- कोरोनावायरस से पीड़ित मरीजों में लो ऑक्सीजन लेवल की समस्या देखी जा रही है।
- डॉक्टर्स का मानना है कि कुछ ही पेशेंट को लो ऑक्सीजन लेवल की दिक्कत का सामना करना पड़ता है।
- 94 से ऊपर ऑक्सीजन सैचुरेशन हेल्दी माना जाता है, 90 से नीचे अगर ऑक्सीजन सैचुरेशन है तो मेडिकल सपोर्ट लेने की आवश्यकता है।
कोरोनावायरस महामारी से देश पूरी तरह त्रस्त है। रोजाना कोरोनावायरस के दर्ज हो रहे मामले रिकॉर्ड तोड़ते जा रहे हैं। यह आंकड़ा कहां जाकर रुकेगा, इसका कोई अंदाजा नहीं है। कोरोनावायरस के दूसरे लहर में लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस लहर में कोरोनावायरस से पीड़ित बहुत से लोग लो ऑक्सीजन लेवल की समस्या से जूझ रहे हैं। ऑक्सीजन सपोर्ट समय से ना मिल पाने पर कई लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे रहे हैं। बाजारों में और अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी देखी जा रही है। इसी बीच लोगों में कोरोनावायरस का डर अब और गहरा होने लगा है।
अगर आपको लो ऑक्सीजन लेवल की समस्या हो रही है तो यह लेख पढ़ें और जानें की कौन से संकेत ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत को जता रहे हैं।
सांस लेने में कठिनाई
सांस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन लेवल का कम होना यह दोनों कोरोनावायरस के सिम्टम्स हैं। जानकारों के मुताबिक, हर एक व्यक्ति को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ती है। जिन लोगों को ऐसी समस्याएं हो रही हैं वह ऑक्सीजन सिलेंडर को स्टाॅक कर ले रहे हैं या फिर अस्पताल में भर्ती होने चले जा रहे हैं। स्टॉक करने के चलते जिन लोगों को ऑक्सीजन सपोर्ट की वाकई में जरूरत है उनके लिए ऑक्सीजन सपोर्ट मिल पाने में दिक्कतें आ रही हैं।
यह समझना जरूरी है कि सांस लेने में कठिनाई और ऑक्सीजन लेवल में कमी एक समस्या जरूर है मगर यह जरूरी नहीं है कि लोगों को जल्दी हॉस्पिटलाइज कर दिया जाए। किसी इंसान को हॉस्पिटलाइज तब किया जाता है जब उसका ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल एकदम कम हो जाता है।
क्या है ऑक्सीजन सैचुरेशन?
ऑक्सीजन सैचुरेशन का मतलब है की लंग्स द्वारा शरीर के दूसरे अंगों में भेजे जा रहे खून में ऑक्सिजनेटेड हीमोग्लोबिन की कमी होना। जिस इंसान की रीडिंग 94 से ऊपर है उसे हेल्दी समझा जाता है। कोविड-19 के वजह से लोगों के सांस लेने में कठिनाई हो रही है इसके साथ लंग्स और चेस्ट कैविटी में इन्फ्लेमेशन की समस्या देखी जा रही है जिसकी वजह से शरीर में ऑक्सिजनेटेड खून के सप्लाई में प्रभाव पड़ रहा है।
oxygen level kitna hona chahiye
अगर SpO2 लेवल 94 से 100 के बीच में है तो इसका मतलब कि वह इंसान हेल्दी है। अगर रीडिंग 94 से नीचे है तो यह हाइपोक्सेमिया की समस्या का रूप ले सकता है। और अगर रीडिंग 90 से नीचे है तो यह संकेत है कि आपको मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता है।
कोरोनावायरस के मरीजों को इंटेंसिव ऑक्सीजन सपोर्ट कि कब जरूरत पड़ती है?
