेकिन माता पिता अपने बच्चों की सेहत को लेकर काफी चिंतित हैं, क्योंकि कोरोना का कहर अभी थमा नहीं है।

ध्यान रहे अभी बच्चों का टीकाकरण नहीं हुआ है। ऐसे में कोरोना के प्रति अधिक अहतियात बरतने की आवश्यकता है। स्कूल जाते समय उनके सुरक्षा नियमों का पालन करें और बच्चों को मास्क लगाने व समय समय पर सेनेटाइज करने की सलाह दें। साथ ही जो बच्चे रोजाना स्कूल जा रहे हैं उनमें कोरोना से संबंधित कोई लक्षण नजर आए तो उसे नजरअंदाज ना करें। इस लेख के माध्यम से हम आपको बच्चों में कोरोना के लक्षण पहचानने का तरीका बताएंगे। इस तरीके से आप अपने बच्चों को कोरोना से दूर रख सकते हैं।

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बच्चों में कोरोना की संभावना

जिन बच्चों का टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन नहीं हुआ है उनकी सुरक्षा का अधिक ध्यान रखें। बच्चों को मास्क पहनने, सैनेटाइज करने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दें। आपको बता दें बाहर की तुलना में क्लासरूम के अंदर संक्रमण का खतरा अधिक होता है, क्योंकि वहां पर कई बच्चे होते हैं। यदि एक बच्चा भी गलती से कोरोना संक्रमित हो गया तो संक्रमण को फैलने से रोकना काफी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए बच्चों को क्लासरूम के अंदर भी हमेशा मास्क पहनने की सलाह दें।

क्या वयस्कों की तुलना में बच्चे हो सकते हैं अधिक संक्रमित

बता दें बच्चों में वयस्कों की तुलना में संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि उनमें बीमारी की गंभीरता कम होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक बच्चों और वयस्कों में कोरोना संक्रमण कम गंभीर होता है तथा पहली और दूसरी लहर के दौरान हमने देखा कि बड़ों की तुलना में बच्चों की मृत्यु दर भी काफी कम थी।

साथ ही बच्चों में बड़ों की तुलना में कोरोना के लक्षण भी कम होते हैं। वहीं कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार कई बच्चों में कोरोना के लक्षण नहीं होते हैं यानी वे एसिम्प्टोमैटिक होते हैं। राज्य सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमित होने के बाद 10 से 20 प्रतिशत बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, वहीं 1 से 3 प्रतिशत बच्चे कोरोना के भयावह रूप का शिकार हो सकते हैं।

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बच्चों में कोरोना के लक्षण

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वयस्कों की तुलना में बच्चों में कोरोना के हल्के लक्षण पाए जाते हैं। मेयो क्लीनिक के स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार बुखार, खांसी, उल्टी, सीने में दर्द, जकड़न, स्वाद या गंध का ना आना, गले में खराश, ठंड लगना, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, अधिक थकान और नाक बंद होना बच्चों में कोरोना के ये सामान्य लक्षण देखे जा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद बच्चों में 6 दिन के भीतर कोरोना के लक्षण देखे जा सकते हैं।

क्या है मल्टी इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम

बच्चों में जब भी कोरोना संक्रमण की चर्चा होती है स्वास्थ्य विशेषज्ञ एमआईएस यानी मल्टी इंफ्लेमेट्री सिंड्रोम को लेकर चिंतित हो जाते हैं। बीएमसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 51 प्रतिशत बच्चे कोरोना से ठीक होने के बाद एमआईएस से संक्रमित हो गए थे।

इन लक्षणों को भूलकर ना करें इग्नोर

यदि संक्रमण के दौरान बच्चे को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो, तरल पदार्थ पीने में दिक्कत महसूस हो या अचानक होंठ नीले हो जाएं और भ्रम की स्थिति पैदा होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और हॉस्पिटल में एडमिट करा दें ताकि स्थिति दयनीय होने से पहले बच्चे को बचाया जा सके।

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इन बच्‍चों में कोरोना संक्रमण का खतरा होता है अधिक 

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन बच्चों का जन्म समय से पहले हो हुआ हो, दो साल से कम उम्र के बच्चे या जो बच्चे पहले से गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं उनमें कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक होता है। ऐसे बच्चों का खास ध्यान रखें, कोशिश करें की जरूरी होने पर ही स्कूल भेजें।

बच्चों को दें ये सलाह

स्कूल भेजने से पहले बच्चों को कोरोना के प्रति जागरूक करें, उन्हें मास्क पहनने, समय समय पर सैनेटाइज करने व सोशल डिस्टेंसिंग के बारे में बताएं। तथा इन नियमों का पालन करने की सलाह दें।

  • बच्चों को मास्क का महत्व बताएं।
  • कोरोना कितना खतरनाक हो सकता है बच्चों को बताएं।
  • उन्हें मास्क पहनने, हाथ धुलने व सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व समझाएं। हालांकि बच्चों को एक दूसरे से अलग रहने के लिए कहना काफी मुश्किल होता है, लेकिन उन्हें इसे दोस्ताना तरीके से समझाने में मदद मिल सकती है।
  • बच्चे को मास्क पहनने और उसे निकालने का सही तरीका बताएं।


क्या बच्चे होते हैं कोरोना के स्प्रेडर

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के मुताबिक बच्चे कोरोना वायरस के स्प्रेडर या सुपर स्प्रेडर हो सकते हैं, जिनसे घर के सदस्य या बाहरी लोग संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को कोराना वायरस के खिलाफ सुरक्षित माना जाता है। स्कूल, समर कैंप और डे केयर सेंटर में बच्चे कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। इजराइल में मई 2020 में स्कूल खुलते ही 153 बच्चे और स्टाफ के 25 सदस्य कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। इसी तरह के मामले अन्य देशों से भी सामने आए, जहां कोरोना की पहली लहर के दौरान स्कूल कॉलेज व शैक्षणिक संस्थान खुल गए थे।