सांस लेने में कठिनाई और चेस्ट पेन यह सभी ऑक्सीजन लेवल कम होने के सिम्टम्स हैं। कुछ मरीजों में ऑक्सीजन लेवल में उतार-चढ़ाव और सांस लेने में कठिनाई रेस्पिरेट्री इनफेक्शन, ऑक्सीजन लेवल में कमी, शरीर के अंगों पर प्रभाव और अंदरूनी कार्यप्रणाली को क्षति पहुंचा सकता है। इससे एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम भी हो सकता है जो खतरे की घड़ी की तरफ इशारा करता है।
जानकारों का मानना है कि, ऑक्सीजन में कमी और रेस्पिरेट्री सिम्टम्स को घर रहकर भी संभाला जा सकता है। किसी कोरोनावायरस मरीज को मेडिकल सपोर्ट की जरूरत पड़ती है जब यह सभी समस्याएं दृढ़ हो जाती हैं।
अगर एक-दो घंटे के लिए ऑक्सीजन लेवल 91 हो जाए तब क्या करें?
अगर किसी इंसान का ऑक्सीजन लेवल 91 हो जाए उसे ध्यान देने की आवश्यकता है। घर में ऑक्सीजन थेरेपी और प्रोन ब्रीदिंग से ऑक्सीजन लेवल में सुधार किया जा सकता है। लेकिन अगर ऑक्सीजन लेवल एक-दो घंटे के लिए ऊपर नीचे या फिर एक ही लेवल पर अटका है तो इंसान को तुरंत मेडिकल सपोर्ट लेना चाहिए। जिन लोगों को पहले से ही रेस्पिरेट्री प्रॉब्लम है या फिर जो लोग बूढ़े हैं और लंग कॉम्प्लिकेशन से गुजर रहे हैं उन्हें देखरेख की आवश्यकता सबसे पहले है।
नीले होंठ और चेहरे की रंगत उड़ जाना
कोरोनावायरस की कुछ ऐसे हैं जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते हैं लेकिन वह आगे चलकर बड़ी समस्याओं में तब्दील हो सकते हैं। इनमें से एक सिस्टम है नीले होंठो और चेहरे की रंगत उड़ जाना। होठ नीले तब पड़ जाते हैं जब शरीर में ऑक्सीजन लेवल बहुत कम हो जाता है। अगर शरीर में आवश्यकतानुसार ऑक्सिजनेटेड ब्लड है तो इंसान के होठ लाल और गुलाबी रंग के होते हैं। अगर शरीर में ब्लड ऑक्सीजन का लेवल एकदम नीचे है तो इससे होंठ नीले हो जाएंगे और त्वचा का रंगत उड़ जाएगा। इसके साथ हमारी त्वचा एकदम ठंडी हो जाएगी। ऐसी स्थिति में आपको अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए।
ऑक्सीजन में कमी होना और चेस्ट या लंग्स पेन होना
कोरोनावायरस पेशंट के ऑक्सीजन लेवल में लगातार कमी होना एक खतरे की घंटी है। इस समस्या को घर पर रहकर भी संभाला जा सकता है लेकिन अगर मरीजों को इसके साथ सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, लगातार सीने में दर्द और प्रैशर, खांसी, बेचैनी और सर दर्द की समस्या है तो उससे अस्पताल अवश्य जाना चाहिए। ऐसे लोगों को इन सिम्टम्स को नजरअंदाज बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
उलझन, प्रलाप और होश खोना
जब ऑक्सीजन लेवल में कमी होती है तो हमारे दिमाग में भी ब्लड फ्लो कम हो जाता है जिससे कई न्यूरोलॉजिकल फंक्शनिंग पर प्रभाव पड़ता है। इस वजह से लोगों को अक्सर उलझन, प्रलाप, होश खोना, चक्कर आना, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत होना और देखने में परेशानी होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में लोगों को जगने में तथा उठने में भी दिक्कतें हो सकती हैं। यह सभी स्थितियां इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि उन्हें मेडिकल सपोर्ट की जरूरत है।
(नोट : ये लेख चिकित्सीय परामर्श नहीं है। कोविड के लक्षण दिखने पर या टेस्ट पॉजिटिव आने पर डॉक्टर से संपर्क करें और पैनिक किए बिना उनकी सलाह पर अमल करें। )